दिसंबर के बाद मुफ्त अनाज योजना को बंद करने के बाद सरकार केंद्रीय पूल में स्टॉक की स्थिति का आकलन करने के लिए अंतर-मंत्रालयी परामर्श में लगी हुई है। इसलिए कि वह गेहूं के निर्यात पर मई 2022 के प्रतिबंध को हटाने पर सोच रही है। एक सीनियर अधिकारी ने कहा, बाजार में स्टॉक की आपूर्ति और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (NFSA) के तहत आवश्यक वितरण को ध्यान में रखते हुए उपाय किए जा रहे हैं।
23 दिसंबर को सरकार ने पीएमजीकेएवाई को बंद करने की घोषणा की थी, जिसके तहत उसने लगभग 81.35 करोड़ लोगों को प्रति माह 5 किलोग्राम अनाज मुफ्त में देना बंद कर दिया। इसमें एनएफएसए के तहत हर व्यक्ति को 5 किलोग्राम प्रति माह अनाज 2-3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से अतिरिक्त मिला करता था। लेकिन सरकार ने जनवरी 2023 से एक वर्ष के लिए एएफएसए के तहत 5 किलोग्राम/व्यक्ति/माह अनाज मुफ्त उपलब्ध कराने का निर्णय लिया।
अधिकारी ने बताया, “खाद्य सुरक्षा मुख्य चिंता है … हम इस तथ्य के प्रति बहुत सचेत हैं कि हमें खाद्य आपूर्ति और खाद्य सुरक्षा बनाए रखनी है।” उन्होंने कहा, “कोरोना महामारी के दौरान शुरू की गई योजनाओं को अचानक नहीं रोका जा सकता है। हम सार्वजनिक उपभोग के प्रति संवेदनशील हैं। इसीलिए बड़ी मात्रा में अनाज मुफ्त में देने का फैसला किया गया है। वर्तमान में हम गेहूं का भंडारण (stock) कर रहे हैं। एक बार पर्याप्त मात्रा उपलब्ध हो जाने पर हम इसके निर्यात प्रतिबंध पर पुनर्विचार (reconsider) करेंगे।’
पिछले छह महीनों में केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक हर महीने औसतन 2 मिलियन टन कम हो रहा है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के आंकड़ों के अनुसार, 1 दिसंबर को गेहूं का स्टॉक 19.02 मिलियन टन के छह साल के निचले स्तर पर था। नवंबर में गेहूं का स्टॉक 21 मिलियन टन दर्ज किया गया था। नवंबर और दिसंबर के महीनों के पहले सबसे निचले स्तर को आखिरी बार छह साल पहले 2016 में क्रमशः 18.84 मिलियन टन और 16.69 मिलियन टन देखा गया था।
अक्टूबर-दिसंबर के दौरान पीएमजीकेएवाई के तहत कुल 83 लाख टन खाद्यान्न निकाला गया। इसमें 65 लाख टन चावल और 18 लाख टन गेहूं शामिल है। जैसे ही केंद्रीय पूल में गेहूं की मात्रा घटी, पिछले साल सरकार ने पीएमजीकेएवाई के तहत मुफ्त वितरण के लिए गेहूं का वितरण घटाकर चावल का वितरण बढ़ा दिया।
गौरतलब है कि मई 2022 में गेहूं की कम खरीद की चिंताओं के बीच केंद्र सरकार ने कुछ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को गेहूं का आवंटन कम कर दिया था। इसके एवज में करीब 55 लाख टन चावल के अतिरिक्त आवंटन की घोषणा की थी। इसलिए सरकार ने घरेलू बाजार में पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने के लिए सितंबर 2022 में टूटे हुए गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया।
निर्यात प्रतिबंध के बावजूद गेहूं की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार अब गेहूं को खुले बाजार में बेचने पर भी विचार कर रही है। एक सीनियर अधिकारी ने कहा, “कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मुक्त बाजार संचालन पर भी विचार किया जा रहा है। कोई भी नया प्रतिबंध या प्रतिबंध कृषि चक्र और फसल उत्पादन पर भी निर्भर करता है। हमें खाद्य सुरक्षा बनाए रखने के लिए आनुपातिक उपाय करने होंगे। यदि अनाज का उत्पादन अच्छा होता है, तो कोई समस्या नहीं होगी।”
2023-24 के लिए गेहूं की नई फसल की आवक मार्च के अंत तक मंडियों में शुरू हो जाएगी। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि पिछले साल की तरह इस बार भी गेहूं की फसल को मौसम की किसी प्रतिकूल समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। गौरतलब है कि पिछले साल मार्च और अप्रैल में भीषण गर्मी के कारण गेहूं की फसल पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था और उत्पादन में काफी कमी आई थी।
इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा, ‘अभी तक ऐसा लग रहा है कि गेहूं का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले बेहतर रहेगा। जनवरी की शुरुआत में बफर स्टॉक 30 लाख टन के रणनीतिक रिजर्व के साथ 108 लाख टन था। जबकि दिसंबर में गेहूं की मात्रा 190 लाख टन थी। गेहूं का बफर स्टॉक हर महीने 20 लाख टन घट रहा है, अगर बफर स्टॉक में कमी इसी रफ्तार से जारी रही तो अगले अप्रैल तक यह राशि घटकर करीब 110 लाख टन रह जाएगी. यह अप्रैल में 75 लाख टन के बफर स्टॉक बेंचमार्क से अधिक होगा, जिसके बाद सरकार गेहूं पर प्रतिबंध के अपने विकल्पों पर पुनर्विचार कर सकती है।”
विशेष रूप से, सरकार ने घरेलू बाजार में कीमतों को नियंत्रित करने और पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मई 2022 में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि विकासशील देशों के साथ-साथ जरूरतमंद देशों की सरकारी खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए गेहूं के निर्यात की अनुमति जारी रही।
भारत ने वर्ष 2022 में अप्रैल से अक्टूबर के दौरान 1.5 बिलियन डॉलर मूल्य के 46.56 लाख टन गेहूं का निर्यात किया है, जबकि पिछले वर्ष 2021-22 में 2.12 बिलियन डॉलर मूल्य के 72.45 लाख टन गेहूं का निर्यात किया गया था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 23 दिसंबर 2022 तक देश में मौजूदा रबी फसल सीजन में गेहूं की खेती 302.61 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 312.26 लाख हेक्टेयर हो गई है।
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