आयुष मंत्रालय के सहयोग से देश में आयुर्वेदिक फार्मास्युटिकल सेक्टर ने महामारी के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में पैदा हुई जरूरतों में अपने लिए खास मुकाम बनाने में कामयाबी पाई है। खांसी, बुखार, डायरिया और कोविड-19 के अन्य लक्षणों से लडने वाले इम्युनिटी बूस्टर और फॉर्मूलेशन की बड़ी रेंज पिछले एक साल में केंद्र में रही है, जिससे मैन्यूफैक्चरर्स के कारोबार में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है।
नाहर फार्मास्युटिकल्स 1925 से अस्तित्व में है। लेकिन नवसारी से 20 किलोमीटर दूर मरोली गांव के किनारे 60,000 वर्ग फुट के हरे-भरे क्षेत्र में स्थापित इसकी फैक्ट्री ने इससे पहले कभी भी इतना तेज उत्पादन देखने को नहीं मिला, जितना हाल में दिखा है। इस फैक्ट्री में एक मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट और एक स्टोरेज इकाई है, जहां असंख्य औषधीय पौधों व अन्य अवयवों को गोली या टेबलेट बनाने के लिए पाउडर बनाने से पहले सुखाया जाता है। दीपक नाहर ने कहा, ‘पहले हमारे उत्पादन में एक स्थिरता सी थी। इस साल मार्च में हमारा टर्नओवर 2020 की तुलना में 15 प्रतिशत बढ़ा है। दीपक के पिता कस्तूरचंद नाहर ने आजादी से पहले यह कंपनी स्थापित की थी।
नाहर जेनरिक क्लासिकल फॉर्मूलेशन पर ध्यान केंद्रित करता रहा है। नाहर ने कहा, ‘हम अपने अधिकांश उत्पादों को बनाने के लिए आर्याभिषेक जैसी आयुर्वेदिक पुस्तकों का उपयोग करते हैं। ये सदियों पुराने तरीके हैं, जिनमें आधुनिक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन की तुलना में कहीं अधिक सामग्री की आवश्यकता होती है।’ इन दिनों उनके सबसे अधिक बिकने वाले उत्पादों में गिलोय घनवटी टैबलेट (गिलोय के पौधे से प्राप्त किया जाता है) शामिल है, जो बुखार व थकान से बचाती है और सप्तपर्णा घनवटी जो दस्त, त्वचा पर चकत्ते और सांस फूलने जैसी समस्या के इलाज में सहायक है।
नाहर ने कोरोना से निपटने के मामले में भी अपनी मौजूदा प्रोडक्ट लाइन को ही जारी रखा है, जबकि कई अन्य मैन्यूफैक्चरर्स इस दौरान नए फॉर्मूलेशन लेकर भी सामने आ रहे हैं। सूरत में एक प्रसिद्ध आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. संदीप पटेल द्वारा 1992 में स्थापित आयुर्सन फार्मास्युटिकल्स भी ऐसी ही एक कंपनी है।
महामारी की शुरुआत में ही 2020 में आयुर्सन ने इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में निरामय काढ़ा लॉन्च किया। इसके बाद, इसने खांसी और फेफड़े की बीमारियों के इलाज के लिए कफारी नाम से टैबलेट और सिरप पेश की। इस साल मार्च में, इसने एक आयुर्वेदिक ऑक्सीजन एनहांसर पेश किया। कोविड के बाद रक्त का थक्का बनने जैसे मामलों को देखते हुए कंपनी ने अप्रैल में इन्फेक्टिन (एक ब्लड थिनर) पेश किया। आयुर्सन के मार्केटिंग हेड आदित्य पंडित कहते हैं, ‘हमारा ध्यान अभी कोविड-19 की तीसरी लहर के लिए दवाएं तैयार करना और लाइसेंस मिलते ही उन्हेंं लॉन्च करने पर है।’
कंपनी पूरे भारत में अपने डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क की मदद से 700 से अधिक उत्पादों की अपनी रेंज को आगे बढ़ा रही है और आयुष मंत्रालय की ओर से मिल रहे समर्थन ने कंपनी को और ताकत दी है।
ये छोटी कंपनियां ही नहीं, बल्कि बड़ी कंपनियां भी सरकार के समर्थन से फली-फूली हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में पतंजलि द्वारा इम्यूनिटी बूस्टर कोरोनिल का विवादास्पद लॉन्च सबसे खास है। योग गुरु द्वारा संचालित कंपनी एंटी-बैक्टीरियल हैंड सैनिटाइजर और हैंड वॉश में भी कदम बढ़ा रही है। बिजनेस इंटेलिजेंस टूल टॉफलर के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में पतंजलि का टर्नओवर 21 फीसदी बढ़ गया।
इमामी के स्वामित्व वाले ब्रांड झंडू ने मधुमेह रोगियों के लिए विशेष टैबलेट के अलावा विभिन्न आयु समूहों के लिए कई इम्युनिटी बूस्टर किट लॉन्च किए हैं। पिछले वित्त वर्ष में इसने 87.73 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था। इसी तरह, टॉफलर के अनुसार, श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन ने भी 2020 के दौरान अपनी नेट वर्थ में 7.17 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। इसके अश्वगंधारिष्ट, च्यवनप्राश और अन्य हर्बल जूस की बाजार में अच्छी पकड़ है। इस क्षेत्र के सबसे पुराने खिलाडिय़ों में से एक डाबर इंडिया ने वित्त वर्ष 2020-21 में अपने कारोबार में 30.35 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और इसका टर्नओवर 1,722 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसका शुद्ध लाभ लगभग 17 प्रतिशत बढ़कर 300 करोड़ रुपये हो गया। . ब्रांड अपने च्यवनप्राश (रोजाना दो चम्मच) को कोविड-19 के खिलाफ प्रोटेक्टिव शील्ड के रूप में पेश किया है।
कंपनियों के साथ-साथ आयुर्वेदिक चिकित्सक भी अपने फॉर्मूलेशन के साथ स्वास्थ्य के खतरे को दूर कर रहे हैं। इनमें आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले के एक गांव कृष्णापटनम में एक आयुर्वेदिक डॉक्टर बी आनंदैया की जादुई औषधि भी है। अप्रैल में पेश की गई इस दवा को कोविड-19 को ठीक करने में कारगर बताया जा रहा है और अच्छी संख्या में लोग इसे अपना रहे हैं।