जब नरेंद्र मोदी 2002 में मुख्यमंत्री थे, तब भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा की 127 सीटें जीती थीं। गुजरात में 1995 में सत्ता में आने के बाद से यह भाजपा की सबसे बड़ी जीत थी। इस बार, भाजपा के 150 से अधिक सीटों के ‘टारगेट’ को लेकर काफी चर्चाएं रही हैं। यह भी कि प्रधानमंत्री मोदी दरअसल मुख्यमंत्री मोदी के रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
सोमवार की देर शाम गुजरात में दूसरे चरण के चुनाव में मतदान खत्म होने के साथ ही विभिन्न ग्रुप और टीवी चैनल अपने-अपने एग्जिट पोल को लेकर प्रकट हो गए।
इंडिया टुडे ग्रुप-एक्सिस माई इंडिया के पोल में कहा गया है कि बीजेपी को 182 में से 128 से 144 सीटें मिलने का अनुमान है। टीवी9 गुजराती के एग्जिट पोल ने बीजेपी को 125 से 130 सीटें दीं, तो रिपब्लिक टीवी और पी-मार्ग पोल ने बीजेपी को 128 से 148 सीटें मिलने का अनुमान लगाया। न्यूज एक्स-जन की बात पोल ने बीजेपी को 117 से 140 सीटें दी हैं।
वाइब्स ऑफ इंडिया ने भी अनुमान लगाया है, जो कुछ अलग तरह का है। भाजपा निश्चित रूप से गुजरात में लगातार छठी बार जीत रही है (1995 को छोड़कर। तब भाजपा नेता शंकरसिंह वाघेला और नरेंद्र मोदी के बीच झगड़ा हो गया था, जिसके कारण वाघेला ने अपनी पार्टी बना ली और गुजरात में राष्ट्रपति शासन के बाद चुनाव में उतरे। नहीं तो यह भाजपा का लगातार सातवां कार्यकाल होता।)
बहरहाल, वाइब्स ऑफ इंडिया यहां यह बता देना चाहता है कि हमने राज्य भर में सिर्फ एक हजार लोगों से बात की है। हमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के अपडेट के बीच काफी विरोधाभास मिले हैं। शहरी क्षेत्रों ने थोक में बताया है कि उन्होंने नरेंद्रभाई (पीएम मोदी) को वोट दिया है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों ने कहा कि घरेलू गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमतें, लगातार पेपर लीक और महंगाई जैसे मुद्दों ने उनके वोटों को प्रभावित किया है।
1. गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से भाजपा 122 से ज्यादा सीटें नहीं जीत सकती है। पिछले दिनों भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने दावा किया था कि भाजपा राज्य विधानसभा की सभी 182 सीटें जीतने जा रही है। दरअसल, 2019 में राज्य में लोकसभा की 26 में 26 सीटों पर जीत हासिल करने के बाद से भाजपा अति आत्मविश्वास में है।
2. यह याद किया जाना चाहिए कि 2017 में भाजपा ने 99 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन इस साल जब चुनाव हुआ, तब तक उसके पास कुल 119 विधायक थे। इनमें कांग्रेस के दलबदलू भी शामिल थे। कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं, लेकिन 2022 के इन चुनावों में आते-आते वह 58 पर सिमट गई।
3. नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे।
4. यह एक दिलचस्प चुनाव रहा है, क्योंकि दशकों के बाद गुजरात ने वास्तविक में त्रिकोणीय लड़ाई देखी है। आम आदमी पार्टी यानी आप ने 182 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और जोरदार टक्कर दी।
5. मतदान प्रतिशत के सरकारी आंकड़े अभी तक घोषित नहीं किए गए हैं, फिर भी बताया जा रहा है कि गुजरात के लगभग 67 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया है। अंतिम मतदान प्रतिशत रात में ही आ पाएगा। 2017 में 70.93% मतदान हुआ था।
