अहमदाबादः शहर के एक स्कूल के प्रिंसिपल एक छात्र के बैग से 11,000 रुपये नकद पाकर हैरान रह गए। इससे इस चर्चा को बल मिला कि वह छात्र ड्रग एडिक्ट था। वैसे बाद में इस बात को मानने से छात्र के माता-पिता ने इनकार कर दिया। एक अन्य घटना में शहर के एक जाने-माने स्कूल में औचक निरीक्षण (random check) के दौरान एक अपर प्राइमरी (क्लास 5-8) के छात्र के बैग में गर्भनिरोधक (contraceptive) मिला। बता दें कि अहमदाबाद के स्कूलों ने छात्रों के बैग से मोबाइल, कॉस्मेटिक्स, परफ्यूम, ई-सिगरेट और बड़ी मात्रा में नकदी जैसी प्रतिबंधित वस्तुएं मिलने की पहले भी सूचना दी थी।
बेंगलुरु में एक घटना के बाद अहमदाबाद के स्कूलों ने भी बैग की अचानक जांच तेज कर दी है, जिसमें स्कूल जाने वाले एक छात्र के बैग से कंडोम का पैकेट मिला था। ऐसी जांच छात्रों को यह समझाने के लिए होती हैं कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत। पोद्दार इंटरनेशनल स्कूल के प्रिंसिपल श्रीनारायणन पीसी ने कहा, “बैग की जांच करने का मुख्य लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि वे अधिक वजन वाले न हों। साथ ही बच्चे शेड्यूल के अनुसार ही किताबें और कापियां लाएं। ई-सिगरेट की खोज की इक्का-दुक्का घटनाएं हुई हैं। हम इसे जब्त कर लेते हैं और तुरंत माता-पिता को सूचित करते हैं। ऐसे छात्रों को बुरी आदतों से छुड़ाने के लिए हम उन्हें विशेषज्ञों से भी बात कराते हैं।”
उद्गम स्कूल फॉर चिल्ड्रेन के कार्यकारी निदेशक मनन चोकसी ने कहा कि 12,000 रुपये तक की नकदी, मोबाइल फोन और अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं के अलावा स्कूल को एक बार एक छात्र से एक स्क्रैप-बुक मिली थी। उसमें साथी छात्रों के बारे में आपत्तिजनक बातें भी थीं।”
उन्होंने कहा, “हालांकि यह प्रतिबंधित वस्तुओं की सूची दर्ज नाम वाली नहीं थी। फिर भी इससे छात्रों के मनोविज्ञान का अंधेरा पक्ष उजागर जरूर हो गया। हमने तुरंत छात्र के माता-पिता को सतर्क करने के लिए बुलाया और छात्र की काउंसलिंग की। बैग से बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की स्थिति में हम माता-पिता से सफाई भी मांगते हैं, क्योंकि हम नहीं चाहते कि उनमें कोई बुरी आदत हो।”
डीएवी इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल निवेदिता गांगुली ने कहा कि बार-बार औचक निरीक्षण किया जाता है। उसने कहा, “हमारे स्कूल में, हम मुख्य रूप से मोबाइल फोन और सौंदर्य प्रसाधन, इत्र, डिओडोरेंट पाते हैं। इन सभी वस्तुओं को स्कूल परिसर में बैन कर दिया गया है।”
न्यू ट्यूलिप इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल अंजलि क्वात्रा ने कहा कि वह अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए रोजाना मेन गेट पर खड़ी होकर छात्रों के बैग की जांच करती हैं। उन्होंने कहा, “दरअसल इन सबका मकसद उन्हें अनुशासित करने और उनकी उम्र में प्रतिबंधित चीजों से दूर रहने के लिए संवेदनशील बनाना है। हम परफ्यूम भी जब्त कर लेते हैं, हालांकि उनका इस्तेमाल खुशबूदार बने रहने के लिए किया जाता है।’
बहरहाल, अधिकतर स्कूलों ने उन्होंने कहा कि छात्र आमतौर पर हाई-एंड मोबाइल ले जाने के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। ऐसे में यह देखना हमारा काम है कि छात्र कम उम्र में बुरी आदतें न डालें या एडल्ट की तरह व्यवहार न करें। ऐसे सभी मामलों में माता-पिता को तुरंत सूचित किया जाता है और काउंसलिंग जैसे कदम फौरन उठाए जाते हैं।
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