“हम बड़े और सम्मिलित प्रयासों से ही बदलाव ला सकते हैं, हमे निजी आकांक्षाओं को संगठन की जरूरतों के अधीन रखना होगा.” “पार्टी ने बहुत दिया है और अब कर्ज उतारने का वक्त आ गया है. है. एक बार फिर से साहस का परिचय देने की जरूरत है. हर संगठन को जीवित रहने के लिए परिवर्तन लाने की जरूरत होती है. हमें सुधारों की सख्त जरुरत है. ये सबसे बुनियादी मुद्दा है.” कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने पार्टी के नेताओं को चिंतन शिविर के दौरान उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए आह्वान किया। लेकिन इस आह्वान में पीड़ा ज्यादा है , और मौजूदा चुनौतियों को लेकर संकेत भी।
वह चुनौती है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के “ना टायर्ड ना रिटार्यड ” की तर्ज पर प्रधानमंत्री के तौर पर तीसरी पारी खेलने का अपने गृह राज्य गुजरात के भरुच में आयोजित उत्कर्ष समारोह में आभाषी तौर से बोलते हुए एक दिन पहले ही दे चुके हैं।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि एक “बहुत वरिष्ठ” विपक्षी नेता, जिसका वह सम्मान करते हैं, ने एक बार पूछा था कि दो बार पीएम बनने के बाद उनके लिए “और क्या” बचा है
भरूच में उत्कर्ष समारोह में वस्तुतः बोलते हुए, जहां केंद्र सरकार की चार योजनाओं के लाभार्थियों को इकट्ठा किया गया था, मोदी ने कहा: “एक बार जब मैं एक नेता से मिला … एक दिन, वह मुझसे मिलने आया, कुछ मुद्दों को सुलझाने के लिए। उन्होंने कहा, ‘मोदीजी, अब आप और क्या करना चाहते हैं? देश ने आपको दो बार प्रधानमंत्री बनाया है।” मोदी ने कहा: “उन्होंने सोचा था कि दो बार प्रधान मंत्री बनना एक बड़ी उपलब्धि थी।
यह मोदी किसी और चीज से बना है… गुजरात की मिट्टी ने उसे आकार दिया है। इतना ही काफी नहीं है कि मैं अब आराम कर लूं, (सोचकर) कि जो कुछ हुआ है वह अच्छा है…नहीं…मेरा सपना संतृप्ति है…अपने लक्ष्य को शत-प्रतिशत पूरा करें। सरकारी मशीनरी को आदत में डालिये, नागरिकों में विश्वास पैदा कीजिये।
लोगों के पास अपने घर, गैस कनेक्शन, बिजली कनेक्शन, पानी के कनेक्शन और बैंक खाते हैं। उन्होंने कहा, “गरीब अपना आधा जीवन सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने में बिता देंगे, हमारी सरकार ने वह सब बदल दिया।”
प्रधान मंत्री ने कहा कि जब वह 2014 में चुने गए थे, “लगभग आधा देश शौचालय, टीकाकरण, बिजली, बैंक खातों से 100 मील दूर था, एक तरह से उन्हें मना कर दिया गया था। इन सभी वर्षों में हमारे सभी प्रयासों से कई योजनाओं ने शत-प्रतिशत संतृप्ति हासिल की है।
उनके अनुसार, ये “मुश्किल काम थे और राजनेता इन्हें छूने से डरते हैं” लेकिन वह यहां “राजनीति करने के लिए नहीं, बल्कि देश के नागरिकों की सेवा करने” के लिए थे।
“देश ने 100 प्रतिशत के लक्ष्य तक पहुंचने की कसम खाई है। जब ऐसा होता है, तो नागरिक यह मानने लगता है कि इस धन पर मेरा अधिकार है, और यह कर्तव्य का बीज बोता है। और जब यह संतृप्ति होती है, तो भेदभाव की कोई संभावना नहीं होती है, सिफारिश की कोई आवश्यकता नहीं होती है। जब ऐसा होता है तो तुष्टीकरण की राजनीति खत्म हो जाती है:
एक बार मेरे लिए सुरक्षा खतरे की खबर आई, एक बार मेरी बीमारी की खबर आई तब मैंने कहा, ‘भाई, मुझ पर करोड़ों माताओं और बहनों का आशीर्वाद है और जब तक मेरे पास यह ढाल है, कोई कुछ नहीं कर सकता मेरे लिए’, उन्होंने कहा।
उन्होंने कहा कि वह एक ‘परिवार के सदस्य’ की तरह काम कर रहे हैं और उनकी सरकार आठ साल के कार्यकाल के बाद ‘नए वादे और नई ऊर्जा’ के साथ आगे बढ़ रही है।
मोदी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत पांच-पांच लाख रुपये का कवर प्रदान किया है, करोड़ों को दुर्घटना बीमा योजना और वरिष्ठ नागरिकों के लिए पेंशन योजना के तहत कवर किया गया है।
यह असली चुनौती विपक्ष के पास भी यही है , वह समर्पण भाव कहा से लगेंगे।
राजनीतिक विश्लेषक घनश्याम शाह ने कहते है , तमाम मुद्दों के बावजूद मोदी विपक्ष पर अकेले भारी पड़ रहे है। उनकी ऊर्जा और कार्यप्रणाली के आगे विपक्ष पूरी तरह बाटा हुआ है।
शाह जोर देकर कहते हैं की 2024 में राष्ट्रीय स्तर पर मोदी के सामने कोई चुनौती कम से कम अभी नहीं दिखती , ना लोकप्रियता के आधार पर और ना ही नेतृत्व क्षमता के आधार पर। वह गुजरात के भी तीन बार मुख्यमंत्री रहे है ,अगर वह प्रधानमंत्री के तौर पर तीसरी पारी खेलने का संकेत देते हैं तो इसमें दम है , विपक्ष के कारण वह हट रहे हो ऐसा नहीं है , उन्हें खुद ही तय करना है की वह कब हटेंगें। और यदि वह तीसरी पारी खेलने का संकेत दे रहे हैं तो वह बिना चुनौती के खेलेंगे।