गुजरात में पाटीदार समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल नहीं किया जाएगा। हालांकि उन्हें एक अलग श्रेणी में आरक्षण दिया जा सकता है। यह बात केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री रामदास अठावले ने कही है। वह शनिवार को यहां पत्रकारों से बात कर रहे थे।
उन्होंने कहा, “मेरी राय है कि उन्हें ओबीसी श्रेणी में शामिल नहीं किया जा सकता है, लेकिन उन्हें एक अलग श्रेणी के तहत आरक्षण दिया जा सकता है।” गौरतलब है कि सरकारी नौकरियों और शिक्षा में कोटे की मांग करते हुए 2015 में गुजरात में पाटीदार समुदाय ने भारी विरोध-प्रदर्शन किया था। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले समुदाय की दो मुख्य उप-जातियों ने हाल ही में हाथ मिलाने की घोषणा की है।
अठावले ने कहा, “हम शुरू से ही महाराष्ट्र में मराठों, गुजरात में पाटीदारों, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में जाटों और राजस्थान में राजपूतों को आरक्षण देने के लिए कानून की मांग कर रहे हैं। बशर्ते लाभार्थी की सालाना आय 8 लाख रुपये से कम हो।”
उन्होंने कहा कि सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करने के लिए राज्यों की शक्ति को बहाल करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 342 (ए) में संशोधन करने के केंद्र सरकार के फैसले से मराठों और पाटीदारों को आरक्षण प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने इन “अफवाहों” को गलत बताया कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “संविधान को बदलने” की योजना बनाई है। आठवले ने कहा कि प्रधानमंत्री आरक्षण का समर्थन करते हैं और उनकी सरकार ने सामान्य वर्ग के लोगों को 10 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटा प्रदान किया है।