मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल ने तब सरकार को फटकार लगाई थी और पूछा था कि टीआरपी गेम जोन के उद्घाटन समारोह में शामिल होने वाले इन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
राजकोट गेम जोन (Rajkot Game zone) में 25 मई को हुए अग्निकांड की जांच के लिए गुजरात सरकार द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) ने शुक्रवार को गांधीनगर में गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी को अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी।
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सुभाष त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली एसआईटी ने अपनी 100 पन्नों की अंतरिम रिपोर्ट में गुजरात पुलिस अधिनियम (जीपी एक्ट) की धारा 33 में कुछ बदलाव का सुझाव दिया है, जो स्थानीय पुलिस को ऐसे गेम जोन को विभिन्न लाइसेंस देने का अधिकार देता है।
त्रिवेदी ने कहा, “हमने आज सरकार को अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है। हमें पुलिस, अग्निशमन विभाग, नगर नियोजन और सड़क एवं भवन विभाग की ओर से चूक मिली है। हमने उनकी लापरवाही के बारे में जरूरी साक्ष्य एकत्र किए हैं और अपनी रिपोर्ट के माध्यम से सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है।”
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “एसआईटी ने गुजरात पुलिस अधिनियम की धारा 33 में कुछ बदलाव सुझाए हैं, जिसके तहत स्थानीय पुलिस ऐसी मनोरंजन सुविधाओं को परिसर लाइसेंस और टिकट लाइसेंस देती है। हम दोषियों को नहीं छोड़ेंगे। एसआईटी की जांच अभी भी जारी है। हम वर्तमान में वरिष्ठ पुलिस और नागरिक अधिकारियों की भूमिका की जांच कर रहे हैं।”
गेम जोन में लगी आग को लेकर गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान 13 जून को वरिष्ठ अधिवक्ता अमित पंचाल ने सोशल मीडिया पर उपलब्ध तस्वीरों का हवाला देते हुए पीठ को बताया कि राजकोट के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, जिला कलेक्टर, राजकोट के नगर आयुक्त और जिला विकास अधिकारी टीआरपी गेम जोन के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे।
मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल ने तब सरकार की आलोचना की थी और पूछा था कि टीआरपी गेम जोन के उद्घाटन समारोह में शामिल होने वाले इन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
आरोपों के बारे में पूछे जाने पर त्रिवेदी ने कहा कि ये अधिकारी इसके खुलने के करीब एक साल बाद वहां गए थे।
त्रिवेदी ने कहा, “हम पहले ही चार आईएएस और एक आईपीएस अधिकारी से पूछताछ कर चुके हैं, जो पहले गेम जोन गए थे और वहां तस्वीरें खिंचवाई थीं। इन अधिकारियों ने एसआईटी को बताया कि वे मार्च 2022 में अपने परिवार के सदस्यों के साथ एक अधिकारी का जन्मदिन मनाने वहां गए थे। यह गेम जोन का उद्घाटन कार्यक्रम नहीं था, जैसा कि दावा किया जा रहा है।”
अधिकारी ने कहा कि जांच पूरी करने से पहले जरूरत पड़ने पर एसआईटी अन्य आईएएस और आईपीएस अधिकारियों से भी पूछताछ करेगी। 25 मई को लगी भीषण आग में बच्चों समेत 27 लोग जलकर मर गए थे।
पुलिस द्वारा की गई जांच में पता चला कि गेम जोन राजकोट नगर निगम के अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के बिना चल रहा था।
घटना के बाद, राज्य सरकार ने आग के कारणों, सिस्टम में खामियों का पता लगाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों का सुझाव देने के लिए त्रिवेदी के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया।
राज्य सरकार ने हाल ही में गुजरात उच्च न्यायालय को सूचित किया कि एसआईटी 20 जून तक अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी और उसके अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
अब तक पुलिस ने गेम जोन के पांच मालिकों और छह सरकारी अधिकारियों को आग के सिलसिले में गिरफ्तार किया है।
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