बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने न्यूयॉर्क से एक वर्चुअल संबोधन में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) पर तीखा हमला किया है। उन्होंने यूनुस पर अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और “नरसंहार” के आरोप लगाए।
बांग्लादेश के ‘विजय दिवस’ पर आयोजित एक कार्यक्रम में हसीना ने कहा कि यूनुस के शासन के दौरान हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदाय सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मंदिरों, चर्चों और बौद्ध मठों को नष्ट कर दिया गया है। हसीना ने कहा, “यह अल्पसंख्यकों पर अत्याचार क्यों हो रहा है? उन पर इतनी बेरहमी से हमले क्यों किए जा रहे हैं?”
हत्या की साजिश का भी आरोप
शेख हसीना ने यह भी दावा किया कि उनके और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रची गई थी, ठीक उसी तरह जैसे उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की 1975 में हत्या की गई थी।
हसीना ने कहा, “जब लोग बेरहमी से मारे जा रहे थे, मैंने सोचा कि मुझे देश छोड़ देना चाहिए।” उन्होंने बताया कि अगस्त 5 को, जब उनके आधिकारिक निवास गणभवन पर हथियारबंद प्रदर्शनकारियों ने हमला किया, तो वह देश छोड़ने को मजबूर हो गईं।
उन्होंने कहा, “अगर सुरक्षाकर्मियों ने गोली चलाई होती, तो कई जानें जातीं। मैंने उनसे कहा कि चाहे कुछ भी हो, गोली न चलाएं।”
अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों का आरोप
हसीना ने हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए कहा, “जब हिंदुओं ने विरोध किया, तो आईएस्कॉन नेता को गिरफ्तार कर लिया गया। ग्यारह चर्च जला दिए गए और कई धार्मिक स्थलों को नष्ट कर दिया गया।”
हसीना ने मोहम्मद यूनुस पर हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा, “इस नरसंहार के पीछे यूनुस और उनके छात्र समन्वयक हैं।”
भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव
बांग्लादेश में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल ने भारत और बांग्लादेश के संबंधों को भी प्रभावित किया है। भारत ने अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों को लेकर चिंता व्यक्त की है।
पिछले हफ्ते, भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, “हम कट्टरपंथी बयानबाजी में वृद्धि, हिंसा और उकसावे की घटनाओं को लेकर चिंतित हैं। इन घटनाओं को सिर्फ मीडिया की अतिशयोक्ति के रूप में खारिज नहीं किया जा सकता।”
उन्होंने यह भी कहा कि चिन्मय कृष्ण दास के मामले में निष्पक्ष और पारदर्शी न्याय सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
निर्वासन में हसीना
शेख हसीना ने अगस्त में भारी विरोध प्रदर्शनों के बीच अपना पद छोड़ दिया था और तब से भारत में रह रही हैं। यह उनका पहला सार्वजनिक संबोधन था। उन्होंने कहा, “मुझे इस्तीफा देने का भी समय नहीं मिला।”
हसीना ने यह भी कहा कि उन्होंने देश में हिंसा को रोकने के इरादे से बांग्लादेश छोड़ा था, लेकिन हिंसा जारी है।
बांग्लादेश में मौजूदा राजनीतिक हालात अभी भी अस्थिर हैं। अल्पसंख्यक समुदायों पर बढ़ते हमले चिंता का विषय बने हुए हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने भी बांग्लादेश सरकार से सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके अधिकारों की रक्षा करने का आह्वान किया है।
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