गुजरात में सावन भादों के प्रारंभ के साथ ही मच्छरों से होने वाले रोगों की संख्या में बढ़ावा देखा जा रहा है। हालांकि 2020 में मच्छरों से होने वाले रोगों की संख्या में सबसे कम बढ़ावा देखा गया था। पर आश्चर्य की बात यह है की 2021 में फिर से मच्छरों से होने वाली बीमारियाँ जैसे डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनीया में फिर से बढ़त हुई है। आंकड़ों के अनुसार पिछले 5 वर्षों में 40,000 लोग डेंगू, 1.25 लाख लोग मलेरिया व 40,500 से अधिक लोग चिकनगुनिया की चपेट में आए है, AMC अथवा अहमदाबाद म्यूनिसपल कॉर्पोरैशन के आंकड़ों के अनुसार अहमदाबाद में 21 जनवरी 2021 से 21 अगस्त 2021 तक मलेरिया के 362 मामले, डेंगू के 302 और चिकनगुनिया के 249 केस सामने आए है।
अहमदाबाद म्यूनिसपल कॉर्पोरैशन के आरोग्य अधिकारी भावीन सोलंकी के अनुसार, “पिछली बार कोविड की वजह से इन आंकड़ों में कमी देखी गई थी। पिछले 5 वर्ष के आंकड़ों के अनुसार इस बार अत्यंत बढ़त आई है जो चिंताजनक है। और AMC अब से इस चीज पर ध्यान दे रही है और सतर्क हो गई है।”
AMC आरोग्य भवन के मलेरिया डिपार्ट्मन्ट के मुख्य राजेश शर्मा के अनुसार “इस बार मई में आए ताऊते के बाद ही मलेरिया चिकनगुनिया व डेंगू का प्रकोप अधिक देखा जा रहा है।”
इसी पर वाइब्ज़ ऑफ इंडिया ने कुछ फिज़िशन डॉक्टरों से बात की ,उनके अनुसार इस स्थिति को लेकर भिन्न भिन्न प्रतिक्रियाए सामने आई।
आश्रम रोड स्थित राज अस्पताल के डॉक्टर शब्बीर गडी के अनुसार,“पिछली बार सभी लोग अपने घरों में थे और बाहर आना जाना नहीं हो रहा था, जिसके रहते गंदगी भी नहीं हो रही थी तो मच्छरजनित रोगों की संख्या अत्यंत कम थी। 2020 की स्थिति की बात करू तो ,उस वक़्त डेंगू मलेरिया के मरीज तो शायद आ ही नहीं रहे थे, पर अभी हर रोज मेरे क्लिनिक में 3 से 4 मरीज चिकनगुनिया, 2 से 3 डेंगू व 1 से 2 मलेरिया के रोगियों का इलाज किया जा रहा है।
डॉक्टर प्रवीण गर्ग के अनुसार’ “पिछले एक महीने से कोरोना से ज्यादा मौसमी बीमारियों के मामले बढ़ रहे है,जिसमे मेरे पास ही रोजाना मौसमी बीमारीयों में 20 से 25 मरीज आते है जिनके मुख्य लक्षण हाथ पैरों में दर्द व बुखार है। इन रोगों के बढ़ने की मुख्य वजह है अगर एक साथ बारिश हो जाती है तो, स्वच्छता अच्छे से हो जाती है वहीं बात करे थोड़ी थोड़ी कर होने वाली बररिश की तो इसमे मौसमी बीमारियों का खतरा अत्यधिक रहता है। यही नहीं अहमदाबाद म्यूनिसपल कॉर्पोरैशन भी शुरुआती दौर में मात्र कोविड को लेकर तैयार था पर अब वक़्त के साथ मौसमी बीमारियों को लेकर वों अत्यंत सक्रिय हो रहे है। और सबसे अधिक कन्स्ट्रक्शन साइट्स, जहां निर्माण कार्य चल रहा है उस जगह पर मच्छरों के इकट्ठा होने का खतरा होता है।”
डॉक्टर सिद्धार्थ मुखर्जी के अनुसार, “अभी एक दिन के अंदर ही 10 डेंगू के व 15 चिकनगुनिया के मरीज आते है, जबकि पिछली बार ऐसा नहीं हुआ था। और डेंगू में पहली और दूसरी स्टेज के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे है । और इसका सीधा संबंध ना केवल पानी से जनित अस्वच्छता बल्कि गमलों में जमा पानी एवं कूड़े के संग्रहण से भी है।”
सरकारी अस्पतालों के आंकड़ों में बहुत बड़ा अंतर
वाइब्स ऑफ इंडिया ने एक सरकारी अस्पताल के डॉक्टर से भी बात की। और निजी अस्पतालों और सरकारी अस्पतालों के आंकड़ों में बड़ा अंतर था। एलजी अस्पताल की डॉ.संगीता पारेख ने कहा कि, “उनके अस्पताल में प्रतिदिन 50 से 70 मरीज ओपीडी मलेरिया से पीड़ित होते हैं। जबकि भर्ती मरीज प्रतिदिन 150 से 200 मरीज देखे जाते हैं।लेकिन हर साल की तुलना में इस साल वायरल मलेरिया के मामले कम हैं इसलिए मरने वालों की संख्या हर साल की तुलना में कम है। भदरवा के महीने में मच्छर जनित बीमारियों में काफी वृद्धि होती है। इस साल जितने मामले हैं, उतने मामले हर साल सामने आ रहे हैं। जिसमें कोई बहुत बड़ा अंतर नहीं देखा गया। सूखे की स्थिति में मामलों को कम किया जाना चाहिए। लेकिन जब तक लोग स्वच्छता नहीं रखेंगे,तब तक यह मामले नहीं बदलेंगे।