राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने हाल में ही नई सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (MSME) नीति की घोषणा की है। इसका लक्ष्य राज्य में 20 हजार नई एमएसएमई इकाइयों की स्थापना है। इसमें 10 हजार करोड़ रुपये के निवेश होने और एक लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। इसमें मदद करने के लिए सरकार आगे आ रही है। इसके लिए लोगों को लोन भी दिए जा रहे हैं।
नई पॉलिसी में 9000 एमएसएमई को ‘जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट’ (ZED) सर्टिफिकेट की सुविधा देने का भी प्रस्ताव है। इससे उत्पादकता बढ़ेगी, बर्बादी कम होगी, ऊर्जा की बचत होगी और पर्यावरण के प्रति भी लोगों में जागरूकता बढ़ेगी। बता दें कि राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में एमएसएमई सेक्टर का योगदान 24.5% होने का अनुमान है, जबकि 2021-22 में एमएसएमई उद्योगों द्वारा कुल निर्यात 72,000 करोड़ रुपये था। उद्योग लगाने के लिए सरकार छोटे कारोबारियों और निवेशकों की मदद कर रही है। सरकार की कोशिश है कि नई इकाई लगाने के लिए उनको आसान शर्तों पर लोन मिले। लोन देने के लिए 150 करोड़ रुपये रखा गया है।
नई पॉलिसी का मकसद राज्य के जीडीपी और निर्यात में एमएसएमई सेक्टर का योगदान बढ़ाना है। राज्य सरकार को उम्मीद है कि इससे लोगों को रोजगार मिलेगा और औद्योगिक विकास होगा। अनुमान है कि हस्तशिल्प नीति से इस सेक्टर में आने वाले 5 सालों में 50 हजार से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
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