प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति से संभावित विदाई को लेकर चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि मोदी 2029 तक देश का नेतृत्व करेंगे और उनके उत्तराधिकारी को लेकर अभी कोई चर्चा करना अनावश्यक है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 75 वर्ष की आयु में रिटायरमेंट के अनकहे नियम का पालन सभी पर होता है या फिर यह एक चयनात्मक प्रक्रिया है?
सवालों के घेरे में “75 वर्ष की नीति”
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के सांसद संजय राउत ने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय का हालिया दौरा अपनी सेवानिवृत्ति की जानकारी देने के लिए किया था। राउत ने कहा कि मोदी अब “75 वर्ष की उम्र” के भाजपा के अप्रमाणिक नियम के दायरे में आ रहे हैं, और इसलिए उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात कर अपने उत्तराधिकारी पर चर्चा की।
हालांकि, फडणवीस ने इस दावे को खारिज करते हुए इसे निराधार करार दिया। उन्होंने कहा, “मोदी हमारे नेता हैं और बने रहेंगे। 2029 में भी वही प्रधानमंत्री होंगे।”
लेकिन अगर मोदी अपवाद हैं, तो फिर बीजेपी में 75 साल से अधिक उम्र के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं का क्या?
बीजेपी के वरिष्ठ चेहरे, जो 75 पार कर चुके हैं
बीजेपी ने 75 वर्ष की आयु सीमा को अटल सत्य की तरह पेश किया, लेकिन क्या यह सभी पर समान रूप से लागू होता है? वर्तमान में पार्टी में कई बड़े नेता इस आयु सीमा को पार कर चुके हैं, जिनमें शामिल हैं:
- एल. के. आडवाणी (96 वर्ष) – पार्टी के संस्थापकों में से एक, जो लंबे समय से सक्रिय राजनीति से बाहर हैं।
- मुरली मनोहर जोशी (90 वर्ष) – उन्हें 2019 में चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था।
- सुमित्रा महाजन (81 वर्ष) – लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष, जिन्हें 2019 में टिकट नहीं दिया गया।
संघ और बीजेपी के बीच शक्ति संतुलन?
राउत ने यह भी दावा किया कि संघ अब भाजपा के नेतृत्व में बदलाव चाहता है और इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी की नागपुर यात्रा महत्वपूर्ण थी। उन्होंने कहा, “संघ अब देश की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है, और भाजपा अध्यक्ष पद पर भी उसकी राय को महत्व मिलेगा।”
यह बयान कई नई अटकलों को जन्म देता है—क्या भाजपा में असल में कोई 75 वर्ष की अनकही नीति है, या यह केवल उन नेताओं पर लागू होती है जिन्हें पार्टी नेतृत्व से बाहर करना चाहता है? और अगर ऐसा नियम है, तो क्या प्रधानमंत्री मोदी इसके अपवाद हैं?
क्या होगा 2024 के बाद?
बीजेपी ने अब तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद यदि मोदी सत्ता में बने रहते हैं, तो यह सवाल और भी बड़ा हो जाएगा—क्या बीजेपी की 75 वर्ष की नीति एक मिथक है, या फिर इसे केवल रणनीतिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है?
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