एक पिता ने जिस तरह से एक हिंसक तेंदुए से अपनी दो बेटियों की जान बचाई, उसकी न केवल ग्रामीणों ने सराहना की बल्कि वनकर्मियों को भी उनके साहस ने हैरान कर दिया। यह कहना गलत नहीं होगा कि अंकिल डामोर ने अपनी बहादुरी से नाबालिग बेटियों को एक नया जीवन देने का काम किया है।
घटना फूलपुर गांव में रविवार तड़के उस समय हुई जब रात करीब तीन बजे तेंदुआ उनके घर में घुस गया। वन अधिकारियों ने कहा कि उस समय डामोर और उनकी बेटियां कच्चे घर में सो रही थीं।
प्रशांत तोमर, सहायक वन संरक्षक, देवगढ़ बारिया ने कहा, “वह घर से बाहर आया तो डामोर अपनी तीन साल की बेटी वंशा को एक तेंदुए को जबड़े में पकड़े हुए देख कर दंग रह गया।”
तेंदुआ भागने की कोशिश में था लेकिन पिता उसके रास्ते में चट्टान की तरह खड़ा रहा और तेंदुए को उसकी बेटी को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा, लेकिन उसने तुरंत ही पास में सो रही पांच साल की काव्या को अपने जबड़ों में जकड़ लिया। इस बार, जंगली बिल्ली अपने जबड़े में रोते हुए बच्चे के साथ भागने में सफल रही, लेकिन पिता लगातार पीछा कर रहा था। उसने अंधेरे जंगल में बिल्ली का पीछा किया और उसे पकड़ लिया।
तोमर ने बताया, “डामोर ने तेंदुए को पकड़ लिया और पिच के अंधेरे के बीच अपने बच्चे को बचाने के लिए नंगे हाथों से लड़ाई लड़ी। जंगली बिल्ली को पकड़ने के लिए यह एक जबरदस्त साहसी कार्य था।”
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