गुजरात भर के 1,000 से अधिक गांवों के दलित परिवार एक मई की रात में 15 मिनट के लिए लाइट बंद कर देंगे। ऐसा निर्दलीय विधायक और जाने-माने दलित नेता जिग्नेश मेवाणी की गिरफ्तारी के विरोध में किया जाएगा। बता दें कि एक मई को गुजरात का स्थापना दिवस भी है।
गौरतलब है कि असम पुलिस ने गुजरात पुलिस के साथ मिलकर 20 अप्रैल की देर रात मेवाणी को गिरफ्तार कर लिया। उन पर एक ट्वीट के आधार पर अंतर-धार्मिक कलह को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। अपने ट्वीट में उन्होंने सांप्रदायिकता की हालिया घटनाओं को रोकने के लिए नहीं बोलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की थी।
कार्यक्रम की घोषणा करते हुए अनुभवी दलित अधिकार नेता मार्टिन मैकवान ने कहा कि लगभग 1,000 गांवों में दलित पुरुष, महिलाएं और बच्चे गुजरात के मुख्यमंत्री के नाम एक याचिका पर हस्ताक्षर करने के लिए इकट्ठा होंगे और उनसे न केवल मेवाणी की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए कहेंगे। साथ ही राजनीतिक कारणों से दलितों के साथ-साथ अन्य हाशिए के वर्गों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों में आम माफी देते हुए वापस लेने को कहा जाएगा।
इन गांवों में हस्ताक्षर के लिए दलित कार्यकर्ताओं को भेजे गए मसौदा पत्र में कहा गया है, “इस प्रकार की सामान्य माफी की घोषणा अतीत में की गई है, और इसमें पाटीदार आरक्षण आंदोलनकारी भी शामिल हैं।” मैकवान ने कहा, “इसी तरह, मराठवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम बदलकर अंबेडकर विश्वविद्यालय करने के लिए आंदोलन करने वाले लगभग 2,000 के मामलों को वापस ले लिया गया था। भीमा कोरेगांव आंदोलन में हिस्सा लेने वालों के खिलाफ भी मामले वापस ले लिए गए।”
मेवानी के साथ हुए व्यवहार को “अपमानजनक” बताते हुए मसौदा पत्र में कहा गया है- इसकी बहुत कम संभावना है कि गुजरात के दलित नेता के खिलाफ असम भाजपा नेता की शिकायत भाजपा नेतृत्व की जानकारी के बिना की गई थी।
पत्र में कहा गया है कि गिरफ्तारी और जिस तरह से असम पुलिस गुजरात में “दलित पहचान का अपमान” करने के लिए उतरी, उस पूरे ऑपरेशन की जांच की जानी चाहिए। साथ ही अनादर दिखाने के लिए जिम्मेदार लोगों को मेवाणी से माफी मांगनी चाहिए।