राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षाओं को “पारदर्शी, सुगम और निष्पक्ष” बनाने के लिए इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली सात-सदस्यीय समिति ने शिक्षा मंत्रालय को 101 सिफारिशें दी हैं। यह पैनल NEET-UG पेपर लीक के बाद जून में गठित किया गया था।
पैनल की मुख्य सिफारिशें निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित हैं:
1. NTA के कार्यक्षेत्र को सीमित करना
- प्राथमिक ध्यान: नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को केवल प्रवेश परीक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और फिलहाल भर्ती परीक्षाओं का संचालन बंद कर देना चाहिए जब तक कि इसकी क्षमता में वृद्धि न हो।
- कर्मचारियों की नियुक्ति: NTA में दो अतिरिक्त महानिदेशक और क्षेत्र-विशेषज्ञों की नियुक्ति की सिफारिश की गई है ताकि आउटसोर्सिंग पर निर्भरता कम की जा सके।
- आंकड़े: NTA ने 2018 से अब तक 244 परीक्षाओं का संचालन किया है। 2019-2021 के दौरान प्रति वर्ष औसतन 67 लाख उम्मीदवार पंजीकृत होते थे, जो 2022-23 में बढ़कर 122 लाख हो गए।
2. राज्य और जिला अधिकारियों को शामिल करना
- समन्वय समितियाँ: राज्य और जिला स्तर पर NTA, नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC), पुलिस और खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों की समितियाँ बनाई जाएं, जो परीक्षा की रणनीति तैयार करें और प्रश्न पत्र की सुरक्षित ढुलाई सुनिश्चित करें।
- परीक्षा केंद्रों की सुरक्षा: मतदान केंद्रों की तरह परीक्षा केंद्रों को भी परीक्षा से पहले सील किया जाए और सुरक्षा बलों की निगरानी में रखा जाए।
- प्रभारी अधिकारी: प्रत्येक परीक्षा केंद्र में NTA का एक प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया जाए।
3. परीक्षा प्रक्रिया में सुधार
- मल्टी-सेशन और मल्टी-स्टेज परीक्षा: परीक्षाओं को कई सत्रों में आयोजित किया जाए; NEET-UG के लिए JEE मेन और एडवांस की तरह मल्टी-स्टेज प्रणाली अपनाई जाए।
- परीक्षा केंद्र आवंटन: उम्मीदवारों को उनके जिले में परीक्षा केंद्र आवंटित किया जाए, और दूरस्थ क्षेत्रों के लिए मोबाइल परीक्षा केंद्र स्थापित किए जाएं।
- प्रश्न पत्र की सुरक्षा:
- प्रश्न पत्र को एन्क्रिप्टेड स्वरूप में गोपनीय सर्वर पर भेजा जाए और परीक्षा केंद्र पर प्रिंट किया जाए।
- प्रश्न पत्र उम्मीदवारों को सीधे कंप्यूटर के माध्यम से प्रदान किया जाए और उनके उत्तर OMR शीट पर रिकॉर्ड किए जाएं।
- उम्मीदवार की पहचान सत्यापन: Digi-Exam प्रणाली लागू की जाए, जिसमें उम्मीदवार के बायोमेट्रिक्स को परीक्षा केंद्र पर सत्यापित किया जाएगा।
4. दीर्घकालिक उपाय
- सामंजस्यपूर्ण प्रवेश परीक्षाएँ: स्नातक स्तर पर प्रवेश के लिए एक समान पात्रता और परीक्षा मानदंड लागू किए जाएं।
- कंप्यूटर-अडैप्टिव टेस्टिंग: कंप्यूटर-अनुकूल परीक्षण प्रणाली अपनाई जाए, जिसमें उम्मीदवार की क्षमता के आधार पर प्रश्न दिए जाएं। इससे परीक्षा की सुरक्षा और व्यक्तिगत आकलन में सुधार होगा।
- CBT के लिए बुनियादी ढाँचा:
- केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय के साथ साझेदारी कर डिजिटल बुनियादी ढाँचा विकसित किया जाए।
- 400-500 कंप्यूटर-आधारित परीक्षा केंद्रों का एक राष्ट्रीय नेटवर्क तैयार किया जाए, जिसमें एक सत्र में 2-2.5 लाख उम्मीदवारों के लिए क्षमता हो।
- निजी सेवा प्रदाताओं पर निर्भरता को कम किया जाए।
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