आर्यन खान (Aryan Khan) ड्रग मामले में चर्चित रहे नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े (Sameer Wankhede )को जाति प्रमाणपत्र (Caste Certificate )मामले में क्लीन चिट( Clean Chit) मिल गई है। यह क्लीन चिट मुंबई जिला जाति प्रमाणपत्र जांच समिति (Mumbai District Caste Certificate Checking Committee )ने दी है। वानखेड़े पर जाति प्रमाणपत्र में फर्जीवाड़ा का आरोप था। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP ) के नेता नवाब मलिक( Nawab Malik )और तीन दलित कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि भारतीय राजस्व सेवा (Indian Revenue Service) के अधिकारी वानखेड़े मुस्लिम (Muslim) थे और सरकारी नौकरी (Government Job )पाने के लिए फर्जी जातिप्रमाण पत्र (fake caste certificate) का इस्तेमाल किया था। तीन सदस्यीय समिति ने पाया कि वह जन्म से मुस्लिम नहीं हैं, बल्कि महार जाति (Mahar caste )से संबंधित हैं, जो एक अनुसूचित जाति( Scheduled Caste) है। समिति के मुताबिक, यह साबित हो गया है कि वानखेड़े और उनके पिता ने कभी भी इस्लाम अंगीकार नहीं किया था, वह महार अनुसूचित जाति से ही आते हैं।
आदेश में आगे लिखा गया है, “वानखेड़े के जाति दावे/जाति प्रमाण पत्र/धर्म के संबंध में मनोज संसारे, अशोक कांबले, संजय कांबले और नवाब मलिक द्वारा दर्ज की गई शिकायतों की पुष्टि नहीं की जाती है और उनकी शिकायत को खारिज किया जा रहा है, क्योंकि इसमें तथ्यों का अभाव है।” आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए वानखेड़े ने कहा, “मुझे न्यायपालिका, जाति जांच समिति और महाराष्ट्र सरकार में अटूट विश्वास है … सत्य की जीत होती है।”
गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तार मलिक ने आरोप लगाया था कि वानखेड़े ने सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद एससी कोटे के तहत नौकरी हासिल करने के लिए अपने जाति प्रमाणपत्र और अन्य दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा किया था। वानखेड़े के जाति प्रमाणपत्र की जांच के बाद कार्यकर्ता मनोज संसारे और अशोक कांबले ने 3 नवंबर 2021 को वानखेड़े के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
यह आरोप अक्टूबर 2020 में ड्रग मामले में कॉर्डेलिया क्रूज शिप (Cordelia cruise ship )पर छापेमारी के बाद लगाया था। उस छापेमारी का नेतृत्व वानखेड़े ने की, जिसमें अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan, son of actor Shahrukh Khan )को गिरफ्तार किया गया था। आर्यन को बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court )ने जमानत (Bail )पर रिहा कर दिया। अदालत ने पाया कि आरोपियों के खिलाफ जांच एजेंसी के पास कोई ठोस सूबत नहीं था।
इस साल मई में जाकर एनसीबी की एसआईटी (SIT)ने आर्यन को बरी कर दिया। इसके साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry )ने वानखेड़े के खिलाफ “घटिया जांच” करने की जांच शुरू कर दी। वानखेड़े को बाद में मई में चेन्नई में टैक्सपेयर्स सर्विसेज महानिदेशालय (Directorate General of Taxpayers Services) के डीजी के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया था। मलिक ने दावा किया था कि वानखेड़े जन्म से मुसलमान हैं और उनके पिता का नाम दाऊद था, न कि ज्ञानदेव। वानखेड़े ने इन दावों का खंडन किया था।
मुंबई जिला जाति प्रमाणपत्र जांच समिति (Mumbai District Caste Certificate Checking Committee ) ने अपनी जांच के दौरान 29 अप्रैल को वानखेड़े को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। नोटिस में कहा गया है कि “शिकायतों, दस्तावेजों आदि पर विचार करने से यह साबित होता है कि याचिकाकर्ता मुस्लिम जाति का है और मुस्लिम धर्म का पालन करता है।” इसमें पूछा गया था कि वह 5 मार्च 2008 को अपने जाति प्रमाणपत्र को सरेंडर और रद्द क्यों नहीं करा सका, जिसमें कहा गया था कि वह “महार समुदाय” से संबंधित है।
समीर वानखेड़े ने तब कारण बताओ नोटिस को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, और इसे “अवैध, मनमाना और कानून के प्रावधानों के खिलाफ” कहा था।
हाई कोर्ट के समक्ष अपने बचाव में समीर वानखेड़े ने कहा था कि उनकी मां मुस्लिम हैं। इस आधार पर अस्पताल में उनके जन्म के समय उनकी सहमति के बिना ही वानखेड़े के पिता के रूप में उनका नाम गलत तरीके से दाऊद के वानखेड़े लिख दिया गया था। साथ ही, “मुस्लिम” को उके जन्म प्रमाणपत्र में “नस्ल, जाति या राष्ट्रीयता” की श्रेणी के खिलाफ गलत तरीके से दर्ज किया गया था। उन्होंने कहा कि उनके स्कूल के रिकॉर्ड में भी 1985 से 1989 तक “मुस्लिम” का गलत उल्लेख किया गया था, जिसके बाद रिकॉर्ड को सही कराया गया था।
जांच के दौरान एक अधिकारी ने कहा कि एक जाति सतर्कता दल नियुक्त किया गया था। उसने उनके परिवार की पृष्ठभूमि की जांच करने के लिए महाराष्ट्र के वाशिम जिले में उनके गांव का दौरा भी किया था।
अधिकारी ने कहा, “हमने उनके चाचा, अन्य रिश्तेदारों, गांव के सरपंच और पुलिस पाटिल सहित लगभग 10 लोगों के बयान दर्ज किए थे, जिन्होंने पुष्टि की कि वह अनुसूचित जाति से हैं।”