गुजरात हाई कोर्ट ने उस वकील पर लगाए गए एक लाख रुपये के जुर्माने पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया, जिन्होंने अदालत की रोस्टर/लिस्टिंग सूची को चुनौती देने वाली जनहित याचिका दायर की थी। अदालत ने इस तरह की याचिकाएं दायर करने पर निराशा व्यक्त की।
गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष सीनियर वकील असीम पांड्या ने मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायाधीश आशुतोष जे शास्त्री की बेंच से जुर्माने की राशि में कमी पर विचार करने का अनुरोध किया। इस पर मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार ने कहा, ” उन्हें (याचिकाकर्ता वकील) आवेदन दाखिल करने दें, हम इस पर विचार करेंगे। लेकिन जुर्माना कम नहीं करेंगे।” इस पर पांड्या ने कहा कि यह उनका हार्दिक अनुरोध है। वकील ऐसा व्यक्ति नहीं है जो एक लाख रुपये का खर्च वहन कर सके। इस पर मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार ने कहा कि मिस्टर पांड्या अच्छा काम कर रहे हैं और जब भी वकील से संबंधित कोई कारण होता है, तो वह मुद्दों को हल करने के लिए मिलते भी हैं। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें गलत कारण का समर्थन न करने की सलाह दी।
उन्होंने आगे कहा कि अगर वकील आवेदन पेश करना चाहता है, तो वह ऐसा कर सकता है। बेंच गुण-दोष के आधार पर इस पर विचार करेगी। हालांकि, बेंच ने यह भी जोड़ा कि वह कुछ भी गारंटी नहीं दे रही है। जब वकील पांड्या ने अपने अनुरोध पर जोर दिया तो जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री ने कहा: ” मिस्टर पांड्या, क्या आप नहीं देख रहे हैं कि न्यायाधीश लगातार काम कर रहे हैं? शनिवार, रविवार को भी हम आ जाते हैं। ऐसी ही प्रतिक्रियाओं के लिए? हम 16-17 घंटे काम कर रहे हैं और आप लोग इस तरह की याचिकाएं दायर कर रहे हैं। यह मनोबल गिराने वाला है।”
इस पर मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार ने टिप्पणी की: “देखिए, जजों पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा। आप जरा कल्पना कीजिए कि मेरे सहयोगी (जस्टिस आशुतोष जे. शास्त्री) नाराज हो रहे हैं और इसने (हमें) कैसे चोट पहुंचाई है। यह संस्था का मनोबल गिराता है। आप बार एसोसिएशन से जुर्माना लीजिए।” जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री ने यह भी कहा कि ज्यादातर जज 16-17 घंटे काम कर रहे हैं और आप लोग इस तरह की याचिका दायर कर रहे हैं। आप (सीनियर एडवोकेट पांड्या) भी इसका समर्थन कर रहे हैं।
इस पर पांड्या ने कहा कि वह इसका समर्थन नहीं कर रहे और केवल संबंधित वकील के व्यक्तिगत अनुरोध पर अदालत को जुर्माने के पहलू पर पुनर्विचार करने के लिए मनाने के लिए जोर दे रहे हैं। सीनियर एडवोकेट पांड्या ने भी जस्टिस शास्त्री के साथ सहमति व्यक्त की कि न्यायाधीश वास्तव में कड़ी मेहनत कर रहे हैं और संबंधित वकील द्वारा इस तरह की याचिका “गलत” थी। उन्होंने यह भी कहा कि संबंधित वकील अंडरटैकिंग देने के लिए तैयार हैं कि वह फिर से ऐसी याचिका दायर नहीं करेंगे। हालांकि, अदालत ने पांड्या के अनुरोध पर विचार करने से इनकार कर दिया।
बता दें कि संबंधित वकील ने व्यक्तिगत रूप से पेश होकर गुजरात हाईकोर्ट में रोस्टर/लिस्टिंग सिस्टम को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका दायर की थी। उनका मानना था कि रोस्टर में बदलाव से ऐसी स्थिति पैदा हो जाएगी, जिसमें एक बेंच द्वारा सुने जाने वाले पुराने मामलों को अब एक अलग बेंच द्वारा सुना जाना आवश्यक होगा।