केंद्रीय गृह मंत्री के हमनाम वाले एक और भाजपा नेता पार्टी के लिए समर्पित रहते हैं। उन्हें पांच साल पार्षद रहने के बाद एलिसब्रिज विधानसभा सीट से भाजपा का टिकट दिया गया है।
यह हैं-अहमदाबाद के पूर्व महापौर 63 वर्षीय अमित पोपटलाल शाह। अधिकतर साथी कार्यकर्ता उनकी इनर्जी और चलने की तेज गति से तालमेल बैठाने में कठिनाई महसूस करते हैं। इसलिए कि अहमदाबाद भाजपा इकाई के वर्तमान प्रमुख एलिसब्रिज विधानसभा क्षेत्र में प्रचार अभियान में जुटे रहते हैं। शाह इस बात पर अड़े हैं कि आम आदमी पार्टी यानी आप अहमदाबाद शहर की 16 विधानसभा सीटों में से किसी पर भी सेंध नहीं लगा पाएगी। उन्हें खुद 80,000 से अधिक वोटों से जीतने का भरोसा है। जीतने के बाद उन्होंने अपने क्षेत्र के पालड़ी क्षेत्र में अशांत क्षेत्र कानून (Disturbed Areas Act) से संबंधित सभी विवादों को हल करने की कसम खाई है।
23 नवंबर को नवरंगपुरा में शाह की दूसरे दिन की रैली थी। उसमें उन्होंने और अपने काफिले के साथ आवासीय सोसायटियों में पैदल लगभग चार किलोमीटर की दूरी तय की थी। हर जगह उनका जोरदार स्वागत हो रहा था।
न्यू अस्मिता अपार्टमेंट में, कॉमर्स सिक्स रोड्स मेट्रो स्टेशन के सामने एक व्यक्ति ने गुस्से में शाह और उनके दल के कार्यकर्ताओं और ढोल वादकों को भगा दिया। वह भीड़भाड़ और भारी शोर से परेशान था। एक भाजपा कार्यकर्ता ने विनम्रता से कहा, “शायद उनके घर पर कोई बीमार है, इसलिए वे शोर से परेशान हो रहे हैं।” यहां तक कि शाह ने भी तुरंत माफी मांग ली और काफिले को वापस मोड़ लिया।
शाह ने मीडिया से कहा, “चुनाव से पहले जनता के बीच खुद को दिखाना महत्वपूर्ण होता है। मैं हर दिन 18,000 कदम चल रहा हूं। चुनाव के बाद भी रविवार को अपना जनसंपर्क जारी रखूंगा। मुझे लगता है कि संबंध बनाने के लिए मतदाताओं से घर-घर जाकर खुद मिलना जरूरी है। आप देखिए, हम पैम्फलेट बांट रहे हैं, क्योंकि मतदाताओं को मेरी उम्मीदवारी के बारे में पता होना चाहिए, और यह कि मैं उनके घर गया था। एक नगरसेवक के रूप में मैं हर साल किए गए कार्यों की बुकलेट बांटने का काम करूंगा। आखिर जनता को पता होना चाहिए कि उनका निर्वाचित प्रतिनिधि उनके लिए क्या कर रहा है।”
देव अपार्टमेंट सोसायटी में जैसे ही शाह अपनी टीम के साथ प्रवेश करते हैं, उम्रदराज अरुणाबेन शाह अन्य महिलाओं के संग उनसे मिलती हैं। उन्होंने शाह से शिकायत की कि आपसे कहने पर भी गेट के बाहर पुरुष पेशाब करते रहते हैं। इस पर शाह ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह आसपास के क्षेत्र में एक सार्वजनिक शौचालय (public toilet) बनाने के लिए नगर निकाय के अधिकारियों को जरूर कहेंगे।
उनके पास वकालत की डिग्री है, लेकिन कभी वकील का काम नहीं किया। रैलियों में उनके साथ उनका परिवार यानी बेटी और पत्नी भी रहती हैं। पार्टी के प्रति वफादार शाह एएमसी में लगातार पांच बार पार्षद रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कई पद संभाले- चुंगी (octroi) अध्यक्ष, जल आपूर्ति उपाध्यक्ष के अलावा एएमसी में कांग्रेस शासन के दौरान पांच साल तक उसकी स्थायी समिति (standing committee) के सदस्य रहे। वह 2000 से 2005 तक एएमसी में विपक्ष के नेता भी रहे।
