पूरन महाराज के तबला वादन एवं शुभा मुदगल जी की खयाल गायकी ने बांधा समा, दूसरे दिन की बैठक में छिड़ा तीन ताल का जादू
“पंडित नंदन मेहता शास्त्रीय संगीत समारोह”गुजरात राज्य संगीत नाट्य अकादमी एवं सप्तक के द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम आज़ादी के अमृत मोहत्सव के तहत होने वाले कार्यक्रमों की शृंखला में अहमदाबाद शहर के दिनेश हॉल में सम्पन्न हुआ।
शास्त्रीय संगीत में रुचि रखने रखने वाले लोगों में शायद ही कोई ऐसा होगा जो “सप्तक” परिवार के नाम से वाक़िफ़ ना हो, सप्तक परिवार के संस्थापक एवं बनारस घराने के तबला वादक पंडित नंदन मेहता की स्मृति में दो दिवसीय संगीत समारोह का आयोजन हुआ
इस दो दिवसीय कार्यक्रम के प्रथम दिवस पर राहुल शर्मा के संतूर वादन एवं योगेश शमशी के तबला वादन की महफ़िल सजी थी एवं दूसरे दिवस पर बनारस घराने के पुरन महाराज का तबला वादन एवं शुभा मदगल जी के शास्त्रीय गान को लोगों ने सुना। द्वितीय दिवस की बैठक इसीलिए भी ख़ास थी क्यूँकि शुभा मुदगल एवं पुरन महाराज दोनों ही पंडित नंदन मेहता जिस बनारस घराने से थे उसी बनारस घराने से दोनों ताल्लुक़ रखते हैं, पूरन महाराज ने नंदन मेहता की स्मृति में तीन ताल एवं रुपक ताल का वादन किया।
पुरन महाराज ने तबला वादन करते वक़्त नंदन मेहता के पुराने क़िस्से लोगों को सुनाए और उनके द्वारा रचित ताल लोगों को सुनाई।
स्मृति समारोह में प्रवेश निशुल्क था और इस समारोह में सप्तक संगीत विध्यालय के विद्यार्थियों के साथ साथ शास्त्रीय संगीत में रुचि रखने वाले लोगों का भरी जमावड़ा देखने को मिला।
कौन थे पंडित नंदन मेहता ?
नंदन मेहता बनारस घराने से ताल्लुक़ रखने वाले तबला वादक थे जिन्होंने गुजरात में बनारस घराने के प्रभुत्व को स्थायी किया, १९८० में उन्होंने अहमदाबाद शहर में “सप्तक” संगीत विध्यालय की स्थापना की एवं शास्त्रीय संगीत के १३ दिवसीय कार्यक्रम “सप्तक” की शुरुआत की थी, नंदन मेहता महान तबला वादक किशन महाराज के शिष्य थे और उन्हें “संगीत ऋषि” की उपाधि से नवाज़ा गया था।
कार्यक्रम की कुछ झलकियां एवं कार्यक्रम के पश्चात लिए गए दर्शकों के संवाद नीचे दिए गए वीडियो में आप देख सकते हैं