राजस्थान -दलित को आईपीएस बनने से ज्यादा मुश्किल है घोड़ी चढ़ना

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

राजस्थान -दलित को आईपीएस बनने से ज्यादा मुश्किल है घोड़ी चढ़ना

| Updated: February 17, 2022 21:35

  • राजस्थान में दलित आईपीएस की कड़ी सुरक्षा में निकली बिंदौरी

संविधान सभा में आंबेडकर ने कहा की संविधान कितना भी अच्छा हो अगर उसे लागू कराने वाले और समाज की मानसिकता नहीं बदली तो वह कागज के पुलिंदा से ज्यादा कुछ नहीं साबित होगा।

अगर आज आंबेडकर होते तो शायद ज्यादा दुखी होते। आजादी के सात दशक बात भी मानसिकता संविधान की धाराओं ,उपधाराओं अनुच्छेदों पर भरी पड रही है।

राजस्थान हो या गुजरात ,सरकार किसी की भी हो लेकिन मानसिकता हर जगह एक है। यदि आपको लगता है कि पद से धारणा बदल जाती है तो यह भ्रम है। राजस्थान के दलित युवक सुनील कुमार धनवंता को आईपीएस बनने से ज्यादा मुश्किल घोड़ी पर चढ़ना रहा।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र रहे सुनील को अपने जेएनयू का होने पर गर्व है और इसका सामूहिक प्रदर्शन भी वह अपने ट्विटर एकाउंट से करते हैं।

2020 बैच के आईपीएस सुनील इसके पहले आईआरटीएसएस में चयनित हुए थे। सामान्य पारिवारिक पृष्ठिभूमि के सुनील ने अपने ट्वीटर एकाउंट में “संविधानवादी ” लिख रखा है , संविधान कागजों से निकल कर ट्वीटर तक का ही सफर तय कर पाया है , जमीन से दिमाग का सफर अभी संविधान से कोसो दूर है।

बिना दहेज़ के विवाह कर रहे यूपीएससी में हिंदी माध्यम के टॉपर रहे , आईआईटी दिल्ली से बीटेक करने वाले सुनील कुमार धनवंता की शादी भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी निशा धवल से हो रही है।

लेकिन इस उच्च पदस्थ जोड़े की शादी के पहले बिंदौरी निकालने के लिए पुलिस का सहारा लेना पड़ा। एक साल पहले ‘न्याय होना ही नहीं दिखना भी चाहिए’ ट्ववीट करते समय उन्होंने सोचा भी नहीं होगा अपने मुलभुत अधिकार के इस्तेमाल के लिए भी उन्हें पुलिस की मौजूदगी को देखना पडेगा.

राजस्‍थान में आज भी दलित दूल्‍हों का घोड़ी चढ़ना और धूमधाम से बारात निकालना कथित उच्‍च जातिवालों को नांगवारा है. यहां दलितों की बारातों पर होना हमला होना आम बात है.

पर अब प्रशासन दलित दूल्‍हों को सुरक्षा देने की पहल करता दिख रहा है. दलित आईपीएस ऑफि‍सर सुनील कुमार धनवंता की बिंदौरी पुलिस के सख्‍त पहरे के बीच निकाली गई.

यह पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है.


IPS सुनील धनवंता की शादी 18 फरवरी को है और खास बात यह है कि वह बिना दहेज लिए शादी कर समाज में मिसाल कायम कर रहे हैं.दरअसल, जयपुर (Jaipur) के शाहपुरा इलाके के भाबरू थाने इलाके के भगतपुरा जयसिंहपुरा गांव के रहने वाले दलित आईपीएस अधिकारी सुनील कुमार धनवंता की बिंदौरी के लिए पुलिस-प्रशासन ने पूरे गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया था. हर तरफ पुलिस का सख्‍त पहरा दिख रहा था.

इस क्षेत्र में दलित दूल्हों की बिंदौरी के दौरान बाधा डालने की पूर्व की घटनाओं के मद्देनजर यह व्‍यवस्‍था की गई.मंगलवार को सूरजपुरा निवासी उसके परिवार के लोगों ने दूल्हे को बान पर आमंत्रित किया था. इस पर दूल्हा धूमधाम से घोड़ी पर बैठकर डीजे के साथ सूरजपुरा पहुंचा.

यहां परिवार के लोगों ने घोड़ी पर उसकी बिंदौरी निकाली.वहीं, आईपीएस सुनील धनवंता का कहना है कि उन्‍होंने पुलिस से कोई सुरक्षा नहीं मांगी थी. ऐहतियातन तौर पर पुलिस ने पर सुरक्षा व्यवस्था की थी. इस दौरान एडीएम और एसडीएम सहित कई अधिकारी और भारी पुलिस फोर्स यहां तैनात रही.

शाम को कड़ी पुलिस सुरक्षा में आईपीएस की बिंदौरी निकाली गई। इस संबंध में जयपुर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक मनीष अग्रवाल का कहना है कि दूल्हों की बिंदौरी के दौरान व्यवधान की पुरानी घटनाओं के मद्देनजर एहतियात के तौर पर सूरजपुरा गांव में पुलिस अधिकारी की बिंदौरी में पुलिस फोर्स तैनात की गई थी

. आईपीएस सुनील ने जिला प्रशासन का सकुशल बिंदौरी निकालने के लिए पुलिस व्यवस्था देने के लिए आभार भी जताया है। आईपीएस अधिकारी की शादी और बिंदौरी पुलिस सुरक्षा के बीच हो रही है। वह भी राज्य की राजधानी जयपुर में।

गांव से कायम रखा है जुड़ाव


सुनील आईपीएस होने के बाद भी सूरजपुर गांव से जुड़े रहे है। गांव की सरकारी स्कूल में गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम हो ,या गांव में पंचायत द्वारा बनायीं गयी पुस्तकालय का उद्धघाटन , सुनील की मौजूदगी उनके जमीन से जुड़े होने का अहसास कराती है। समानता और समता का अंतर भी उनका ट्विटर एकाउंट दर्शाता है।

https://twitter.com/SunilDhanwanta/status/1395216083464777728?s=20&t=o59NwL3EUEuo9ZfLEcWtBg

शायद समता तो आ गयी लेकिन समानता अभी बाकि है। सुनील कुमार के ही शब्दों में।

Your email address will not be published. Required fields are marked *