IIT गांधीनगर के शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किए गए 2020 के एक अध्ययन में पता चला है कि विश्लेषण किए गए प्रति किलोग्राम के लिए साबरमती नदी (Sabarmati river) के तलछट में 134 माइक्रोग्राम माइक्रोप्लास्टिक (micrograms microplastic) थे।
अरबिंद कुमार पटेल, चंद्रशेखर भगत, कलिंग टाकी और मनीष कुमार द्वारा ‘भारत की साबरमती नदी के तलछट में माइक्रोप्लास्टिक भेद्यता’ का अध्ययन उन कई अध्ययनों में से एक था जिसने शहर के तत्काल वातावरण में माइक्रोप्लास्टिक्स (microplastics) के प्रसार का संकेत दिया था।
दुनिया माइक्रोप्लास्टिक्स (microplastics) के रूप में एक नई चुनौती से जूझ रही है। इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) का विषय ‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’ है, इसलिए विशेषज्ञ एक प्रकार के प्रदूषण की ओर इशारा करते हैं, जिससे लड़ना मुश्किल है।
सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल एजुकेशन (सीईई) के वरिष्ठ कार्यक्रम निदेशक प्रभजोत सोढ़ी ने कहा कि अहमदाबाद सहित भारत के प्रमुख शहरों में, प्लास्टिक के पुनर्चक्रण से बड़ी मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक उत्पन्न होता है जिसे समाप्त नहीं किया जा सकता है।
2022 में एमएस यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा (MS University of Baroda) और हेमचंद्राचार्य उत्तर गुजरात विश्वविद्यालय (Hemchandracharya North Gujarat University) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अन्य अध्ययन में 20 स्थानों पर राज्य के समुद्र तटों पर 1.4 से 26 माइक्रोग्राम प्रति किलोग्राम रेत के बीच माइक्रोप्लास्टिक का प्रसार पाया गया।
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