एक ऐसे दौर में जब हिजाब को लेकर विवाद अपने चरम पर है , कपड़ो से धर्म की पहचान हो रही है , धर्म के आधार पर ही समर्थन और विरोध भी।
लेकिन इस तनाव भरे माहौल के बीच एक सुखद खबर आयी है राजनीतिक गलियारों में हिंदुत्व की प्रयोगशाला कहे जाने वाले गुजरात से।
राजधानी से 360 किलोमीटर दूर वलसाड जिले के उमरगांव उत्तर बुनियादी बालिका विद्यालय में गुजराती माध्यम से पढ़ने वाली 12 वर्षीय छात्रा को बचपन से नमाज पढ़ने और मुस्लिम धर्म के नियम कायदों और संस्कारों की तालीम मिली। लेकिन उन्होंने अपनी प्रतिभा से ना केवल हिंदू मुस्लिम एकता बल्कि हिंदुस्तान की तस्वीर भी उकेरी ,साथ ही भविष्य की उम्मीद भी ।
हम बात कर रहे हैं है खुशबु अब्दुल महबूब खान की। खुशबु ने आज़ादी का अमृत महोत्सव अभियान के तहत एडॉटर मोबाइल अप्लीकेशन द्वारा ली गयी ऑनलाइन परीक्षा में भगवत गीता में पुरे देश में टॉप किया है। खुशबु में 500 में से 480 जवाब सही दिए थे।
पिता करते हैं मिल में नौकरी , आर्थिक तंगी का माहौल
खुशबु के मामले के बेहतरी यह भी है कि वह सरकारी स्कूल में पढ़कर यह गौरव हांसिल किया है। आज सरकारी स्कूलों के शैक्षणिक स्तर सवालों के घेरे में हैं |
खुशबु के पिता महबूब भाई एक निजी कंपनी में जीआइसीसी में नौकरी करते है। डॉक्टर बनने की चाह रखने वाली खुशबु के धर्म का दर्शन ‘मजहब नहीं सीखता आपस में बैर करना पर आधारित है।’
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उसे पता है कि भगवतगीता हिन्दू धर्म का पवित्र ग्रन्थ है ,उसके बावजूद उसमे उसे मानवता की झलक मिलती है ,तो पलटकर कहती है की इस्लाम में भी तो मानवता ही सिखाया जाता है।
हिजाब के विवाद को वह बेकार का विवाद मानती है ,वह कहती है मै भी हिजाब पहनती हु और अम्मी भी।आर्थिक तंगी का माहौल के बावजूद खुशबू की खराब आर्थिक परिस्थिति को देखकर कुछ सामाजिक संगठन उसके नाम से कुछ रकम जमा करने का मन बना रहे है।