2023 का वर्ष मणिपुर के लिए इतिहास के उन काले अध्यायों में दर्ज होगा, जब इस उत्तर-पूर्वी राज्य ने भीषण जातीय संघर्ष की आग को झेला। इस संकट की गूंज केवल मणिपुर तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे देश और दुनिया तक पहुंची। पत्रकार और लेखक राजन चौधरी की किताब “MANIPUR ON FIRE – Eyewitness to Ethnic Strife and Survival” इस संघर्ष की वह सच्चाई है, जिसे न केवल महसूस किया जा सकता है, बल्कि पढ़ते हुए हर पन्ने पर जीया जा सकता है।
राजन द्वारा लिखी गई यह किताब उनके मणिपुर हिंसा पर आधारित ग्राउंड रिपोर्ट्स की एक सीरीज है, जिसे उन्होंने एक किताब का रूप दिया है। राजन ने मणिपुर की कहानियों को मूलरूप से हिंदी में लिखा था जिसे सीनियर पत्रकार गीता सुनील पिल्लई द्वारा इंग्लिश में ट्रांसलेट किया गया है.
लेखक ने किताब का उद्देश्य, मणिपुर के बारे में कई अनकही बातें दुनिया के सामने लाने, और जातीय हिंसा के बाद उस राज्य में नागरिकों की बदतर जिंदगियों, चुनौतियों, हिंसाग्रस्त अति संवेदनशील क्षेत्र में पत्रकारिता के जोखिमों के बारे में दुनिया को अवगत कराना बताया।
क्यों खास है यह किताब?
किताब में मणिपुर के हालातों की आंखों देखी कहानियां शामिल की गई है। लेखक राजन चौधरी, ने अगस्त 2023 में, संघर्ष के बीच जाकर कई ऐसी कहानियों को दर्ज किये, जो लगभग अभी तक अनकही हैं।
चौधरी ने बिना किसी सुरक्षा के, सीमित संसाधनों के साथ, जोखिम भरी यात्राएं कीं और राहत शिविरों से लेकर चुराचांदपुर की पहाड़ियों तक के सफर में आम लोगों की पीड़ा को नजदीक से देखा।
राजन ने बताया कि, “यह किताब सिर्फ घटनाओं का दस्तावेज नहीं है, बल्कि उन चेहरों और आवाज़ों की कहानी है, जो सुर्खियों के पीछे दबकर रह गईं।”
“MANIPUR ON FIRE” पढ़ते हुए हर पंक्ति में दर्द और आशा की जुगलबंदी महसूस होती है। यह किताब सिर्फ एक पत्रकार की रिपोर्ट नहीं, बल्कि उन लोगों की आवाज़ है, जिनकी कहानियां अक्सर अधूरी रह जाती हैं।
किताब की मुख्य बातें
- मानवीय संवेदनाएं और संघर्ष की कहानियां:
किताब में राहत शिविरों में रह रही महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की मार्मिक कहानियां दर्ज हैं, जो हर पाठक को झकझोर कर रख देती हैं। एक मां का अपने नवजात को बचाने का संघर्ष हो या एक छात्रा की जली हुई किताबों के बीच शिक्षा पाने की लालसा – हर अध्याय मणिपुर की अनकही पीड़ा को उजागर करता है। - खास मुस्लिम समुदाय का ही आवागमन
किताब पांगल मुस्लिम समुदाय के बारे में भी जिक्र करती है. कुकी और मैतेई समुदाय के बीच जातीय हिंसा के दौरान एक दूसरे समुदायों में बाहरी लोगों के आने जाने के लिए सिर्फ मुस्लिम ड्राइवर ही आसानी से आ जा रहे हैं. चूंकि दोनों समुदायों के बीच हिंसा में इस मुस्लिम समुदाय की कोई भूमिका नही है. मौजूदा हालातों में मुस्लिम ड्राइवर के साथ यात्रा में हमले का रिस्क कम है.
- पत्रकारिता का साहस:
चौधरी ने इंफाल से चुराचांदपुर की यात्रा न केवल कठिनाइयों के बीच की, बल्कि अवैध वसूली, बार-बार की गई पूछताछ और दुर्गम रास्तों को पार करते हुए, एक ऐसे इलाके की रिपोर्टिंग की जहां पत्रकारों के लिए जाना आसान नहीं था। - जातीय संघर्ष की परतें:
किताब में मणिपुर के मैतेई और कुकी-जो समुदाय के बीच के संघर्ष की गहराई से पड़ताल की गई है। लेखक ने दिखाया है कि कैसे एक छोटे से अफवाह ने हिंसा का विकराल रूप ले लिया और समाज के ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर दिया। - महिलाओं की स्थिति और स्वास्थ्य संकट:
राहत शिविरों में महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को विस्तार से दर्शाया गया है। खासकर, गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए आवश्यक सुविधाओं के अभाव की बात को लेखक ने जोरदार ढंग से उठाया है।
यह किताब क्यों पढ़नी चाहिए?
मणिपुर को जानने और समझने के लिए, मणिपुर के संघर्ष के पीछे के सामाजिक और राजनीतिक पहलुओं को जानने के लिए यह किताब अनिवार्य बन जाती है। यह किताब मुश्किल हालातों में पत्रकारिता का एक उदाहरण ही नहीं, बल्कि यह मानवाधिकार की उस आवाज को आगे लाती है, जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। साथ ही मणिपुर की इस ऐतिहासिक रिपोर्टिंग से युवा पत्रकार और शोधकर्ता सीख सकते हैं कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी जिम्मेदार पत्रकारिता की जा सकती है।
उपलब्धता
“MANIPUR ON FIRE” किताब अब Notionpress, Flipkart और Amazon पर उपलब्ध है। नोशन प्रेस द्वारा प्रकाशित इस किताब के जारी हुए कुछ ही दिन हुए हैं, इस बीच किताब ने अमेजन पर बेस्टसेलर में “Literature” केटेगरी में अपनी जगह बना ली है. राजन ने किताब के बारे में कहा कि, “यह किताब न केवल मणिपुर के हालातों का दस्तावेज है, बल्कि भविष्य में ऐसे संघर्षों को रोकने के लिए एक चेतावनी भी है।”
कौन हैं राजन चौधरी?
पूर्वी उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में, एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में जन्में, 28 वर्षीय राजन चौधरी कई मीडिया समूहों के साथ स्वतंत्र पत्रकारिता कर चुके हैं. हाल ही में द मूकनायक के लिए किये गए शिक्षा और सामाजिक मुद्दे पर उनकी इम्पैक्टफुल रिपोर्ट को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रकाशन, नियमन रिपोर्ट्स में सराहा गया है। इससे पहले उनकी RTI-बेस्ड रिपोर्ट, जैसे यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल में पौने चार लाख सरकारी नौकरियों के दावे के खुलासे की उनकी रिपोर्ट काफी चर्चा में रही.
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