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राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम की अंतरिम जमानत 1 जुलाई तक बढ़ाई

| Updated: April 8, 2025 14:05

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम बापू को दी गई अंतरिम जमानत की अवधि 1 जुलाई 2025 तक बढ़ा दी है। यह फैसला आसाराम की स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए किया गया है, जिन पर बलात्कार के कई मामलों में सजा हो चुकी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति विनीत कुमार माथुर और न्यायमूर्ति दिनेश मेहता की खंडपीठ ने पारित किया। अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जनवरी में निर्धारित की गई शर्तें इस अंतरिम जमानत पर भी यथावत लागू रहेंगी।

जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को पहली बार मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत दी थी, जो 31 मार्च 2025 तक वैध थी। शर्तों में यह भी शामिल था कि वह समूह में अपने अनुयायियों से नहीं मिलेंगे और प्रवचन नहीं देंगे।

इसके बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने भी मेडिकल आधार पर आसाराम की सजा को अस्थायी रूप से निलंबित किया था, जिससे उन्हें 2013 में गिरफ्तारी के बाद पहली बार जमानत मिली।

अगस्त 2023 से आसाराम को कई बार पैरोल दी गई, जिनमें पुणे के एक अस्पताल में इलाज के लिए अनुमति भी शामिल थी। हालांकि, अंतरिम जमानत के तहत उनके आवागमन पर कोई पाबंदी नहीं है।

आसाराम के वकील निशांत बोरा, यशपाल राजपुरोहित और अन्य ने उनकी अंतरिम जमानत को छह महीने और बढ़ाने की मांग की। कोर्ट को बताया गया कि गुजरात हाईकोर्ट ने भी इसी आधार पर उनकी जमानत 30 जून 2025 तक बढ़ा दी है।

वहीं, पीड़िता के वकील पी.सी. सोलंकी ने अंतरिम जमानत रद्द करने की याचिका दायर की और आरोप लगाया कि आसाराम इस राहत का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि आसाराम न केवल अनुयायियों से मिल रहे हैं, बल्कि प्रवचन भी दे रहे हैं। इसके समर्थन में उन्होंने वीडियो क्लिप्स और समाचार पत्रों की कटिंग भी कोर्ट को सौंपी।

इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था। अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक चौधरी ने दो कांस्टेबलों के बयान कोर्ट में प्रस्तुत किए, जो जमानत अवधि में आसाराम के साथ तैनात थे। दोनों ने गवाही दी कि आसाराम ने किसी प्रकार का प्रवचन नहीं दिया।

कोर्ट ने माना कि कुछ अनुयायियों द्वारा आसाराम से मिलने की ‘छिटपुट घटनाएं’ सामने आई हैं, लेकिन यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उल्लंघन के रूप में नहीं देखी जा सकतीं। आसाराम ने भी एक हलफनामा दाखिल कर कहा कि उन्होंने कोई संगठित प्रवचन नहीं दिया और न ही अनुयायियों से समूह में मुलाकात की।

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा,

“जहां तक आवेदक की चिकित्सकीय स्थिति की बात है, गुजरात हाईकोर्ट ने इस पर गंभीरता से विचार किया है और हम दोबारा उसी विषय पर विचार करने की आवश्यकता नहीं समझते।”

क्या था मामला?

आसाराम को अप्रैल 2018 में जोधपुर की एक अदालत ने एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। यह घटना 2013 में उनके आश्रम में हुई थी। उन्हें भारतीय दंड संहिता, पोक्सो एक्ट और किशोर न्याय अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया।

इसके अलावा जनवरी 2023 में गुजरात के गांधीनगर की सत्र अदालत ने भी उन्हें एक अन्य महिला शिष्या से 2001 से 2006 के बीच बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई। इस मामले में कोर्ट ने पीड़िता को ₹50,000 का मुआवजा देने का आदेश भी दिया था।

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