शाह 2005 और 2008 के बीच अहमदाबाद के मेयर थे। वह नई दिल्ली में बैठे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हमनाम से अधिक लोकप्रिय हैं। उनका कहना है कि एक ही नाम के दो लोगों को लेकर मामूली भ्रम रहता है। शाह कहते हैं, “शुरुआत में कुछ भ्रम हुआ करता था। जब अमित (अनिलचंद्र) शाह (केंद्रीय गृह मंत्री) 1995 में गुजरात राज्य वित्तीय सेवा (GSFC) के अध्यक्ष बने, तो कंपनी के अधिकारी एक बार फूलों के गुलदस्ते के साथ मेरे घर आ गए थे। मैं उस समय पार्षद था। मैंने उनसे कहा कि मैं वह व्यक्ति नहीं हूं, जिन्हें आप ढूंढ रहे हैं। इसके बाद मुझे इस तरह के भ्रम का सामना कभी नहीं करना पड़ा।”
विशेष बात यह कि इस समय के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जब 2005 में अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष थे, तब मेयर अमित शाह डिप्टी अकाउंटेंट थे।
अभियान के दौरान स्थानीय लोग उनका दिल से स्वागत करते हैं। खासकर वे, जो आरएसएस से जुड़े होने का दावा करते हैं, या शाह को उनके मेयर के दिनों से जानते हैं। कंक्रीट तकनीक के बिजनेस से रिटायर श्याम गोपालदास शाह उनकी रैली को देखते ही घर से निकल आते हैं। वह कहते हैं, ”हम दशकों से दोस्त हैं और मैं निश्चित तौर पर उन्हें वोट दूंगा। भाजपा ही आनी चाहिए, और कौन आएगा?”
3.15 करोड़ रुपये की घोषित चल और अचल (moveable and immovable) संपत्ति वाले शाह को 2002 में नर्मदा बचाओ आंदोलन के दौरान मेधा पाटकर पर हमला करने के एक क्रिमिनल केस का भी सामना करना पड़ा है, जिसका मुकदमा अभी भी अहमदाबाद मजिस्ट्रेट की अदालत में चल रहा है। तब विनय सक्सेना (दिल्ली के लेफ्टिनेंट-गवर्नर), अमित ठाकर (वेजलपुर से भाजपा उम्मीदवार) और भाजपा नेता रोहित पटेल के साथ शाह पर आईपीसी के तहत गैरकानूनी जमघट लगाने, दंगा, चोट पहुंचाने और धमकी देने का आरोप लगाया गया था। शाह कहते हैं, “वह (पाटकर) 10 साल तक अदालत के सामने पेश नहीं हुईं। आखिरकार मजिस्ट्रेट भी परेशान हो गए कि मेयर आता है, पर वह (पाटकर) नहीं आती हैं। फिर मुझे अदालत में पेश होने से छूट दे दी। गुजरात की जनता नर्मदा का पानी चाहती थी। पाटकर ने बांध की ऊंचाई बढ़ाने का विरोध किया। हमने उनके खिलाफ प्रदर्शन किया था। इसमें कुछ भी गलत नहीं था। ”
बहरहाल, एलिसब्रिज भाजपा के लिए प्रतिष्ठा वाली सीट रही है। पीएम मोदी भी एक बार इस सीट के लिए इच्छुक रहे हैं। पार्टी ने 1998 से सीट पर नियंत्रण बनाए रखा है। शहर के भाजपा प्रमुख के रूप में शाह को शहर के अधिकार क्षेत्र के भीतर सभी 16 विधानसभा क्षेत्रों में जीत का प्रबंधन भी सौंपा गया है। वह स्पष्ट रूप से कहते हैं कि वह हिंदू वोटों पर निर्भर हैं। यह भी कि पार्टी मुस्लिम क्षेत्रों में प्रचार नहीं कर रही है।
शाह ने कहा, “एलिसब्रिज में कांग्रेस कभी नहीं जीती। 1995 में जीतने वाला अंतिम गैर-बीजेपी उम्मीदवार एक निर्दलीय था। हमारी जीत का अंतर हर बार बढ़ा है। मेरा मानना है कि इस साल का मार्जिन 80,000 से ऊपर रहेगा। हमने हिंदू क्षेत्रों में अपनी ‘पेज समितियों’ की सावधानीपूर्वक योजना बनाई है। हम मुस्लिम इलाकों में नहीं गए हैं, क्योंकि हमें उनका वोट नहीं मिलता है। इसलिए हम उनके लिए काम करने में भी रुचि नहीं रखते। हम इस बार कांग्रेस को बड़ा झटका देंगे। आम आदमी पार्टी तो तस्वीर में भी नहीं है। ”