विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि वे ओमिक्रॉन के एक नए सबवेरिएंट BA.2.75 पर नज़र रख रहे हैं। इसलिए कि यह भारत में तेजी से बढ़ रहा है और BA.5 वेरिएंट के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है, जो वर्तमान में दुनिया भर में फैला हुआ है।
BA.2.75 को “लगभग 10 अन्य देशों” में रिपोर्ट किया गया है। फिर भी इसे लेकर चिंताजनक स्थिति की घोषणा नहीं की गई है। यह बात डब्ल्यूएचओ के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने मंगलवार को एक ट्वीट में कही। उन्होंने कहा कि इसकी ट्रांसमिसिबिलिटी, गंभीरता और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर चोट करने की क्षमता अभी ज्ञात नहीं है।
लेकिन विशेषज्ञ पहले से ही चेतावनी दे रहे हैं। स्क्रिप्स रिसर्च में आणविक चिकित्सा के प्रोफेसर और स्क्रिप्स रिसर्च ट्रांसलेशनल इंस्टीट्यूट के संस्थापक और निदेशक डॉ. एरिक टोपोल ने सोमवार को कहा कि नए सबवेरिएंट के म्यूटेशन BA.5 और BA.4 को हम और घातक रूप में देख रहे हैं।
शोधकर्ताओं द्वारा डब किया गया “सेंटॉरस”, BA.2.75 पहली बार जून की शुरुआत में भारत में पाया गया था। सामान्य ओमिक्रॉन म्यूटेशन के साथ-साथ इसमें नौ अतिरिक्त परिवर्तन हैं, जिनमें से कोई भी एक-दूसरे से सीधे संबंधित नहीं है। लंदन के इंपीरियल कॉलेज में संक्रामक रोग विभाग के एक वायरोलॉजिस्ट टॉम पीकॉक ने हाल ही में एक ट्वीट में कहा, “लेकिन सभी का एक साथ दिखना एक अलग मामला है।”
उन्होंने कहा कि यह “स्पष्ट रूप से तेजी से विकास और व्यापक भौगोलिक प्रसार” से संबंधित है।
मिनेसोटा विश्वविद्यालय के संक्रामक रोग अनुसंधान और नीति केंद्र के एक मंगलवार के बयान के अनुसार, भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन में इस वायरस का पता चला है। इसमें ऑस्ट्रेलिया के आणविक जैव प्रौद्योगिकी संस्थान के एक शोधकर्ता उलरिच एलिंग का हवाला दिया गया है।