67 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले राज्य में केवल एक मुस्लिम विधायक जीत सका है। जमालपुर खड़िया से इमरान खेडावाला ही जीत सके। भाजपा के भूषण भट्ट को उन्होंने 13658 मतों से पराजित किया। यंहा AIMIM के गुजरात प्रमुख साबीर काबलीवाला को 15677 मत हांसिल हुए। जबकि दो मुस्लिम विधायक ग्यासुद्दीन शेख और जावेद पीरजादा भाजपा के सामने क्रमशः दरियापुर और वांकानेर से हार गए। इसके पहले 1995 में सदन में एक मुस्लिम विधायक था। दूसरी बार गुजरात में सदन में केवल एक मुस्लिम विधायक होगा।
AIMIM की पतंग भी गुजरात की हवा में उड़ नहीं पायी। 13प्रत्याशियों के सहारे गुजरात की सियासत में अपनी हवा बनाने की कोशिश में लगे ओवैसी की पार्टी को महज 0 . 29 प्रतिशत मत हांसिल हुआ। ओवैसी के ज्यादातार प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी। कांग्रेस ने 6 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे जिनमे से मुस्लिम विधायक ग्यासुद्दीन शेख और जावेद पीरजादा समेत 5 को हार का सामना करना पड़ा। आप के दोनों मुस्लिम प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में कामयाब नहीं रहे।
गुजरात की स्थापना के साथ पहली विधानसभा में 8 मुस्लिम विधायक चुने गए थे जिसमे विसावदर (जो बाद बाद में पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल की सीट के तौर पर पहचानी गयी ) से गुजरात की पहली महिला मुस्लिम विधायक के तौर पर पर मदीनाबेन अकबरभाई नागौरी निर्वाचित हुयी ,वह इसी सीट से 1967 में भी निर्वाचित हुयी। लेकिन 21 वी शताब्दी में पिछले 15 साल से विधानसभा में मुस्लिम महिला विधायक का प्रतिनिधित्व नहीं है। अंतिम मुस्लिम महिला विधायक के तौर पर वागरा से 2002 में रशीदाबेन पटेल पटेल चुनी गयी थी।
मुस्लिम प्रतिनिधित्व के लिहाज से 1980 का समय “अमृत काल “रहा जब 12 मुस्लिम विधायक चुने गए जबकि 1995 में एक केवल एक मुस्लिम विधायक के तौर पर उस्मांगनी इस्माइल देवड़ीवाला निर्दलीय विठ्ठल भवन तक पहुंच सके। 2012 के अलावा गुजरात की स्थापना के बाद से जमालपुर में मुस्लिम प्रतिनिधित्व जरूर रहा ।
यह 1980 की तुलना में एक तेज गिरावट है जब विधानसभा में मुस्लिम प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत था, जो अल्पसंख्यक समुदाय के आकार के बराबर था। उस समय गुजरात से तीन सांसद मुस्लिम थे।
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