दुनिया भर में एक के बाद एक देश क्रिप्टोकरेंसी को किसी न किसी तरह से प्रतिबंधित कर रहा है. इस सूची में अब रूस भी जुड़ चुका है. रूस के केंद्रीय बैंक ने गुरुवार को वित्तीय स्थिरता, नागरिकों की भलाई और इसकी मौद्रिक नीति संप्रभुता के लिए खतरों का हवाला देते हुए रूसी क्षेत्र में क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल और माइनिंग पर बैन लगाने का प्रस्ताव दिया है.
रूस के इस कदम के बाद अब क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है क्योंकि एशिया से लेकर अमेरिका तक, सरकारों को चिंता है कि निजी तौर पर संचालित और अत्यधिक अस्थिर डिजिटल मुद्राएं वित्तीय और मौद्रिक प्रणालियों के उनके नियंत्रण को कमजोर कर सकती हैं. हालांकि रूस का ये कदम चौंकाने वाला इसलिए भी नहीं है क्योंकि ये देश वर्षों से क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ है. रूस का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग या आतंकवाद के वित्तीयपोषण में किया जा सकता है. वैसे रूस ने 2020 में क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी दर्जा दिया था लेकिन भुगतान के साधन के रूप में उनके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था.
क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज बाइनेंस ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि वह नियामकों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है और उम्मीद है कि रिपोर्ट जारी होने से रूसी क्रिप्टो यूजर्स के हितों की रक्षा के लिए केंद्रीय बैंक के साथ बातचीत भी होगी. हालांकि रूसी केंद्रीय बैंक के वित्तीय स्थिरता विभाग के प्रमुख एलिसैवेटा डेनिलोवा ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी के मालिक होने पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है. बैंक ने कहा कि रूस में सक्रिय क्रिप्टोकरेंसी यूजर्स की वार्षिक लेनदेन की मात्रा लगभग 5 बिलियन डॉलर है.
गुरुवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में, केंद्रीय बैंक ने कहा कि यह करेंसी वित्तीय स्थिरता को बढ़ा सकती हैं. केन्द्रीय बैंक ने वित्तीय संस्थानों को क्रिप्टोकरेंसी के जरिए कोई भी लेन-देन करने से रोकने को कहा है और कहा कि इन करेंसी के लिए यानी क्रिप्टोकरेंसी को खरीदने या बेचने के उद्देश्य से होने वाले लेनदेन को ब्लॉक करने के लिए एक तंत्र विकसित किया जाना चाहिए.
केंद्रीय बैंक ने कहा कि वह उन देशों में नियामकों के साथ काम करेगा जहां क्रिप्टो एक्सचेंज पंजीकृत हैं ताकि रूसी ग्राहकों के संचालन के बारे में जानकारी एकत्र की जा सके. क्रिप्टोकरेंसी गतिविधि को रोकने के लिए चीन जैसे अन्य देशों में उठाए गए कदमों की ओर भी इशारा किया.
बता दें कि एक समय चीन दुनिया में सबसे ज्यादा बिटकॉइन माइनर्स का ठिकाना था. लेकिन पिछले साल सितंबर में, चीन ने सभी क्रिप्टो लेनदेन और माइनिंग पर बैन लगाते हुए, बिटकॉइन और अन्य प्रमुख कॉइन्स को झटका देते हुए और क्रिप्टो व ब्लॉकचैन से संबंधित शेयरों पर दबाव डालने के साथ क्रिप्टोकरेंसी पर अपनी कार्रवाई तेज कर दी.
अमेरिका और कजाकिस्तान के बाद रूस बिटकॉइन खनन में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा खिलाड़ी है. बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी शक्तिशाली कंप्यूटरों से “माइन” की जाती हैं जो जटिल गणितीय पहेलियों को हल करने के लिए वैश्विक नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करते हैं. यह प्रक्रिया बिजली की खपत करती है और अक्सर जीवाश्म ईंधन द्वारा संचालित होती है. रूस को केंद्रीय बैंक ने कहा कि, “सबसे अच्छा समाधान रूस में क्रिप्टोकरेंसी खनन पर प्रतिबंध लगाना है.”
चीन, बांग्लादेश, रूस, मिस्र, मोरक्को, तुर्की, ईरान, अल्जीरिया, बोलीविया, कोलंबिया, इंडोनेशिया, नेपाल और उत्तरी मैसेडोनिया जैसे कई अन्य देशों ने भी हाल के दिनों में क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है.
भारत में भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर स्थिति कुछ साफ नही है, लेकिन भारतीय सरकार ने इस पर पूरी तरह से बैन नही लगाया है. भारतीय सरकार ने RBI की तरफ से क्रिप्टोकरेंसी जारी करने की बात कही है. भले ही सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई कानून न बनाया हो, लेकिन भारत का आयकर विभाग क्रिप्टोकरेंसी में निवेश पर होने वाली इनकम पर टैक्स लेता है.