साबरमती रिवरफ्रंट अहमदाबाद का ताज है, लेकिन इसकी सुंदरता शहर के बुजुर्गों और विकलांग लोगों के लिए सुलभ नहीं है। 1,400 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस परियोजना में दोनों तरफ नौ लिफ्ट हैं, लेकिन केवल एक ही खुली और चालू हालत में है। इसके अलावा, विकलांगों को ऊपरी सैरगाह से निचले हिस्से तक जाने के लिए बहुत कम सीढ़ियां हैं। वैसे तो नागरिक निकाय (civic body) ने किराए के लिए सैकड़ों साइकिलें दी हुई हैं, उसके पास विकलांग लोगों को आसानी से आने-जाने में मदद करने के लिए पर्याप्त व्हीलचेयर नहीं हैं।
शारीरिक अक्षमताओं (physical disabilities) वाले विजिटरों को या तो ऊपरी सैरगाह पर रहने के लिए मजबूर किया जाता है या निचले सैरगाह तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों से नीचे उतरने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
रिवरफ्रंट शहर में विकलांगों के लिए सबसे कठिन जगह है। वहां केवल कुछ रैंप, बेकार लिफ्ट और शौचालय हैं, जो हर समय बंद रहते हैं। यहां तक कि पीने के पानी के नल भी इतने ऊंचे हैं कि व्हीलचेयर पर बैठा व्यक्ति भी उन तक नहीं पहुंच सकता।
अहमदाबाद नगर निगम यानी एएमसी में विपक्ष के नेता और दानिलिमदा से कांग्रेस पार्षद शहजाद खान पठान ने कहा, ‘इस सार्वजनिक स्थान के निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं। बंद लिफ्ट और शौचालय, रैंप और व्हीलचेयर की कमी अक्षम लोगों (disabled people) के प्रति अधिकारियों की असंवेदनशीलता (insensitivity) के प्रमाण हैं।”
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