एक चिंताजनक रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2024 तक गुजरात की न्यायिक प्रणाली भारी पेंडेंसी मामलों से जूझ रही है। गुजरात उच्च न्यायालय में 1,70,963 मामले लंबित हैं, जबकि राज्य के जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में 16,90,643 मामले लंबित हैं।
यह जानकारी कानून और न्याय मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और संसदीय मामलों के मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 19 दिसंबर 2024 को राज्य सभा में सांसद परिमल नाथवानी के सवाल के उत्तर में दी। मंत्री द्वारा राज्य सभा में प्रस्तुत बयान में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर न्यायिक पेंडेंसी की स्थिति का खुलासा किया गया।
राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य: उच्च न्यायालयों और जिला न्यायालयों में 61 लाख से अधिक मामले लंबित
राष्ट्रीय स्तर पर, न्यायिक प्रणाली और भी गंभीर स्थिति का सामना कर रही है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय में 82,640 मामले लंबित हैं, जबकि देशभर में उच्च न्यायालयों में 61,80,878 मामले लंबित हैं। इसके अलावा, देश के जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में 4,62,34,646 मामले लंबित हैं, जो न्यायिक बुनियादी ढांचे पर दबाव डाल रहे हैं।
गुजरात और राष्ट्रीय स्तर पर न्यायधीशों के पदों पर रिक्तियां
न्यायधीशों की कमी इस समस्या को और बढ़ा रही है। गुजरात में उच्च न्यायालय में 20 न्यायधीशों के पद रिक्त हैं, जिनकी स्वीकृत संख्या 52 है। गुजरात के जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में 535 न्यायधीशों के पद रिक्त हैं, जबकि स्वीकृत संख्या 1,720 है।
राष्ट्रीय स्तर पर, उच्च न्यायालयों में कुल 368 पद रिक्त हैं, जबकि स्वीकृत संख्या 1,122 है। जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में भी स्थिति गंभीर है, जहां 5,262 पद रिक्त हैं, जबकि स्वीकृत संख्या 25,741 है।
हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय में स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है, जहां 34 न्यायधीशों के पद स्वीकृत हैं और केवल एक पद रिक्त है।
न्यायिक सुधारों की तत्काल आवश्यकता
लंबित मामलों की संख्या और न्यायधीशों के रिक्त पदों की स्थिति न्यायिक सुधारों की आवश्यकता को और अधिक महत्वपूर्ण बना देती है। नाथवानी द्वारा राज्य सभा में पूछे गए सवाल ने भारतीय न्यायिक प्रणाली को सशक्त बनाने की दिशा में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया, खासकर न्यायधीशों की नियुक्तियों और लंबित मामलों के समाधान में तेजी लाने के लिए।
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