अधिकारी के मुताबिक राजनीति के चलते कूनो में रखे गए क्षमता से अधिक चीते, कूनो में अधिकतम आठ चीते रखने की क्षमता है, लेकिन नामीबिया से लाए गए सभी चीतों को कूनो में छोड़ा गया।
पिछले साल सितंबर में नामीबिया (Namibia) और दक्षिण अफ्रीका (South Africa) से चीतों को भारत के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में लाया गया था जहां पहले 27 मार्च को, साशा नाम की एक नामीबियाई चीता की गुर्दे की समस्या से मृत्यु हो गई उसके बाद मार्च में उदय नाम के एक चीते की मौत हो गई। अब कूनो में रखे गए 20 चीतों को लेकर चीता प्रोजेक्ट (Cheetah Project) से जुड़े अधिकारी ने हैरान करने वाला दावा किया है। अधिकारी के मुताबिक राजनीति के चलते कूनो में क्षमता से अधिक चीते रखे गए।
क्षमता से अधिक रखे गए चीते
चीता प्रोजेक्ट से जुड़े वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Wild Life Institute of India) के पूर्व डीन वाईवी झाला ने कहा है कि हमें कूनो की क्षमता के बारे में पता था इसलिए हमने 4-5 चीतों को मुकंदरा भेजने की योजना बनाई थी लेकिन हमें इस बात का आभास नहीं था कि राजनीति के चलते यह योजना खटाई में पड़ जाएगी।
वहीं कंजर्वेशन साइंस एंड प्रैक्टिस (Conservation Science and Practice) नामक जर्नल में कहा गया है कि कूनो में 20 चीतों को रखे जाने से पहले पार्क की क्षमता का अनुमान नहीं लगाया गया। कूनो में प्रति सौ वर्ग किलोमीटर में तीन चीतों को रखे जाने के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि चीतों की बसाहट की योजना में अधिक सावधानी बरती जानी चाहिए थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रति सौ वर्ग किलोमीटर पर एक ही चीते की बसाहट होनी चाहिए। चीतों की अपनी एक टेरिटरी होती है और ऐसे में संभव है कि तीन चीते ही पूरे कूनो को अपनी टेरिटरी बना लें। जिस वजह से अन्य चीतों को अपनी टेरिटरी बनाने की जगह ही नहीं मिलेगी। जिस वजह से चीते पार्क से बाहर निकल जाएंगे और लोगों और अन्य जानवरों के जीवन पर खतरा बन आएगा।
मार्च में हुई थी पहले चीते की मौत
मार्च महीने में कूनो में एक मादा चीते ने दम तोड़ दिया था। उसकी मौत के पीछे की वजह किडनी के संक्रमण को बताया गया था। मादा चीते के बारे में यह खुलासा हुआ था कि वह नामीबिया से भारत लाए जाने के समय ही किडनी संक्रमण से पीड़ित थी। जबकि हाल ही में एक अन्य चीते उदय की भी मौत हो गई। पोस्टमार्टम में उसकी मौत की वजह हार्ट अटैक बताई गई।
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