केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली ‘मौलाना आज़ाद फैलोशिप (MANF )’ को बंद कर दिया है। यह जानकारी अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस सदस्य टीएन प्रतापन के सवाल के जवाब में लोकसभा में दी।
स्मृति ईरानी ने कहा कि यह योजना सरकार की तरफ से लागू की जा रही उच्च शिक्षा के लिए अन्य फेलोशिप योजनाओं के साथ टकराती है. यानी अल्पसंख्यक छात्र पहले से ही ऐसी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। इसलिए सरकार ने 2022-23 से MANF योजना को बंद करने का फैसला किया है। यह स्कॉलरशिप अल्संख्यक वर्ग के छात्रों को उच्च शिक्षा (शोध) के लिए दी जाती थी।
अपने जवाब में ईरानी ने यह भी कहा कि यूजीसी द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2014-15 और 2021-22 के बीच 738.85 करोड़ रुपये के फंड के साथ 6,722 उम्मीदवारों को फेलोशिप के तहत चुना गया था। इससे पहले प्रतापन ने लोकसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए इस कदम को अल्पसंख्यक विरोधी बताया।
मौलाना आजाद फैलोशिप योजना छह अल्पसंख्यक समुदायों – मुस्लिम, बौद्ध, ईसाई, जैन, पारसी और सिख- को एमफिल और पीएचडी करने के लिए वित्तीय सहायता के रूप में केंद्र द्वारा दी जाने वाली पांच साल की फेलोशिप है। यह योजना विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों को कवर करती है। इसे यूजीसी के माध्यम से अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा लागू किया जाता है।
फेलोशिप का दायरा भारत के भीतर नियमित और पूर्णकालिक शोध (full-time research) करने वाले अल्पसंख्यक छात्रों को सहायता प्रदान करना है। इसमें सहायक प्रोफेसरों का रिसर्च प्रोजेक्ट भी शामिल है।
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