अमीर का कभी कुछ नहीं बिगड़ता। चाहे हत्या और जानलेवा लापरवाही का मामला ही क्यों न हो। कहा ही जाता है- समरथ को नहीं दोष गुसाईं।
अहमदाबाद पुलिस पर उंगलियां उठाई जा रही हैं। उस पर नवरंगपुरा में निर्माणाधीन स्थल पर सात मजदूरों की मौत के लिए जिम्मेदार बिल्डरों का पक्ष लेने का आरोप लग रहा है। पुलिस कथित तौर पर निर्माण कंपनी Addor Aspire 2 के 12 बिल्डरों में से किसी पर भी शिकंजा कसने में विफल रही है। बता दें कि बुधवार को अहमदाबाद में गुजरात यूनिवर्सिटी के पास निर्माणाधीन एस्पायर-2 नाम की इमारत में छज्जा गिरने से वहां काम कर रहे सात मजदूरों की मौत हो गई और दो घायल हो गए। छज्जा 13वीं मंजिल से गिरा था। एक मजदूर को छोड़कर सभी गुजरात के पंचमहल जिले के आदिवासी थे। एक राजस्थान का था। किसी भी मजदूर ने सेफ्टी गियर नहीं पहना था, जो निर्माण स्थलों पर काम करने वाले सभी लोगों के लिए अनिवार्य होता है। हादसा सुबह करीब साढ़े आठ बजे हुआ, लेकिन बिल्डरों ने सुबह 11 बजे के बाद ही पुलिस को सूचना दी। उन्होंने मामले को दबाने की कोशिश (They tried to do “damage control” and “settlement”) की।
गुजरात यूनिवर्सिटी पुलिस स्टेशन के तहत आने वाले मामले की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने वाइब्स ऑफ इंडिया से कहा, “बिल्डर कुछ हद तक चीजों को दबाने के अपने प्रयास में सफल रहे हैं। घटना स्पष्ट रूप से दिखाती है कि बिल्डरों की गलती है। उन पर हत्या का मामला दर्ज किया जा सकता है। अभी चूंकि केवल एक आकस्मिक शिकायत दर्ज की गई है, इसलिए बिल्डरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं (because only an accidental complaint has been filed, no action has been taken against the builders) की गई है।”
Addor Aspire 2 मामले में शामिल बिल्डरों में आशीष शाह, विकास शाह (दोनों भाई), भरत झवेरी, जगदीशचंद्र कालिया, पल्लवी कंसारा, रमेशचंद्र कालिया, राहुल कालिया, कैलाशचंद्र कालिया, नीलेश कालिया, नितिन सांघवी, पारुल जावेरी और विपुल शाह हैं। आम जनता और मीडिया के काफी दबाव के बाद शनिवार सुबह पुलिस ने इन बिल्डरों की तलाश शुरू कर दी है। इसलिए सभी बिल्डर छिप गए हैं। इनमें से कई अहमदाबाद से बाहर निकल गए हैं। पुलिस सूत्रों ने कहा कि कम से कम दो बिल्डर भारत से बाहर भी जा सकते हैं।
वाइब्स ऑफ इंडिया द्वारा जुटाई जानकारी के अनुसार, बिल्डर्स सबूतों से छेड़छाड़ करके यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि इन मजदूरों ने शराब के नशे में धुत होकर खुद ही एक-दूसरे को मार डाला। जाहिर है, वे अपनी खाल को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। एक पुलिस अधिकारी का कहना है, “माना कि वे गरीब लोग थे, लेकिन वे एक-दूसरे को मारने के लिए पागल नहीं थे।” यकीनन मामले को एक एक हादसा बताने की कोशिश की जा रही (efforts are being made to pass off the case as an accidental death) है।
गुजरात यूनिवर्सीटी पुलिस ने शनिवार सुबह वाइब्स ऑफ इंडिया को बताया कि स्कीम में मालिकों और निदेशकों के रूप में सूचीबद्ध 12 बिल्डरों में से किसी ने भी पुलिस से संपर्क नहीं किया (none of the 12 builders listed as owners and directors in the scheme have approached the police) है। पुलिस ने एक ठेकेदार और दो सहायक ठेकेदारों को गिरफ्तार किया है। पुलिस स्वीकार करती है कि हालांकि इन तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन Addor Aspire 2 निर्माण कार्य या प्रबंधन के साथ संबंध का कोई सबूत खोजने में वे विफल रहे हैं। पुलिस स्वीकार करती है कि यह असंभव है कि साइट से ठेकेदारों के संबंध को साबित करने के लिए कोई दस्तावेजी सबूत न (The police admit that it is impossible that there is no documentary evidence to prove a connection of the contractors to the site)हो। एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का दावा है कि यह बिल्डरों की चाल हो सकती है कि उन्होंने ठेकेदारों या सहायक ठेकेदारों को उनकी ओर से गलती स्वीकार करने के लिए मना लिया।
इस बीच, दो बिल्डर एक पूर्व मुख्यमंत्री के साथ अपने जैन संबंधों को दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि एक अन्य बिल्डर ने पहले यह दावा करके पुलिस को प्रभावित करने की कोशिश की कि वह सूरत के एक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले एक महत्वपूर्ण मंत्री के करीबी हैं। अभी तक कहीं नहीं देखे गए स्थानीय भाजपा विधायक राकेश शाह भी इन अमीर बिल्डरों के बचाव में दौड़ पड़े।
गौरतलब है कि ये बिल्डर इससे पहले कोविड के दौरान क्लाउड स्कीम में हुई तीन मजदूरों की मौत के मामले में भी शामिल थे। यह दूसरी बात है कि उस मामले को दबा देने में वे सफल रहे।