मोरबी झूलता पुल हादसे Morbi Suspension Bridge Accident को लेकर जिला सत्र न्यायालय District Sessions Court में शनिवार को सुनवाई होगी. उल्लेखनीय है कि औरेवा कंपनी के एमडी जयसुख पटेल ने अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दी है Jaysukh Patel, MD of Aureva Company, has applied for anticipatory bail. . जिस पर 21 जनवरी 2023 को कोर्ट में सुनवाई होगी. पुल के रिनोवेशन का ठेका औरेवा कंपनी दो दिया गया था। घटना के बाद दर्ज एफआईआर FIR को भी लेकर कई सवाल विपक्ष द्वारा खड़े किये गये थे। घड़ी बनाने वाली औरेवा कंपनी के एमडी जयसुख पटेल को बचाने के आरोप लगते रहे है। पटेल ने अग्रिम जमानत याचिका स्थानीय जिला सत्र न्यायालय में दाखिल की है।
क्या थी पूरी घटना?
30 अक्टूबर, 2022 को मोरबी का ऐतिहासिक विरासत झूलता पुल का एक हिस्सा मच्छू नदी में टूट गया जिसका बड़े तामझाम के साथ कुछ दिन पहले ही उद्धघाटन किया गया था । रविवार होने के कारण यहां काफी भीड़ थी। पुल पार करने के लिए निर्धारित क्षमता से अधिक लोगों को अनुमति दी गयी और उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला जा रहा था। पुल टूटने से पर्यटक पुल समेत पानी में गिर गए। घटना की जानकारी लोगों को मिलते ही रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। आधिकारिक तौर पर, इस घटना में 135 लोग मारे गए थे। उनमें से 47 सिर्फ बच्चे थे!
सरकार ने 10 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की
गुजरात सरकार मोरबी ब्रिज त्रासदी में मारे गए लोगों के परिवारों को 10 लाख रुपये की अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान करने की घोषणा की थी राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में यह जानकारी दी। राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि पुल ढहने की घटना में जान गंवाने वाले प्रत्येक मृतक के परिजनों को कुल 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.
झूलता पुल का गौरवशाली है इतिहास ?
सस्पेंशन ब्रिज के इतिहास पर नजर डालें तो ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी, 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेंपल ने किया था। यह उस समय लगभग 3.5 लाख की लागत से 1880 ई. में बनकर तैयार हुआ था। इस समय पुल की सामग्री इंग्लैंड से आई थी। यह पुल दरबारगढ़ को नज़रबाग से जोड़ने के लिए बनाया गया था। अब यह लटकता हुआ पुल महाप्रभुजी के आसन और पूरे समकंठा क्षेत्र को जोड़ता है।
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