जब देश 72वे गणतंत्र दिवस की तैयारियों में व्यस्त हैं उस वक्त में यदि आपको ऐसी खबरें पढ़ने को मिल रही है तो यक़ीनन आपके माथे पर सिकन पडना स्वाभाविक है , लेकिन यह हकीकत है | ,” दलित अधिकार “अभी भी देश के एक बढे हिस्से में यह सफेद कागज में लिखी काली स्याही से ज्यादा कुछ नहीं है | राजस्थान में एक युवक घोड़ी पर चढ़कर बारात स्थल तक जाता है , ऐसे में यह सवाल उठाना स्वाभाविक है कि इसमें खास क्या है ? लेकिन यह कितना खास है इसका अंदाजा आपको वंहा पर मौजूद पुलिस बल की मौजूदगी से हो जाती है |
मेघवाल समाज राजस्थान का दलित समाज है हर सरकार में इस समाज के कुछ लोग कैबिनेट के सदस्य होते हैं लेकिन इन सबके बाद” समानता ” लोहे के चने चबाना जैसे ही है | लेकिन यह हुआ जिला प्रशासन के सहयोग से |
27 वर्षीय श्रीराम मेघवाल जब सफेद रंग की शेरवानी पहने हाथ तलवार पकड़े हुए घोड़ी पर सवार होकर बारात लेकर निकले तो अगल -बगल के 40 चालीस गांव में इतिहास बन गया , श्रीराम का घोड़ी चढ़ना दलित समाज के लिए किसी ” आजादी ” से कम नहीं था भले ही पुलिस और जिला प्रशासन की मौजूदगी में ही यह हुआ हो |
वाइब्स आफ इंडिया से बात करते हुए श्रीराम कहते है की आज़ादी के इतने सालो बाद भी दलितों के अधिकार कागज में नहीं उतर सके है | अकेले बूंदी जिले में ही चालीस से अधिक गांव ऐसे हैं जंहा दलित सामान्य जिंदगी नहीं जी सकते , राजस्थान सरकार में ग्राम सहायक के पद पर पदस्थ राम गर्व से बताते है की वह बीए बीएड है , इसलिए उन्हें अधिकारों को किताब में पढ़ रखा था लेकिन अपने समाज से किसी को घोड़ी पर बैठकर ससुराल जाते नहीं देखा था ,इसलिए सोचा की वह अपनी शादी में घोड़े पर बैठेंगे , वह खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं कि उन्होंने जिला प्रशासन के सहयोग से उनका सपना साकार हो सका |
शिक्षा में स्नाकोत्तर डिग्रीधारी द्रोपदी बेहद उत्साहित होकर वाइब्स आफ इंडिया से कहती है वह अपनी शादी से बेहद खुश है , उनकी शादी ने “कई सपनो ” को पंख दिया | यह उस मानसिकता को बदल देगा जो दलितों को हमेशा नीचे रखने की बात करते हैं। यह समानता की दिशा में एक अच्छा कदम है|
बता दें कि इस बारात की सुरक्षा में भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात था। दूल्हा खुद पुलिसकर्मियों से घिरा हुआ था। उसकी सुरक्षा एकदम वीवीआईपी की तरह थी। इस दौरान बारात में डीजे पर ‘जय भीम’ के नारे लगाने वाले गीत भी बजाए गए।
।” अपने नवाचारों के लिए चर्चित बूंदी पुलिस अधीक्षक जय यादव ने वाइब्स ऑफ़ इंडिया से कहा की दलित समाज में अभी अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए जागरूकता नहीं है , अगर घोड़ी चढ़ने की कोशिश करते तो समाज के एक तबके द्वारा उनका विरोध किया जाता था ,तीन महीने पहले एक घटना प्रकाश में आयी थी , जिसके बाद आपरेशन समानता शुरू किया गया |
जिसमे जिला प्रशासन का भी पूरा सहयोग मिला , जिसके तहत हमने जिले के 30 गांव चिन्हित किये जंहा कभी दलितों की बारात नहीं निकली ,उन गावों में हमने समानता समिति बनायीं जिसमे गांव का प्रधान , पटवारी ,थानाअधिकारी ,समाज कल्याण विभाग के अधिकारी और दलित समाज के लोग होते हैं , वह दलितों के आधिकारो को लेकर उनको जागरूक करते है ,अगर कोई उनके अधिकारों में बाधक बनेगा तो उसके खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी |
पहले तो दलितों के मन में भय था लेकिन कई बैठकों के बाद उनका भरोसा जीता और यह पहली शादी हुयी जिसमे दलित युवक घोड़े पर बैठा , आईपीएस जय यादव ने कहा की बारात का स्वागत करने के लिए वह खुद ,जिलाधिकारी रेणु जयपाल ,समेत जिला प्रशासन के लोग मौजूद थे | बारात चडी गांव से बक्शपुर गयी थी |
जिलाधिकारी रेणु जयपाल ने वाइब्स आफ इंडिया से कहा की उनसे जब दूल्हा के पिता ने 7 जनवरी को इच्छा प्रगट की तो उन्होंने ना केवल सुरक्षा की व्यवस्था उपलब्ध कराई , बल्कि खुद भी बारात के स्वागत में मौजूद थी | जिला प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिया गया है की सबके संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा की जाय |