गुजरात में शराबबंदी का क़ानून हमेशा से ही चर्चा में रहा है । वही दूसरी ओर गुजरात उच्च न्यायालय ने गुजरात में शराबबंदी को चुनौती देने वालीएक याचिका पर सुनवाई करना स्वीकार कर लिया है जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रतिबंध निजता के अधिकार के खिलाफ है। याचिका मेंआगे तर्क दिया गया है कि सरकार यह तय नहीं कर सकती कि कोई व्यक्ति अपने घर के परिसर के अंदर क्या खाएगा या पीएगा। याचिकाकर्ताने शराबबंदी कानून को चुनौती देते हुए निजता के अधिकार का इस्तेमाल किया है। इसी पर वाइब्ज़ ओफ़ इंडिया ने गुजरात निवासी कई लोगोंकी राय जानी जिनमे :
जामनगर निवासी हर्षल के अनुसार ,”राज्य के लगभग सभी जिलों में दिन के उजाले में प्रतिबंधित शराब की बिक्री / की जाती है । हर दिन हमजब्त शराब की बोतलों को कुचलने और नष्ट करने की खबरें पढ़ते हैं। कम से कम निजी स्थानों पर शराब के सेवन की अनुमति दी जानी चाहिए, इससे न केवल राज्य के लिए कर आय उत्पन्न होगी बल्कि औपचारिक रोजगार भी पैदा हो सकता है और राज्य में कानूनी / अवैध शराब बिक्रीकी वास्तविकता के बारे में पता चल सकेगा।
डॉ दिशा रूपारेलिया भाटे के अनुसार,” मैं वास्तव में नहीं सोचती कि गुजरात में शराब पर प्रतिबंध हटाना एक अच्छा विकल्प है। शराबबंदी सेप्रतिबंध हटाना कोई समाधान नहीं है। आज गुजरात के अधिकतर युवा पान की दुकान पर बैठकर तंबाकू का सेवन करते है और सिगरेट पीते है।स्कूल के समय से ही वे इसका सेवन करना शुरू कर देते हैं। अब अगर बीयर बार या वाइन शॉप खोली जाएगी, तो यह एक अतिरिक्तचिंताजनक स्थिति होगी। शराब के सेवन की छूट दी जाएगी और कुल आबादी का अधिक प्रतिशत शराब क्लब में होगा। गुजरात हमारे राष्ट्रपिताकी “कर्मभूमि” है। गुजरात और गुजराती मिलकर एक शराबमुक्त राज्य होने का गौरव बढ़ा सकते हैं, जैसा कि वे अभी करते हैं। गुजरात में करोंके माध्यम से राजस्व अर्जित करने के लिए पर्याप्त (और शायद अन्य राज्यों की तुलना में अधिक) उद्योगों की संख्या है। शराबबंदी हटाने सेउत्पन्न होने वाली स्थितियों को नहीं रोका जा सकेगा। गरीब ब्रांडेड शराब का खर्चा नहीं उठा सकते, इसलिए शराब का सेवन करते हैं। यदिशराब की बिक्री की अनुमति भी दी जाती है तो भी वे शराब पीते रहेंगे। सरकार को बस अपनी कमर कसने और इसे और सख्ती से लागू करने कीजरूरत है। शराब की खपत ने राज्य में कई समस्याओं को जन्म दिया है। लगभग हर दिन, राज्य में शराब पीकर गाड़ी चलाने से हिट एंड रन कीघटनाएं सामने आती हैं। अधिक से अधिक युवा शराब पी रहे हैं। यह प्रवृत्ति राज्य के भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा है। अगर शराब की बिक्रीको वैध कर दिया जाता है, तो कल्पना कीजिए कि स्थिति क्या होगी?”
भावेश राठौड़ के अनुसार ,”मौजूदा हालत के अनुसार अभी की मांग गुजरात में शराब प्रतिबंध नीति में निश्चित बदलाव की है। गुजरात में शराबपर मौजूदा प्रतिबंध के बावजूद पूरे गुजरात में एक भी शहर ऐसा नहीं है जहां शराब उपलब्ध नहीं है, इसलिए इस स्थिति से निपटने के लिए ठोसकदम उठाए जाने चाहिए. इसके लिए सख्त नीतियां बनानी चाहिए और यह जरूरी है कि उन्हें न केवल कागज पर बल्कि जमीनी स्तर पर भी लागूकिया जाए।” अहमदाबाद निवासी अमित दवे के अनुसार ,”यह एक कठोर कानून है। एक नागरिक के मूल अधिकारों के खिलाफ क़ानून है ,अगर यह गुजरातके लिए बुरा है तो पूरी दुनिया के लिए बुरा होना चाहिए। और यह गुजरात के सुरक्षित राज्य की स्थिति के रूप में यह सवाल भी पैदा करता है कीमतलब दारूबंधी नहीं होगी तो यूपी बन जाएगा?”