- वार गेम अनुसंधान और विकास केंद्र स्थापित करने के लिए हुआ समझौता
गुजरात के राष्ट्रीय रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय (आरआरयू) भारतीय सेना को दिल्ली में एक वार गेम अनुसंधान और विकास केंद्र स्थापित करने में मदद करेगा। केंद्र युद्ध कौशल को तेज करने के लिए नई युद्ध रणनीतियों, अधिग्रहण रणनीति और आधुनिक युद्ध के तरीके का पाठ्यक्रम विकसित करने में मदद करेगा।
गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय (आरआरयू )ने इसके लिए भारतीय सेना और टेक महिंद्रा के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। आरआरयू में साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्कूल ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी विभाग के कर्नल निधि भटनागर के साथ वारगेमिंग डेवलपमेंट सेंटर के ब्रिगेडियर रोहन आनंद, ने हस्ताक्षर किये ।
भटनागर ने कहा कि वार गेम्स एक रूप है, इसकी एक लंबी उपस्थिति है। लेकिन मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने क्षेत्र बदल दिया है। हम इसमें कई तरह के आधुनिक तकनीक का समावेश कर सकते हैं, सैन्य कर्मियों से लेकर मशीनरी और तकनीक तक महत्वपूर्ण हो गए हैं। हम एक उन्नत प्रणाली विकसित कर रहे हैं जो वर्तमान में देश में कहीं भी उपलब्ध नहीं है। जल्द ही इस सुविधा को चालू कर दिया जाएगा।
टेक महिंद्रा की आरएंडडी डिवीजन मेकर्स लैब खेल के विकास के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने में मदद करेगी। यह यूजर्स को रियल एक्सपीरियंस देगा। इसके जरिए यूजर्स को रियल एक्सपीरियंस मिलेगा और वे वारगेम की विभिन्न तकनीकों से भी वाकिफ होंगे और रियल बेसिस पर एक्सपीरियंस भी कर पाएंगे। अधिकारी ने कहा कि यह रणनीति भारतीय सेना के लिए नई रणनीतियों को आकार देने और युद्ध के नए नियम बनाने में मददगार हो सकती है।
इस तरह की वारगेम तकनीक की मदद से भारतीय सेना की एक यूनिट तुरंत आकलन कर सकेगी कि किसी पहाड़ी इलाके में हमला करने पर कितना जोखिम और कितना नुकसान हो सकता है.