6. हमारे अनुमान के मुताबिक, कांग्रेस अधिक से अधिक 55 से 60 सीटें जीत पाएगी।
7. हालांकि ऐसी अटकलें लगाई जाती रही हैं कि आम आदमी पार्टी मुख्य विपक्षी होगी। पर हमारा सर्वेक्षण कहता है कि आप 182 सीटों में से तीन से अधिक सीटें नहीं जीत पाएगी। इनमें सौराष्ट्र में एक, आदिवासी बेल्ट में एक और दक्षिण गुजरात में एक संभव है। आशंका तो आप के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदन गढ़वी के हारने की जताई जा रही है। कटारगाम सीट से आप संयोजक गोल इटालिया को कड़ी टक्कर मिल रही है।
8. यहां एक दिलचस्प चार्ट है। भाजपा 182 में से 121 सीटें जीत सकती है। 2002 में भाजपा की सबसे ज्यादा सीटें 127 थीं। 1985 के चुनावों में कांग्रेस को सबसे अधिक 149 सीटें मिली थीं। हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि भाजपा इस चुनाव में कांग्रेस के 149 सीटों के रिकॉर्ड को किसी कीमत पर नहीं तोड़ पाएगी।
9. कुछ और दिलचस्प पहलू जो इस चार्ट से पता चलता है, वह है भले ही भाजपा ने अपनी सरकार बनाई और जीत हासिल की और 1995 में पूर्ण बहुमत प्राप्त किया, तब उनका वोट शेयर 42.51% था। 2002 में बीजेपी ने 49.85% का प्रभावशाली वोट शेयर प्राप्त किया, लेकिन तब से इसमें लगातार गिरावट आ रही है। लेकिन कांग्रेस की तुलना में बीजेपी का हिस्सा बढ़ गया है। हालांकि उनका सीट शेयर बुरी तरह से नीचे आया, लेकिन उनका वोट शेयर बढ़ गया है। 1995 में कांग्रेस का वोट शेयर 32.8% था। जबकि 2017 में इसका वोट शेयर प्रतिशत 41.4% था, जो 27 वर्षों में सबसे अधिक था।
10. अभी तक की शुरुआती ग्राउंड रिपोर्ट्स की मानें तो नई विधानसभा में एक भी मुस्लिम विधायक नहीं हो सकता। हुआ भी तो दो विधायक नहीं हो सकते हैं। AIMIM ने कांग्रेस के वोटों को काफी नुकसान पहुंचाया है।
11. इस बार विधानसभा में पिछले दिनों के विपरीत निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या बढ़ सकती है। साथ ही विधानसभा में कांधल जडेजा के रूप में समाजवादी पार्टी का विधायक हो सकता है। भाजपा और कांग्रेस दोनों से कई बागी मैदान में हैं। उनमें से कम से कम तीन के जीतने की संभावना है।
12. यह दुखद है और हमें इसका उल्लेख करते हुए भी बहुत दुख हो रहा है, लेकिन हमारी प्राथमिक रिपोर्ट कहती है कि बीजेपी मोरबी सीट जीत रही है। मोरबी पुल के ढहने के बावजूद। सत्तारूढ़ भाजपा की ओर से बेशर्मी और ओरेवा के मालिक जयशुख पटेल पर कोई कार्रवाई नहीं करने के बावजूद।
13. हम समान रूप से दुखी हैं, लेकिन सीके रावलजी भी जीत सकते हैं। यह वही व्यक्ति हैं, जो बिलकिस बानो के बलात्कारियों को छूट देने वाली समिति में थे। गोधरा में 63.65% मतदान दर्ज किया गया और हमारे सूत्रों का दावा है कि AIMIM ने अप्रत्यक्ष रूप से रावलजी की मदद की। गोधरा में मुस्लिम आबादी 74,000 से अधिक है, जो शहर की कुल आबादी का लगभग 51.23 प्रतिशत है। यहां 10 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें से ज्यादातर एआईएमआईएम द्वारा समर्थित मुस्लिम थे। इससे बीजेपी को मदद मिली है।
14. भाजपा के 130 सीटों को पार नहीं करने के लिए उत्तरी गुजरात और आदिवासी क्षेत्र अकेले जिम्मेदार हो सकते हैं।
15. सौराष्ट्र, जिसने 2017 में कांग्रेस पर भरोसा जताया था, वह बदल गया है। वह अबकी भाजपा का पक्ष ले रहा है।