एक टमाटर विक्रेता को उसकी सब्जियों की लगातार, कम खरीदारी पर संदेह हुआ और उसने पुलिस को सूचित किया।
साड़ी छापने वाले एक व्यक्ति ने रंग और छपाई में अपनी विशेषज्ञता का दुरुपयोग करके नकली भारतीय मुद्रा नोट बनाए, जिसका उसने 10 महीने तक सब्जी मंडी में बड़ी चतुराई से इस्तेमाल किया।
लेकिन वह तब मुश्किल में पड़ गया जब एक टमाटर विक्रेता को उसकी असामान्य रूप से छोटी और लगातार खरीद पर संदेह हुआ और उसने पुलिस को सूचित किया।
उधना पुलिस ने प्रिंटर पिंटू उर्फ शिवानंद पाल, 41 को गिरफ्तार किया और उसके पास से 259 नकली नोट बरामद किए। पुलिस सूत्रों ने बताया कि पाल ने पिछले 10 महीनों में बाजार में 3.5 लाख रुपये के नकली नोट चलाए थे।
उत्तर प्रदेश के मूल निवासी पाल ने 10 महीने पहले पांडेसरा में रहना शुरू किया था। उसे पता चला कि उसका पड़ोसी सलमान नकली नोट छाप रहा है। उसने सलमान से यह तकनीक सीखी।
पाल साड़ी छापने का काम करता था, इसलिए वह अपने रंग और स्याही के हुनर से असली नोटों से मिलते-जुलते FICN (नकली भारतीय मुद्रा नोट) बनाने में सफल रहा।
ऐसे लगाया जुगाड़!
उसने अच्छी गुणवत्ता वाला कागज भी चुना जो 100 रुपये के नोट छापने में इस्तेमाल किए जाने वाले कागज जैसा था। पाल को पता था कि विक्रेता ज्यादातर 500 रुपये के नोटों की जांच करते हैं। इसलिए, उसने 100 रुपये के नोट छापे। सूत्रों के अनुसार, उसका लक्ष्य इस अवैध तरीके से रोजाना 2,250 रुपये कमाना था।
पाल रोजाना 25 नकली नोट लेकर सब्जी मंडी जाता था और विक्रेताओं से 10 रुपये की सब्जी खरीदता था। उसे बदले में असली नोटों के रूप में 90 रुपये मिलते थे और यही उसका मुनाफा था। पिछले 10 महीनों में उसने इस तरह से 3.5 लाख रुपये के नकली नोट खर्च किए।
हालांकि, एक टमाटर विक्रेता को संदेह हुआ और उसने सोचा कि पाल हर दिन सिर्फ 10 रुपये में टमाटर और अन्य सब्जियां क्यों खरीदता है। उसने पुलिस को सूचित किया।
पुलिस के अनुसार, पाल पहले से ही साड़ी छपाई के काम से 50,000 रुपये प्रति माह का अच्छा वेतन कमा रहा था। हालांकि, वह और भी जल्दी पैसा कमाना चाहता था।
पुलिस सलमान की तलाश कर रही है, जिसे मामले में आरोपी बनाया गया है।
यह भी पढ़ें- कौन होगा अगला लोकसभा अध्यक्ष?