डीसा, गुजरात: बनासकांठा जिले के डीसा शहर के बाहरी इलाके में मंगलवार को एक पटाखा गोदाम में भीषण विस्फोट हुआ, जिसमें कम से कम 21 लोगों की मौत हो गई, जिनमें सात बच्चे भी शामिल हैं। इस घटना में छह अन्य लोग घायल हो गए। पुलिस के अनुसार, यह गोदाम अवैध रूप से पटाखों के भंडारण और बिक्री के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था, और विस्फोट के कारण पूरी इमारत ध्वस्त हो गई।
गोदाम मालिकों पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज
यह विस्फोट सुबह 9:30 बजे डीसा के दीपक ट्रेडर्स नामक गोदाम में हुआ, जिसका मालिक खुबसचंद रेनूमल मोहनानी और उनका बेटा दीपक खुबसचंद मोहनानी है। बनासकांठा पुलिस ने गोदाम मालिकों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है। दोनों आरोपियों को लोकल क्राइम ब्रांच (LCB) द्वारा हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है, हालांकि खबर लिखे जाने तक उनकी औपचारिक गिरफ्तारी नहीं हुई थी।
यह एफआईआर डीसा ग्रामीण पुलिस स्टेशन में 1 अप्रैल को रात 8:15 बजे दर्ज की गई, जिसमें डीसा मामलतदार विपुलकुमार कीर्तिकुमार बारोट की शिकायत के आधार पर कार्रवाई की गई। भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत आरोपियों पर निम्नलिखित धाराएं लगाई गई हैं: धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), धारा 110 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), धारा 125(ए) और 125(बी) (अन्य लोगों के जीवन या सुरक्षा को खतरे में डालने वाला कृत्य), धारा 326(जी) (आग या विस्फोटक पदार्थ द्वारा शरारत), धारा 45 (उकसाने का अपराध), इसके साथ ही विस्फोटक अधिनियम, 1884 और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 की धाराएं भी जोड़ी गई हैं।
आग से सुरक्षा के उपाय नहीं थे, FIR में आरोप
एफआईआर में कहा गया है कि आरोपियों ने आग से सुरक्षा के लिए कोई उपकरण नहीं लगाया था और अवैध रूप से भारी मात्रा में विस्फोटक पटाखों को स्टॉक किया था। उन्हें संभावित खतरे की जानकारी होने के बावजूद उन्होंने सुरक्षा उपाय नहीं किए।
मृतकों और घायलों के परिजनों को मुआवजे की घोषणा
केंद्र सरकार ने मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख और गुजरात सरकार ने ₹4 लाख की सहायता राशि देने की घोषणा की है। इसके अलावा, घायलों को ₹50,000 की आर्थिक मदद दी जाएगी।
मृतकों और घायलों की पहचान
अधिकारियों के अनुसार, 19 मृतकों की पहचान हो चुकी है, जबकि दो अन्य की पहचान डीएनए जांच के जरिए की जाएगी। मृतकों में कई पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, जिनमें से अधिकांश मध्य प्रदेश के प्रवासी मजदूर थे। घायलों का डीसा, पालनपुर और अहमदाबाद के अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
जांच जारी, गोदाम का लाइसेंस पहले ही रद्द
बनासकांठा एसपी अक्षयराज माकवाना ने बताया कि यह गोदाम केवल पटाखों के भंडारण और बिक्री के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था और यह कोई निर्माण इकाई नहीं थी। दमकल विभाग, एचपीसीएल (Hindustan Petroleum Corporation Limited) और एसडीआरएफ (SDRF) की टीमों ने 11 घंटे तक राहत और बचाव कार्य किया।
गौरतलब है कि पुलिस ने 12 मार्च को ही इस गोदाम का निरीक्षण किया था, जब मालिकों ने पटाखों के भंडारण के लिए लाइसेंस नवीनीकरण की मांग की थी। लेकिन, सुरक्षा उपायों की कमी के कारण पुलिस ने लाइसेंस नवीनीकरण की सिफारिश नहीं की थी। संयुक्त मुख्य विस्फोटक नियंत्रक पी. सीनिराज (वडोदरा सर्कल) ने पुष्टि की कि इस फर्म को पटाखे स्टोर करने की अनुमति नहीं दी गई थी।
एसआईटी गठित
