- महिलाओ ने कहा अब सिलेंडर भराना बस की बात नहीं , साबित हो रही प्रचार योजना
गरीब महिलाओं को चूल्हे की लकड़ी के धुएं से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से बड़े प्रचार बजट के साथ शुरू की गयी प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना महज प्रचार योजना बनकर रह गयी है। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना का खूब प्रचार-प्रसार हुआ। लेकिन लगातार बढ़ रहे एलपीजी सिलेंडर के भाव के कारण योजना कागजी साबित हो रही है। नए भाव के मुताबिक खुले बाजार में एलपीजी घरेलू सिलेंडर का भाव 1003 रुपया है जबकि उज्जवला योजना में सरकार 200 रुपये की सब्सिडी देती है , जो की बाद में बैंक खाते में आता है। लेकिन पिछले दो साल में उज्जवला योजना के तहत मिलने वाले सिलेंडर के भाव में 45 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो चुकी है।
पूरे गुजरात में इस योजना के तहत गरीब परिवारों को गैस कनेक्शन दिया गया लेकिन जैसे-जैसे गैस की कीमत बढ़ती गई, ग्रामीण गरीब महिलाएं गैस से दूर होती गईं और आखिरकार उनकी बारी लकड़ी जलाने और चूल्हे जलाने की वापस आ गयी । जिसके कारण ज्यादातर लाभार्थियों ने गैस सिलेंडर को फिर से भरना बंद कर दिया है।
एलपीजी सिलेंडर महज शो पीस बनकर रह गए
उज्ज्वला योजना के एलपीजी सिलेंडर महज शो पीस बनकर रह गए है। अहवा की महिला सोनल गामित कहती है सिलेंडर मिला था तब अच्छा लगा था लेकिन लगातार बढ़ते भाव के कारण इसको भराना मुश्किल हो रहा है , 800 रूपया बहुत होता है , दो साल पहले सामान्य सिलेंडर 450 में मिल जाता था। यह केवल छलावा साबित हो रही है।
मंजू पिछले महीने से स्टोव पर खाना बना रही हैं। उनको उज्जवला योजना में गैस सिलिंडर मिला हुआ है। उन्होंने बताया कि पहले गैस चूल्हे पर खाना बनाते थे। अब गैस महंगी होने से अंगीठी, स्टोव पर खाना बनाना सस्ता पड़ रहा है। सिलिंडर बहुत कम भराते हैं। अब गैस चूल्हे पर खाना बनाना आम आदमी के बस की बात नहीं। घर के बजट के हिसाब से चलना पड़ता है.
सिलेंडर गैस चूल्हे के अलावा कहीं भी मिल सकते है
अहमदाबाद की मगना पटेल जिसके पति ऑटो रिक्शा चलते है का कहना है कि सरकार के सिलिंडर देने से क्या होगा अगर आम आदमी उसे महंगाई के चलते प्रयोग ही नहीं कर पाए। योजना के तहत सिलिंडर और चूल्हा मिला। जब तक बजट में था उनका उपयोग भी कर रहे थे लेकिन अब गैस चूल्हा बजट से बाहर हो गया है। फिर से मिट्टी के चूल्हे पर लौट आए हैं।
यही हकीकत ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में हैं। सिलेंडर गैस चूल्हे के अलावा बाकि कहीं भी मिल सकते है। लकड़ी के ढेर में , घर के कोने में या फिर छत में। खाना पकाने की जगह वह केवल अपनी सांकेतिक उपस्थिति दर्ज कराने की भूमिका में रह गए हैं।
डेढ़ साल में घरेलू गैस के 6 बार दाम बढ़ गए
पिछले डेढ़ साल में घरेलू गैस के 6 बार दाम बढ़ गए हैं। 16 अगस्त, 2021 को दाम बढ़ने के बाद सिलिंडर 872. 50 रुपये, एक अक्तूबर 2021 को 897.50 रुपये, 21 मार्च, 2022 को 912.50 रुपये और अप्रैल सिलेंडर 962.50 रुपये जबकि अभी 1003 रुपये है।
गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता डॉ मनीष दोषी कहते है यह प्रचार की सरकार है। मोदी सरकार ने सिलेंडर के साथ सरकार ने चूल्हे का भाव भी बढ़ा दिया है। इस सरकार के लिए आम आदमी की कोई हैसियत ही नहीं है उसको केवल अपने दोस्त उद्योगपतियों की चिंता है। मई तो खाऊंगा लेकिन दूसरे को खाने नहीं दूंगा के मूल मंत्र पर सरकार चल रही है। चूल्हा सिलेंडर और खाद्य पदार्थ सब लगातार महंगे हो रहे है। सरकार सीधे चूल्हे पर चोट कर रही है।
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