सिल्वर स्क्रीन पर अपनी अदाकारी से लोगों के मन को मोह लेने वाले दिलीप कुमार की मृत्यु की खबर से पूरा बॉलीवुड सदमे में है । चाहे वो फ़िल्मों की बात हो या गीतों की ,दिलीप कुमार के गीत चाहे कितने भी पुराने हो जाए पर आज भी लोगों की ज़ुबान पर बने हुए है चाहे वो देशभक्ति की बात हो या प्यार मोहब्बत की हर स्थिति के लिए दिलीप कुमार के गीत दर्शकों के ज़ेहन में अपना एक अलग स्थान बनाए है । दिलीप साहब की फिल्मों में हमेशा बेहतरीन हीरोइनें और सबसे मधुर गाने होते थे। आइए एक नजर डालते हैं अभिनेता के हिट गानों पर-
- उड़े जब जब ज़ुल्फ़ें तेरी (1957)
फिल्म नया दौर का बहुत प्रसिद्ध और मनभावन गीत ‘उड़े जब जब ज़ुल्फ़ें तेरी’ आज भी आशिक़ों के बीच एक अलग ही वर्चस्व बनाए है ।इस गाने को सुपर सिंगर आशा भोंसले और मोहम्मद रफी ने गाया है।
2. दो सितारों का जमीं पर है मिलन (1960)
फिल्म कोहिनूर का सबसे पुराना रोमांटिक गीत जिसे लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी ने गाया है। इस गाने के शब्द ही मानो एक अलग ही दुनिया में ले जाते है ।
3. माँग के साथ तुम्हारा (1957)
फ़िल्म नया दौर का यह गीत आज भी लोगों के बीच अपनी प्रसिद्धि बनाए है । इस गीत में बॉलीवुड की खूबसूरत अभिनेत्री वैजयंतीमाला दिलीप जी के साथ थी । इस गीत को आशा भोंसले व मोहम्मद रफ़ी ने गाया है ।
4. रेशमी सलवार कुर्ता झाली का (1957)
फ़िल्म नया दौर के इस गीत में दिलीप कुमार को देख किसी भी लड़की का दिल ज़ोरों से धड़कने लगता था । और वो दिलीप जी के जैसे जीवन साथी के सपने सजाने लगती थी इस गीत को आशा भोंसले व शमशाद बेगम ने गया है ।
5. मधुबन में राधिका नाचे रे (1960)
कोहिनूर फ़िल्म के इस गीत का शास्त्रीय संगीत में अत्यंत महत्व है , इस गीत को मोहम्मद रफ़ी साहब ने गया है ।
6. ये देश है वीर ज़वानो का (1957)
राष्ट्रीय दिवस पर फ़िल्म नया दौर का यह गीत ना हो तो अधूरा सा लगता है । इस गीत को मोहम्मद रफ़ी व एस. बलबीर ने गया है ।
7. ये मेरा दीवानापन है (1958)
यह गीत यहूदी फ़िल्म में दर्शाया गया था , और इस गीत को मशहूर गीतकार मुकेश ने गाया है ।
8. साला मैं तो साहब बन गया (1974)
इस गीत में दिलीप जी को देखकर कोई भी मोहित हो जाए , यह गीत सगीना में फ़िल्माया गया था ।
9. सुहाना सफ़र और ये मौसम हँसीं
मुकेश द्वारा गाया गया सुहाना सफर दिलीप कुमार के प्रशंसकों के लिए एक ट्रीट है, क्योंकि स्क्रीन प्रकृति के बीच उनकी सुंदर उपस्थिति मानो सोने पर सुहागा है ।
10. दिल दिया हैं जान भी देंगे (1986)
यह शीर्षक गीत भारत के सबसे पसंदीदा आधुनिक देशभक्ति गीतों में से एक है। सुभाष घई द्वारा निर्देशित फिल्म कर्म से, इसे मोहम्मद अजीज और कविता कृष्णमूर्ति ने गाया है। गाने में फ्लैशबैक भी दिखाया गया है।
11. साथी हाथ बढ़ाना (1957)
नया दौर का लोकप्रिय गीत साथी हाथ बढ़ाना है। यह एक प्रेम गीत नहीं है बल्कि एक टीम के रूप में एक साथ काम करने और एक साथ काम करने के बारे में है।इस गीत को अगर मोटिवेशनल गीत की श्रेणी में रखा जाए तो ग़लत नहीं होगा ।
12. अपनी आज़ादी को हम (1964)
लीडर फिल्म का यह गीत मोहम्मद रफी द्वारा गाया गया अपनी आजादी को गाना काफी लोकप्रिय था। वास्तव में, यह अभी भी भारतीयों द्वारा अभी भी आज़ादी के दिन देशभक्ति की भावना प्रकट करने के लिए चलाया जाता है।
13. छोटी सी उमर में लग गया ( 1976)
बैराग फ़िल्म के इस गाने में प्यारी सायरा बानो दिलीप कुमार की वास्तविक जीवन की पत्नी उनके साथ हैं ।
14. इमली का भूटा (1991)
सुभाष घई की फिल्म सौदागर में दिलीप कुमार और राज कुमार फिर साथ आए। उनका गाना इमली का बूटा बेरी का पेड़ दोस्ती की एक मिसाल दिखाते है । इस गाने को मोहम्मद अजीज और सुदेश भोंसले ने गाया है
15. सारे शहर में (1976)
इस गीत में दिलीप कुमार और लीना चंदावरकर की केमिस्ट्री मानो देखते ही बनती है , यह गीत बैराग फ़िल्म का है और इसे मोहम्मद रफी और आशा भोंसले द्वारा गाया गया था।
16. नैन लड़ जई है (1961)
गंगा जमुना फ़िल्म का यह गीत दिलीप कुमार के सबसे लोकप्रिय गीतों में से एक है। मोहम्मद रफ़ी द्वारा गाया गया, नैन लड़ गई गीत के बोल भी मज़ेदार हैं।
17. दिल तड़प तड़प के (1958)
मधुमती फ़िल्म का यह गीत मुकेश और लता मंगेशकर द्वारा गाया गया है यह गीत अभी भी श्रोताओं का पसंदीदा है
18. मुझे दुनिया वालों शराबी ना समझो(1964)
मुझे दुनिया वालो शराबी ना समझो फिल्म लीडर से मोहम्मद रफी द्वारा गाया गया गीत है , और इस गीत में दिलीप कुमार जी के किरदार निभाने की शैली बहुत स्पष्ट रूप से नज़र आती है ।
19. तेरे हुस्न की (1964)
देशभक्ति फिल्म में एक प्रेम गीत के रूप में इसे मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर ने गाया है। नौशाद द्वारा रचित अरबी, स्पेनिश और जैज़ के संकेत के साथ संगीत भारतीय मिश्रित है।
20. हुए हम जिनके लिए बर्बाद (1951)
दीदार फ़िल्म का यह गीत, नौशाद द्वारा विशिष्ट धुन के साथ लिखा गया , इस गीत को मोहम्मद रफ़ी के गायन ने अमर बना दिया।