डीजीपी विकास सहाय के निर्देश पर विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है, जिसका नेतृत्व डीएसपी सी.एल. सोलंकी करेंगे। टीम में तीन इंस्पेक्टर और एक सब-इंस्पेक्टर शामिल होंगे। पुलिस की पांच टीमें राजस्थान, अहमदाबाद और साबरकांठा में आरोपियों को पकड़ने के लिए रवाना हो चुकी हैं।
नेताओं ने जताया शोक
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस हादसे पर शोक व्यक्त किया और मृतकों के परिवारों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) से मुआवजा देने की घोषणा की।
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस घटना को ‘हृदयविदारक’ बताया और प्रशासन को घायलों के इलाज की उचित व्यवस्था करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा, ‘इस दर्दनाक घटना में मारे गए मजदूरों के परिजनों को मेरी गहरी संवेदनाएं। घायलों को शीघ्र उचित चिकित्सा सहायता मिले, इसके लिए प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं।’
पुलिस और प्रशासन इस घटना की गहन जांच कर रहे हैं ताकि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
पांच साल में फैक्ट्री हादसों में 992 गरीब मजदूरों की गई जान
डीसा में अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट में कई गरीब मजदूरों की जान जा चुकी है। जबकि गुजरात में पिछले पांच साल में फैक्ट्री हादसों में 992 मजदूरों की मौत हो चुकी है।
राज्य सरकार के कारनामों और उद्योग मालिकों को खुश करने के नाम पर निर्दोष मजदूरों की जान जा रही है। फैक्ट्रियों और कारखानों में औद्योगिक सुरक्षा और स्वास्थ्य नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, फिर भी श्रम और रोजगार विभाग आंखें मूंदे बैठा है।
पिछले कुछ सालों से गुजरात में फैक्ट्रियों और कारखानों में आग लगने की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। इतना ही नहीं, अपर्याप्त उपकरणों के कारण गरीब मजदूरों की जान जा रही है। राज्य श्रम एवं रोजगार विभाग के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018 से वर्ष 2022 तक गुजरात में फैक्ट्री दुर्घटनाओं में कुल 992 श्रमिकों की जान जा चुकी है।
फ़ैक्ट्री दुर्घटनाओं में सूरत पूरे राज्य में अग्रणी रहा है। सूरत में फैक्ट्री दुर्घटनाओं में 155 श्रमिकों की मौत हो चुकी है। जबकि अहमदाबाद दूसरे स्थान पर रहा है। अहमदाबाद जिले में पांच वर्षों में 126 श्रमिकों की मौत हो चुकी है। वलसाड जिले में 92 श्रमिकों की मौत हो चुकी है।
वर्ष 2021 तक गुजरात में खतरनाक अपशिष्ट पैदा करने वाली 20,433 फैक्ट्रियां हैं। इन फैक्ट्रियों में श्रमिकों की सुरक्षा के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। न केवल श्रमिकों, बल्कि फैक्ट्री के आसपास के लोगों की जान भी जोखिम में डाली जा रही है। गुजरात राज्य जनसंख्या नियंत्रण बोर्ड के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
इसके बावजूद सरकार का फैक्ट्री मालिकों पर चार हाथ है। हप्तराज के कारण फैक्ट्री इंस्पेक्टर फैक्ट्रियों का औचक निरीक्षण नहीं करते हैं।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले नारोल स्थित फैक्ट्री में आग लगने से दो लोगों की मौत हो गई थी और 4 मजदूर गंभीर हालत में थे। कुछ समय पहले ही कच्छ और वडोदरा में फैक्ट्री हादसों में निर्दोष मजदूरों की जान गई है।
इस तरह गुजरात सरकार और श्रम एवं रोजगार विभाग की निष्क्रियता के कारण निर्दोष लोगों की जान जा रही है। जब आग या दुर्घटना होती है तो जांच का आदेश दिया जाता है।
पिछले पांच सालों में फैक्ट्री हादसों में मजदूरों की मौत का ब्यौरा-
- जिला- मजदूर मौतें
- सूरत- 155
- अहमदाबाद- 126
- मोरबी- 114
- भरूच- 98
- वलसाड- 92
- कच्छ- 71
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