राजकोट: आजकल बच्चे मोबाइल फोन के इतने आदी हो गए हैं कि बिना सेलफोन के जिंदगी ही नहीं चला सकते। एक सर्वे में पाया गया है कि कम से कम 93% बच्चे मोबाइल गेम खेलना पसंद करते हैं। यानी उन्हें आउटडोर गेम पसंद नहीं है। सर्वे में यह भी पाया गया है कि बच्चों में इस लत के लिए उनकी माताएं ही जिम्मेदार हैं।
सर्वे सौराष्ट्र विश्वविद्यालय (एसयू) के फाइकोलॉजी विभाग ने किया है, जिसे विभागाध्यक्ष योगेश जोगसन और असिस्टेंट प्रोफेसर डिंपल रमानी ने कुछ छात्रों के साथ मिलकर अंजाम दिया। सर्वे के लिए उन्होंने 1,134 बच्चों और उनकी माताओं से बात की।
विभाग ने राजकोट के कई प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों से उन छात्रों का ब्योरा देने को कहा था, जो गुस्सैल और इमोशनली कमजोर थे। उन्हें लगभग 5,000 नाम मिले। इनमें से उन्होंने 1,134 ऐसे नाम चुने जिनका व्यवहार चिंताजनक था। सर्वे करने वालों ने इन 1,134 बच्चों की माताओं से उनके बच्चों में मोबाइल की लत के पैटर्न को जानने के लिए संपर्क किया। उन्होंने पाया कि 54% माताएं अपने बच्चों को विजी रखने के लिए उन्हें मोबाइल फोन देती हैं। ताकि वे (माताएं) बिना परेशान हुए अपना काम पूरा कर सकें। संपर्क की गई सभी महिलाओं में से लगभग 30% वर्किंग थीं और 70% गैर-कामकाजी (non-working) थीं।
सर्वे के मुताबिक, 82% बच्चे अपने माता-पिता से मोबाइल फोन की मांग करते हैं, जबकि 93% बच्चे मोबाइल गेम खेलना पसंद करते हैं और उन्हें आउटडोर गेम खेलना पसंद नहीं है। 78% बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें मोबाइल स्क्रीन देखते हुए खाना खाने की आदत है। सर्वे में पाया गया कि 82% बच्चे मोबाइल की लत के कारण अकेलेपन जैसी कुछ मनोवैज्ञानिक स्थितियों से पीड़ित हैं। इसी तरह 73% बच्चे स्कूल में अपने मोबाइल को याद करते हैं, जबकि 77% बच्चे स्कूल से लौटने के बाद मोबाइल फोन की मांग करते हैं।
जोगसन ने कहा, “ऐसे मामले तब सामने आते हैं, जब बच्चा बिना मोबाइल स्क्रीन देखे खाना नहीं खाता या होमवर्क नहीं करता। अब ये बच्चे मोबाइल के इतने आदी हो गए हैं कि माता-पिता खुद को बेबस महसूस करते हैं। यह भी लाड़-प्यार का ही नतीजा है कि माता-पिता बच्चे की जिद के आगे झुक जाते हैं।”
सर्वे करने वालों को अभिभावकों से पता चला कि 64% बच्चे नींद में भी मोबाइल के बारे में बात करते हैं। 77% बच्चों के सोने के औसत समय में मोबाइल की वजह से देरी हुई, जो अगले दिन सुबह जल्दी नहीं उठ पाते हैं। इससे उनका पूरा दिन डिस्टर्ब रहता है। रमानी ने कहा, “माता-पिता के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि बच्चों ने अपनी दुनिया को मोबाइल फोन तक सीमित कर लिया है और उन्हें नहीं पता कि बाहर क्या हो रहा है।”
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