राजस्थान राज्य वन विभाग (Rajasthan state Forest Department) के पास केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) के अंदर एक चिड़ियाघर बनाने का प्रस्ताव है, जिसे भरतपुर पक्षी अभयारण्य के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें विभिन्न प्रकार की वेटलैंड प्रजातियों (wetland species) जैसे कि गैंडे, जल भैंस, मगरमच्छ, डॉल्फ़िन और विदेशी प्रजातियों को रखा जा सकता है।
राजस्थान वानिकी (Rajasthan Forestry) और जैव विविधता विकास परियोजना (RFBDP) की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) के अनुसार, वेटलैंड एक्स-सीटू कंजर्वेशन एस्टैब्लिशमेंट (WESCE) कहे जाने वाले इस चिड़ियाघर का उद्देश्य “केओलादेव राष्ट्रीय उद्यान की जैव-विविधता का कायाकल्प करना” है। जिससे इसके उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्यों को बढ़ावा मिलता है।
भरतपुर के लिए 15 करोड़ रुपये की WESCE योजना महत्वाकांक्षी RFBDP का हिस्सा है, जिसके लिए फ्रांस सरकार की विदेशी विकास शाखा, Agence Française de Développement (AFD) ने आठ वर्षों में 1,200 करोड़ रुपये तक की धनराशि देने पर सहमति व्यक्त की है।
डीपीआर के मुताबिक केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo national park) के अंदर कई सुविधाओं की योजना है। इनमें स्थानीय रूप से विलुप्त प्रजातियों, जैसे ऊदबिलाव, मछली पकड़ने वाली बिल्लियां, ब्लैकबक्स, हॉग हिरण, आदि के लिए एक प्रजनन और पुन: परिचय केंद्र शामिल है, “पर्यटकों के लिए एक संपार्श्विक प्रावधान के साथ”; गंगा की डॉल्फिन और मगरमच्छ जैसी प्रजातियों के लिए एक मछलीघर; भारतीय राइनो, जल भैंस, बारासिंघा (दलदल हिरण) जैसी बड़ी आर्द्रभूमि प्रजातियों का प्रदर्शन; एक एवियरी, एक सरीसृप घर और एक पशु चिकित्सा देखभाल सुविधा; और पार्क मैनेजर, फील्ड स्टाफ और परिवारों के लिए एक प्रशासनिक ब्लॉक, पर्यटक सुविधाएं और आवासीय क्वार्टर शामिल हैं।
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