राजस्थान में पेट्रोलियम क्षेत्र में कंपनियों द्वारा 6,200 करोड़ रुपये का नया या नया निवेश किया गया है। यह जानकारी राज्य सरकार के एक सीनियर अफसर ने दी।
राजस्थान के अतिरिक्त मुख्य सचिव (खान और पेट्रोलियम) सुबोध अग्रवाल ने कहा कि कुल मिलाकर, चार कंपनियों द्वारा चरणबद्ध तरीके से 22,838 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जा रहा है। इनमें से 6,200 करोड़ रुपये से अधिक का काम शुरू हो गया है।
अग्रवाल ने कहा कि पेट्रोलियम क्षेत्र की चार कंपनियों ने ‘इन्वेस्ट राजस्थान’ के दौरान निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। केयर्न वेदांता ने 20,000 करोड़ रुपये, ऑयल इंडिया ने 663 करोड़ रुपये, तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम ने 1,050 करोड़ रुपये और फोकस एनर्जी ने 1,125 करोड़ रुपये के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए।
केयर्न वेदांता ने बाड़मेर और जालोर जिलों में पीएमएल और पीईएल ब्लॉक में अन्वेषण और अन्य विकास कार्य शुरू कर दिए हैं। करीब 5,671 करोड़ रुपए का काम हो चुका है। इसी तरह जैसलमेर प्रखंड में फोकस एनर्जी 113 करोड़ के निवेश कार्य कर रही है। अधिकारी ने कहा कि ओएनजीसी ने खोज (exploration) और उत्पादन में 212 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। ऑयल इंडिया के लिए यह 144 करोड़ रुपये है।
अग्रवाल ने कहा कि इसके साथ खोज (exploration) और माइनिंग का काम तेजी से शुरू हो गया है। साथ ही डायरेक्ट और इनडायरेक्ट रोजगार भी पैदा हो रहा है।
उन्होंने कहा कि आज देश में राजस्थान तट पर (on-shore) कच्चे तेल का शीर्ष उत्पादक बन गया है। देश का 20 प्रतिशत से अधिक कच्चे तेल का उत्पादन राजस्थान में हो रहा है।
बाड़मेर जिले में 43,129 करोड़ रुपये की लागत से 9 मिलियन टन प्रति वर्ष रिफाइनरी-सह-पेट्रोल रासायनिक कांप्लेक्स बनाया जा रहा है।
यह हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और राजस्थान सरकार के बीच क्रमशः 74 प्रतिशत और 26 प्रतिशत की इक्विटी भागीदारी के साथ एक साझा वेंचर है।
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