प्रधानमंत्री ने शोक जताया लेकिन पुलिस को नहीं मिल रहे एस्पायर-2 के बिल्डर -

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प्रधानमंत्री ने शोक जताया लेकिन पुलिस को नहीं मिल रहे एस्पायर-2 के बिल्डर

| Updated: September 15, 2022 21:06

लिफ्ट लगाने के लिए के लिए नहीं ली गयी थी अनुमति फिर भी पुलिस ने नहीं की जांच

अहमदाबाद के गुजरात यूनिवर्सिटी( Gujarat University) इलाके में निर्माणाधीन  एस्पायर-2  बिल्डिंग (Aspire-2 Building )में लिफ्ट ( lift )गिरने से 7 मजदूरों की दर्दनाक मौत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) , मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल (Chief Minister Bhupendra Patel )समेत राजनेताओं ने शोक जताया लेकिन अहमदाबाद पुलिस (Ahmedabad Police) को यह अभी तक नहीं पाता चल पाया है कि  एस्पायर-2 के बिल्डर कौन हैं (Who is the builder of Aspire 2 ), इसके लिए पुलिस की तरफ से गुज रेरा को पत्र लिखकर बिल्डिंग से जुडी जानकारी मांगी गई है।
 
गुजरात विश्वविद्यालय क्षेत्र स्थित एस्पायर-2 नामक भवन में बुधवार सुबह 8:30 बजे बड़ा हादसा हो गया। इस घटना में पुलिस यह पता नहीं लगा पाई कि आठ मजदूर किस मंजिल से गिरे हैं। एक गंभीर घटना में सात मजदूरों की मौत हो गई है, जबकि पुलिस अभी तक आरोपी ही तय नहीं कर पायी है , चर्चा है कि बिल्डर बेखौफ घूम रहे हैं ।

इस बारे में गुजरात विश्वविद्यालय पुलिस थाने (Gujarat University Police Station) के पी आई वी जे जाडेजा (P I V J Jadeja )ने कहा कि अभी बिल्डरों की पहचान नहीं हो पाई है. इसके चलते सरकार  के रेरा विभाग से नियमों पर रिपोर्ट मांगी गई है और क्या उन्होंने उनका सत्यापन किया है, वहीं यह भी जानकारी मांगी गई है कि कितने भागीदार हैं। गौरतलब है कि, इस मामले में एसीपी और डीसीपी ने स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि कोई जानकारी सामने न आए, इस पर गुजरात विश्वविद्यालय पुलिस में भी चर्चा हो रही है.

हालांकि लिफ्ट लगाने के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी है, लेकिन एस्पायर-2  में लिफ्ट का काम सरकार की मंजूरी के बिना शुरू किया गया था और इसमें कोई सुरक्षा नहीं रखी गई थी. पुलिस की ओर से अभी तक इस दिशा में कोई जांच नहीं की गई है। गुजरात यूनिवर्सिटी के पास जाह्नवी रेस्टोरेंट के पास एडोर ग्रुप का एस्पायर 2  नाम का कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाया जा रहा है, जिसमें लिफ्ट लगायी गयी है. लिफ्ट का संचालन शुरू करने से पहले लिफ्ट और एस्केलेटर के मुख्य निरीक्षक के कार्यालय में आवेदन करना होता है। लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

भवन में लिफ्ट लगाने के आवेदन के साथ ही निर्माण योजना के साथ-साथ एस्केलेटर की स्थिति में 500 रुपये एवं 1000 रुपये स्वीकृति शुल्क देना होता है। इसके अलावा प्लान, कंस्ट्रक्शन अप्रूवल की कॉपी, पार्टनरशिप डीड की कॉपी या डायरेक्टर्स की लिस्ट समेत दस्तावेज जमा करने होते हैं ।  लिफ्ट और एस्केलेटर के निरीक्षक दस्तावेजों को सत्यापित करने के बाद मंजूरी देते हैं लेकिन किस  नेता के कहने पर ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई और नगर निगम में किसी के कहने पर भवन का निरीक्षण नहीं किया गया ,इसकी चर्चा जोरों पर है।

एस्पायर-2 की निर्माणाधीन साइट

कुछ अधिकारी के अनुरोध पर पुलिस ने एफएसएल को भी देर से बुलाया

एस्पायर 2  नामक व्यावसायिक परिसर के निर्माण के दौरान सात मजदूरों की मौत के मामले में यह स्पष्ट है कि स्थानीय अधिकारियों और उच्च अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है, सामान्य मामलों में, एफएसएल( FSL) को तुरंत साइट का निरीक्षण करने के लिए बुलाया जाता है, लेकिन  इस मामले में बिल्डर होने के कारण एफएसएल को देर से सूचना दी गई। कहा जाता है कि बिल्डरों को गिरफ्तार न करने के लिए एफएसएल अधिकारी को देर से साइट पर बुलाया गया था ताकि सबूत स्पष्ट रूप से न मिलें।

अहमदाबाद में एस्पायर 2 की घटना में कुछ पुलिस अधिकारी  बिल्डर के संपर्क में

गुजरात यूनिवर्सिटी इलाके में हुई इस घटना में सात बेगुनाह लोगों की जान चली गई है. कुछ शीर्ष अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के इस साइट के निर्माण कर्ताओं के संपर्क में होने की चर्चा है। चर्चा यह भी है कि बिल्डरों ने बुधवार शाम से ही अपने फोन बंद कर लिए हैं। ऐसे में चर्चा चल रही है कि 3-3 मोबाइल रखने वाले कुछ पुलिसकर्मी और अधिकारी इनके संपर्क में हैं. पुलिस को सीसीटीवी फुटेज भी जारी करने में 24 घंटे से अधिक का समय लगा।

यूनिवर्सिटी के एस्पायर-2 बिल्डिंग हादसे में 7 मजदूरों की मौत, फिर भी बिल्डर को बचने में किसकी दिलचस्पी

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