सभी सुपरहीरो लबादा नहीं पहनते हैं। भारत में मिन्नल मुरली मुंडू पहनते हैं। इस सप्ताह रिलीज हुई बेसिल जोसेफ द्वारा निर्देशित यह फिल्म लगातार तीन दिनों तक नेटफ्लिक्स की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली फिल्मों में शीर्ष पर रही है। इसकी चारों ओर सराहना हो रही है।
जब भी सुपरहीरो वाली फिल्मों की बात आती है, तो लोग हिंसा या अपराध या किसी प्रकार के अन्याय, और ढेरों छद्म विज्ञान वाली घटनाओं की कल्पना करते हैं। मिन्नल मुरली में ऐसा कुछ नहीं है। फिल्म सामान्य परिस्थितियों से शुरू होती है। यहां तक कि नायक और खलनायक भी आधी फिल्म तक ‘स्पष्ट’ नहीं होते हैं।
यह फिल्म एक आम आदमी की महत्वाकांक्षाओं के बारे में है, जो अपने सपनों को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहा है। अन्य सुपरहीरो फिक्शन के विपरीत, जहां नायक दुनिया को बचाने की जिम्मेदारी लेता है, लेकिन मिन्नल मुरली पूरी तरह ‘भारतीय’ तरीके से वैसा कुछ नहीं करता। जब मैं खुद अपने जीवन को सुधारने के लिए संघर्ष कर रहा हूं, तो भला मुझे दुनिया की परवाह क्यों करनी चाहिए?
नायक को अपनी जिम्मेदारी का एहसास तब होता है, जब खलनायक उसके गांव को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। इसलिए फिल्म की सेटिंग उत्तरी केरल में स्थित एक छोटे से घर-कुरुक्कन मूला- से आगे नहीं बढ़ती है।
वास्तविक के करीब
फिल्म इस बात का उदाहरण है कि कोई भी व्यक्ति पैदाइशी सुपर हीरो नहीं होता है। एक घटना दो पुरुषों (प्रमुख चरित्र) के जीवन को बदल देती है। वे दोनों ही पहले अपने स्वार्थ के लिए अपनी नई शक्तियों का लाभ उठाने की कोशिश करते हैं।
वास्तव में, यहां तक कि फिल्म का शीर्षक मिन्नल मुरली- नायक का नाम- जैसन (टोविनो थॉमस) और शिबू (गुरु सोमसुंदरम) के बीच में अंत तक लड़ता है। उनके पास फैंसी कार नहीं है और वे मेहनती आम हैं। शिबू एक तमिल प्रवासी है, जो गांव में बहिष्कृत का जीवन जी रहा है। जबकि जैसन अनाथ है और अमेरिका में बसने के सपने के साथ दर्जी के रूप में काम करता है।
अपने पहले झगड़े में शिबू बिजूका के जूट के मुखौटे के भेष धारण करता है, जबकि जैसन सिर्फ एक सफेद मुंडू से अपना चेहरा ढकता है। दर्जी होने के नाते जैसन फिल्म के अंत में अच्छा पोशाक पहनता है। शायद ऐसा इसलिए है, क्योंकि बच्चों को लगता है कि यह एक ‘सुपरहीरो’ नहीं है, जब तक कि वे उसे दिलचस्प लगते पोशाक नहीं देख लेते।
पूरी फिल्म में किसी ने मास्क नहीं पहना है, लेकिन जैसन का पोशाक ऐसा है (जिसे वह केवल अंत में पहनता है), जिसमें वह मैरून डिजाइनर फेस मास्क के साथ अपना चेहरा छुपाता है- जैसे कोविड -19 की कृपा से हम वास्तविक जीवन में पहनते हैं।
प्रेम जीवन, आर्थिक समस्याएं, आकांक्षाएं, सामाजिक स्थिति- फिल्म में मुख्य पात्रों की अलौकिक शक्तियों को छोड़कर सब कुछ वास्तविकता के करीब है। फिल्म से हर कोई रिलेट कर सकता है।