2010 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रभाकर चौधरी (IPS officer Prabhakar Chaudhary) का एक बार फिर तबादला कर लखनऊ भेजा गया है। वह अब कमांडेंट, 32वीं वाहिनी पीएसी, लखनऊ के पद पर तैनात हैं। इसी साल 13 मार्च को उनका तबादला कर उन्हें बरेली के एसएसपी के पद पर तैनात किया गया था। लेकिन 5 महीने के अंदर ही उनका दोबारा तबादला कर दिया गया। वहीं अब उन्होंने एक और जिम्मेदारी संभाल ली है।
पिछले 8 सालों में 15 जिलों की कमान संभाल चुके प्रभाकर चौधरी (Prabhakar Chaudhary) का 18 बार तबादला किया गया, और उनकी अब तक की पूरी 13 साल की सेवा में उनका 21 बार तबादला हो चुका है।
प्रभाकर अम्बेडकर नगर के रहने वाले हैं। एसवीपीएनपीए में अपना आईपीएस प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, वह नोएडा में एएसपी के रूप में एक अंडर ट्रेनी के रूप में शामिल हुए। इसके बाद उन्हें एएसपी बनाकर आगरा, जौनपुर और फिर वाराणसी भेजा गया।
फिर, वह कुछ समय के लिए एसपी सिटी, कानपुर बने। जनवरी 2015 में उन्हें ललितपुर का एसपी नियुक्त किया गया। पुलिस प्रमुख के रूप में यह उनका पहला जिला था। फिर, दिसंबर 2015 में, उन्हें लखनऊ में इंटेलिजेंस मुख्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया।
वह यूपी कैडर के एकमात्र आईपीएस अधिकारी हैं जो प्रशिक्षित एनएसजी कमांडो भी हैं। पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी तक कई राजनेता और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उनके काम की तारीफ कर चुके हैं। अपनी 13 साल की सेवा में उन्होंने यूपी पुलिस में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है, जिसमें कई जिलों में पुलिस अधीक्षक भी शामिल हैं।
हाल के वर्षों की घटना
प्रभाकर चौधरी जब जून 2021 में तत्कालीन एसएसपी अजय साहनी, जो 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी और एनकाउंटर सिपाही के रूप में जाने जाते थे, के स्थानांतरण के बाद वरिष्ठ एसएसपी, मेरठ के रूप में शामिल हुए थे। चौधरी ने देर रात बैठक बुलाई। उन्होंने कुछ दिन पहले ही ज्वाइन किया था।
बैठक में उन्होंने उपस्थित प्रत्येक थाना प्रभारी (एसएचओ) को हजार रुपये के नोटों वाले लिफाफे सौंपे और उन्हें स्पष्ट निर्देश दिया कि यह पैसा पुलिस स्टेशन में आने वाले आगंतुकों के जलपान पर होने वाले खर्च पर खर्च किया जाना है।
उनकी मानवता और निष्ठा के साथ पुलिसिंग की ये अकेली घटना नहीं थी। ऐसी बहुत सी घटनाएं हैं जो यह साबित करती हैं कि वे जहां भी तैनात रहे, आम लोग उन पर भरोसा करते हैं और उनके कार्यकाल में खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं।
जून 2022 में, जब उनका तबादला मेरठ से आगरा हो गया, तो एक व्यक्ति पुलिस अधिकारी के तबादले से इतना परेशान हो गया कि उसने यूपी पुलिस आपातकालीन सेवा 112 पर कॉल करके आत्महत्या करने की धमकी दी।
तब युवक ने कहा था, ”प्रभाकर चौधरी बहुत अच्छे हैं, उन्हें मेरठ में ही रहने दीजिए। उनके कार्यकाल में पुलिस ने कोई रिश्वत नहीं ली।”
एक बार वह फरियादी की तरह थाने पहुंचे और साइकिल चोरी की एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की तो कोई पुलिसकर्मी उन्हें पहचान नहीं पाया था।
जब कानपुर देहात में ट्रेन हादसा हुआ तो उन्होंने खुद ही हाईमास्क लाइटें लगवाकर खंभे लगाने शुरू कर दिए। जब एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंची तो उन्होंने कई घायलों को अपनी कार से अस्पताल पहुंचाया।
वाराणसी में वह काशी की तंग गलियों में साइकिल से निकलते थे, लोगों के बीच चाय पीते थे और उनका फीडबैक लेते थे। यही वजह है कि महज 8 महीने के अंदर ही वह वाराणसी में काफी लोकप्रिय हो गए।
शिक्षा
प्रभाकर चौधरी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय (Allahabad University) से बीएससी की, फिर एलएलबी की पढ़ाई की। उन्होंने एक बार कहा था कि वह केमिस्ट्री लेक्चरर बनना चाहते थे, लेकिन किस्मत उन्हें यूपीएससी तक ले गई। सीएसई-2009 में अपने पहले ही प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वह आईपीएस अधिकारी बन गए।
2016 में जब उन्हें कानपुर देहात का एसपी बनाया गया तो वह एक छात्र की तरह सिर्फ एक बैकपैक के साथ अपनी नई पोस्टिंग में शामिल होने आए। वह फिटनेस के शौकीन व्यक्ति हैं और अपनी फिटनेस का बहुत ख्याल रखते हैं।
चर्चा में आया स्थानांतरण
