गुजरात में Phthalocyanine पिगमेंट एक्सपोर्टर आने वाले समय में एक कठिन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं, क्योंकि चीन ने भारी एंटी-डंपिंग शुल्क (heavy anti-dumping duty) लगाया है, जो 15 प्रतिशत से 82 प्रतिशत तक है। चीनी अधिकारियों के इस निर्णय से निर्यात की वर्तमान मात्रा लगभग 50 प्रतिशत हो जाएगी। व्यवसाय में लगी अधिकांश फर्में गुजरात (Gujarat) में स्थित हैं।
चीन के इस कदम से छोटी कंपनियों (small firms) को भारी नुकसान होने की संभावना है। prover quality records वाली बड़ी कंपनियों को आयातकों द्वारा प्राथमिकता दी जाती रहेगी। हालांकि, नए खिलाड़ी और पैर जमाने की कोशिश करने वालों को डंपिंग रोधी शुल्क (anti-dumping duty) से रोक दिया जाएगा।
एमएसएमई कंपनियों (MSME companies) के उत्पादों पर करीब 82 फीसदी शुल्क लगाया गया है। यह उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा, जिससे प्रतिस्पर्धा करना लगभग असंभव हो जाएगा। Phthalocyanine पिगमेंट में काम करने वाली 95 से अधिक MSME इकाइयाँ वापी, अंकलेश्वर और वटवा में स्थित हैं।
वर्तमान में इस क्षेत्र में चीन से उत्पन्न राजस्व 3200 करोड़ रुपये है। चीन की नई टैरिफ नीति (new tariff policy) इस राजस्व को प्रभावित करेगी।
बड़ी फर्में (Bigger firms) भी सोचती हैं कि शुल्क अनुचित है। इसका घरेलू बाजार (domestic market) में बढ़ती प्रतिस्पर्धा का अवांछित दुष्प्रभाव भी होगा।
गुजरात के उद्योग संघों ने इस मुद्दे को सरकार के सामने उठाया है और मामले को वाणिज्य मंत्रालय (commerce ministry) तक भी ले जा रहे हैं।
संसाधनों, अनुसंधान और विकास, और विशेषज्ञता की उपलब्धता के कारण प्रतिक्रियाशील रंगों (dyes) और रंजकों (pigments) में भारत को चीन पर लाभ हो रहा है। उम्मीद इस धारणा से जुड़ी है कि चीन में गुणवत्ता के प्रति जागरूक खरीदार भारतीय पिगमेंट (Indian pigments) का उपयोग करना जारी रखेंगे।
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