राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot) ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के हालिया अवलोकन का स्वागत किया कि यह सुनिश्चित करना केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act) के तहत खाद्यान्न अंतिम आदमी तक पहुंचे।
उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार (Rajasthan government) मांग करती रही है कि केंद्र वर्तमान जनसंख्या के आधार पर एनएफएसए (NFSA) का दायरा बढ़ाए।
“यह हमारी संस्कृति रही है कि कोई भी खाली पेट न सोने पाए,” सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 6 दिसंबर को कहा और केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि एनएफएसए (NFSA) के तहत खाद्यान्न अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।
अदालत COVID-19 महामारी और लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों (migrant workers) की दुर्दशा से संबंधित एक जनहित मामले की सुनवाई कर रही थी।
ट्विटर पर अदालत की सुनवाई पर एक समाचार रिपोर्ट साझा करते हुए श्री गहलोत ने कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का स्वागत करते हैं। केंद्र से हमारी लगातार मांग रही है कि वर्तमान जनसंख्या के आधार पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act) का दायरा बढ़ाया जाए। सभी नागरिकों को भोजन उपलब्ध कराना हर सरकार की जिम्मेदारी है। राजस्थान सरकार ने इस संकल्प के साथ महामारी के दौरान सभी को भोजन उपलब्ध कराया कि, कोई भी भूखा नहीं सोना चाहिए”, उन्होंने कहा।
मुख्यमंत्री ने कहा, “आज भी राज्य में लगभग 900 इंदिरा रसोई (Indira Rasoi) चल रही हैं, जहां 8 रुपये में भरपेट खाना मिलता है, जिसमें राज्य सरकार 17 रुपये प्रति प्लेट की सब्सिडी देती है।”
सरकार ने 10 सितंबर, 2013 को एनएफएसए (NFSA) को अधिसूचित किया, जिसका उद्देश्य लोगों को सम्मान के साथ जीवन जीने के लिए उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण भोजन की पर्याप्त मात्रा तक पहुंच सुनिश्चित करके खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करना है।
यह अधिनियम लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Targeted Public Distribution System) टीपीडीएस के तहत रियायती खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए ग्रामीण आबादी के 75 प्रतिशत तक और शहरी आबादी के 50 प्रतिशत तक कवरेज का प्रावधान करता है।
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