30 जुलाई, 2023 को बरेली में कांवर यात्रा के गैर पारंपरिक मार्ग को लेकर विवाद शुरू हो गया और कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने लगी। फिर एसएसपी चौधरी ने आगे बढ़कर नेतृत्व किया। पहले तो उन्होंने कांवरियों को समझाने की कोशिश की और गैर पारंपरिक रास्ते पर रोक लगा दी। लेकिन जब हालात काबू में नहीं आए तो उन्होंने हल्का बल प्रयोग किया और कांवरियों पर लाठीचार्ज कर दिया।
इसके बाद महज आधे घंटे में ही बरेली शहर शांत हो गया और कानून व्यवस्था बहाल हो गयी। एक बड़ा हादसा टल गया। सभी ने चौधरी के प्रयास की सराहना की। लेकिन, यूपी सरकार ने यूपी पुलिस में बड़ा फेरबदल करते हुए चौधरी का भी तबादला कर दिया।
कांवरिया कांड के चार घंटे बाद चौधरी का स्थानांतरण आदेश आ गया और आईपीएस अधिकारी को 32वीं वाहिनी पीएसी में सेनानायक बना दिया गया। 14 मार्च को उन्होंने बरेली का कार्यभार संभाला था और 5 महीने के अंदर ही उनका दोबारा तबादला कर दिया गया। लेकिन, अब उन्हें इसकी आदत हो गई है। क्योंकि शायद ही कोई अन्य आईपीएस अधिकारी होगा जिसका अपने छोटे से करियर में इतनी बार तबादला हुआ हो।
सेवाकाल
2015 में उन्होंने दक्षिण यूपी के आखिरी छोर पर स्थित झांसी मंडल के जिले ललितपुर की कमान संभाली। वह दिसंबर 2015 तक यानी करीब 11 महीने तक ललितपुर के एसपी रहे। इसके बाद उन्हें इंटेलिजेंस मुख्यालय में तैनात किया गया। 13 जनवरी 2016 को उन्हें देवरिया का पुलिस प्रमुख बनाया गया, जहां उनका कार्यकाल 18 अगस्त 2016 तक रहा।
देवरिया के बाद उन्हें सीधे बलिया का पुलिस प्रमुख बना दिया गया। उन्होंने वहां सिर्फ 2 महीने ही काम किया। बलिया के बाद उन्हें कानपुर देहात का एसपी बनाया गया। 28 अप्रैल 2017 को जब भाजपा सत्ता में आई तो चौधरी को मात्र 5 माह में ही कानपुर देहात से स्थानांतरित कर एटीएस में भेज दिया गया। वह 23 सितंबर 2017 तक यूपी एटीएस में तैनात रहे।
24 सितंबर 2017 को चौधरी को बिजनौर जिले का एसपी बनाया गया था। बिजनोर में भी वह 6 महीने पूरे नहीं कर सके और 19 मार्च, 2017 को उन्हें बिजनोर से हटा दिया गया। बिजनोर से ट्रांसफर के 3 दिन बाद ही उन्हें एक बड़े जिले, मथुरा के एसपी के रूप में नियुक्त किया गया।
मथुरा में उनका कार्यकाल लोगों के लिए बहुत उपयोगी रहा क्योंकि मथुरा शहर में लूट के कई पुराने मामले सुलझ गए थे। लेकिन, 3 महीने के अंदर ही उनका मथुरा से ट्रांसफर कर दिया गया। इस बार उन्हें सीतापुर भेज दिया गया। 30 जून 2018 को प्रभाकर चौधरी को सीतापुर का एसपी बनाया गया, लेकिन वहां से भी 6 महीने पूरे होने से पहले ही 8 दिसंबर 2018 को उनका ट्रांसफर कर दिया गया।
सीतापुर के बाद चौधरी को 9 दिसंबर, 2018 को एसपी के रूप में बुलंदशहर भेजा गया, लेकिन 2 महीने बाद 20 फरवरी, 2019 को उनका फिर से तबादला हो गया और उन्हें जीआरपी झाँसी का एसपी बना दिया गया। यहां जब सोनभद्र जिले के उम्भा कांड हुआ था तो जमीन पर कब्जे के पुराने विवाद में पुलिस और पब्लिक के बीच पथराव और फायरिंग हुई थी।
जब क़ानून-व्यवस्था बिगड़ने लगी तो सरकार ने आनन-फ़ानन में 4 अगस्त 2019 को चौधरी को सोनभद्र का एसपी बना दिया। उन्होंने स्थिति को बहुत अच्छे से संभाला। और, ठीक 2 महीने बाद 31 अक्टूबर 2019 को उन्हें प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का एसएसपी बना दिया गया। इसके बाद उन्हें 7 जुलाई 2020 तक मुरादाबाद का एसपी बनाया गया। 9 महीने के कार्यकाल के बाद उन्हें मुरादाबाद से हटाकर मेरठ का एसएसपी बना दिया गया। वह मेरठ में 25 जून 2022 तक सिर्फ एक साल ही टिक सके।
इसके बाद उन्हें आगरा जैसे बड़े शहर की कमान सौंपी गई। लेकिन आगरा में भी वो सिर्फ 5 महीने ही टिक सके और 28 नवंबर 2022 को हटा दिए गए।
सीबीआई में जा सकते हैं प्रभाकर चौधरी
कहा जा रहा है कि चौधरी को जल्द ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजा जा सकता है। सीबीआई की ओर से उन्हें वहां भेजने के लिए 4 बार रिमाइंडर दिया जा चुका है, लेकिन सरकार ने नहीं भेजा।
जांच एजेंसी ने अधिकारी को पदमुक्त करने के लिए कई बार पत्र भी भेजा है। लेकिन, अब ताजा विवाद के बाद माना जा रहा है कि यूपी सरकार जल्द ही प्रभाकर चौधरी (Prabhakar Chaudhary) को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से मुक्त कर देगी और वह सीबीआई में शामिल हो जाएंगे।
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यह रिपोर्ट indianmasterminds.com द्वारा सबसे पहले प्रकाशित की जा चुकी है।