गुजरात : अवैध सॉफ्टवेयर के जरिए 28 करोड़ रुपये के रेलवे टिकट हासिल कर ऊंची कीमत में बेचने वाले अंतरराज्यीय रैकेट का पर्दाफाश

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गुजरात : अवैध सॉफ्टवेयर के जरिए 28 करोड़ रुपये के रेलवे टिकट हासिल कर ऊंची कीमत में बेचने वाले अंतरराज्यीय रैकेट का पर्दाफाश

| Updated: September 1, 2022 09:57

रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने गुजरात में ट्रैवल एजेंटों, दलालों और सॉफ्टवेयर डेवलपर के एक ऐसे अंतरराज्यीय गिरोह को पकड़ा है, जिसने अवैध सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर आईआरसीटीसी पोर्टल से 28.14 करोड़ रूपये के कंफर्म्ड टिकट खरीदे। फिर उन्हें ऊंचे कमीशन पर यात्रियों को बेच डाले। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी है।

राजकोट आरपीएफ के संभागीय सुरक्षा आयुक्त पवन कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि बुधवार को पश्चिम रेलवे के राजकोट संभाग की आरपीएफ टीम ने छह लोगों को पकड़ा है। उनसे 43.42 लाख रुपये के ‘नहीं बिके’ 1688 टिकट बरामद किए गए हैं । उनके मुताबिक, यह धोखाधड़ी पिछले कई महीनों से चल रही थी।

श्रीवास्तव ने जांच के बाद इस धंधे के तौर तरीके के बारे में बताया। दरअसल ये आरोपी टिकट बुक कराने के वास्ते भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) के पोर्टल पर यूजर आईडी बनाने एवं ओटीपी (एकबारगी पासवर्ड) हासिल करने के लिए अवैध सॉफ्टवेयरों के अलावा ऐसे मोबाइल नंबरों एवं ईमेल एड्रेस का इस्तेमाल करते थे जिन्हें बाद में वे छोड़ देते थे। ये आरोपी इनमें एक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल फर्जी आईपी एड्रेस बनाने के लिए करते थे।

उन्होंने कहा, ‘‘ एक गुप्त सूचना पर बनी टीम ने मई में राजकोट के ट्रैवल एजेंट मनन वाघेला को गिरफ्तार किया था। अवैध सॉफ्टवेयर की मदद से वाघेला आईआरसीटीसी पोर्टल से बड़ी संख्या में कंफर्म्ड टिकट खरीदा करता था। बाद में जुलाई में मुंबई से कन्हैया गिरि को सॉफ्टवेयर बेचने के लिए गिरफ्तार किया गया।’’ आरपीएफ ने गुजरात में वलसाड जिले के वापी शहर से सॉफ्टवेयर डेवलपर अभिषेक शर्मा को भी पकड़ा। गिरि कोविड-एक्स और ब्लैक टाइगर जैसे संदिग्ध सॉफ्टेवयर का ‘बहुत बड़ा वितरक’ था, जबकि शर्मा उन्हें बनाने का काम करता था।

श्रीवास्तव ने बताया कि उनसे मिली सूचना पर आरपीएफ ने इस अंतरराज्यीय गिरोह के तीन अन्य सदस्यों-अमन शर्मा, वीरेंद्र गुप्ता और अभिषेक तिवारी को क्रमश: मुंबई , वलसाड और उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर से गिरफ्तार किया। उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि आईआरसीटीसी ने टिकटों की सीमा तय कर रखी है जो किसी एक कंप्यूटर से खरीदे जा सकते हैं। ऐसे में आरोपी ने फर्जी आईपी एड्रेस बनाने के लिए सॉफ्टवेयर बनाया। इससे उन्हें एक ही कंप्यूटर से बड़ी संख्या में टिकट बुक कराने में मदद मिली।’’

उन्होंने कहा कि गिरोह ने आईआरसीटीसी पर फर्जी आईडी बनाने और हर आईडी पर ओटीपी हासिल करने के लिए कुछ ट्रैवल एजेंटों को ऐसे मोबाइल नंबर एवं ईमेल आईडी दिये जिनका बाद में इस्तेमाल से परहेज किया गया। इन तरीकों से 28.14 करोड़ रुपये के टिकट खरीदे गए। फिर उन्हें  अधिक कीमत पर बेचकर भारी कमीशन कमाया गया।

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