जमीयत उलमा-ए-हिंद (JUH) की तीन दिवसीय आम सभा रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में अशांति फैलाते हुए खत्म हुई। इसमें हिंदू, जैन, ईसाई और सिख नेता मौलाना अरशद मदनी की बातों से नाराज होकर मंच छोड़कर चले गए। JUH (मदनी गुट) के नेता मौलाना अरशद मदनी ने दावा किया कि “ओम और अल्लाह एक हैं।”
मदनी ने कहा, “जब कोई (कोई भगवान) नहीं था, तब सवाल है कि मनु ने किसकी पूजा की? कुछ कहते हैं कि वह शिव की पूजा करते थे। बहुत कम लोग जानते हैं कि जब संसार में कुछ भी नहीं था, तब मनु ॐ की उपासना किया करते थे। मैंने पूछा, ‘ओम कौन है।’ किसी ने कहा ओम का कोई रंग नहीं है, कोई आकार नहीं है। हवा की तरह यह हर जगह है। इसने आकाश और पृथ्वी को बनाया। मैंने कहा- इसे ही हम अल्लाह कहते हैं। उसी को तुम ईश्वर कहते हो। इसका मतलब है कि आदम जैसा ही मनु अल्लाह की पूजा करता था, वह ओम है। कोई भी यह सिद्ध नहीं कर सकता कि मनु ने उस अल्लाह की (पूजा) नहीं की जिसने पृथ्वी को बनाया। सबसे पहले मनु ने ओम की इबादत की है (शुरुआत में मनु ने ओम की पूजा की); ओम एक है, अल्लाह एक है (ओम और अल्लाह एक हैं)।
मदनी ने कहा, “हमने कभी किसी को इस्लाम में शामिल होने के लिए मजबूर नहीं किया। विश्वास केवल तभी सच हो सकता है, जब यह स्वैच्छिक हो और ताकत या दबाव डालकर नहीं लाया गया हो।”
मदनी के भाषण के ठीक बाद मंच पर आते हुए अहिंसा विश्व भारती के जैन मुनि आचार्य लोकेश ने कहा, “मौलाना अरशद ने अभी जो कहा है, हममें से कोई भी उससे सहमत नहीं है। मैं आपसे विनती करता हूं, अगर आपको कुछ भी बात करनी है, तो हमारे (समुदायों) बीच प्यार की बात करें। वे सभी कहानियां जो उन्होंने (मदनी) अभी-अभी बताई हैं—अल्लाह, मनु, इत्यादि—उसकी चार गुणा कहानी मैं सुना सकता हूं। मदनी साहब, आप मेरे पिता जैसे हैं- मैं आपको चर्चा के लिए दिल्ली आमंत्रित करता हूं, आप मुझे सहारनपुर बुलाओ और मैं आऊंगा… आप भारत के इतिहास को मिटा नहीं सकते। आपने जो कहा है, मैं उसे नहीं मानता और न ही आज यहां उपस्थित सर्व धार्मिक संतों में से कोई भी मानेगा। अगर हम किसी बात से सहमत हैं, तो वह यह है कि हम सभी को एक साथ शांति से रहना चाहिए। इसके अलावा, ये सारी कहानियां जो आप बता रहे हैं, वे फालतू की बातें हैं। आपने उस सद्भावना सम्मेलन को बर्बाद कर दिया है, जो एकता के लिए था।”
इसके बाद आचार्य लोकेश और अन्य गैर-मुस्लिम नेताओं ने बैठक का बायकाट करते हुए मंच छोड़ दिया।
मंच से आचार्य लोकेश के साथ आए महर्षि भृगु फाउंडेशन के गोस्वामी सुशील महाराज ने कहा, “हम यहां धर्मों और समुदायों के बीच विभाजन को कम करने और एकता को समर्थन देने आए थे। हम किसी विवादित चीज का हिस्सा नहीं बनना चाहते। हम किसी और के धर्म के बारे में बात नहीं करेंगे और उन्हें हमारे बारे में बात नहीं करनी चाहिए।”
ग्लोबल संत स्वराज कल्याण फाउंडेशन के स्वामी चंद्र देव महाराज ने कहा कि नेता “मंदिर या मस्जिद में बैठकर धर्म के बारे में बात करने नहीं आए थे।”
उन्होंने कहा, “हम यहां भारतीयों के रूप में बात करने आए हैं। हम इस मंच से कैसे शांति और प्रेम फैला सकते हैं और धर्म के बारे में बात नहीं कर सकते हैं, इस पर चर्चा करने के लिए आए थे।”
हालांकि परमार्थ निकेतन आश्रम के स्वामी चिदानंद सरस्वती सहित कुछ नेता बयान को “गलतफहमी” बताते हुए वापस आ गए। उन्होंने कहा, “यह जो कहा गया है- उसे स्वीकार करने या न मानने का मामला नहीं है। ऐसा लगता है कि कोई गलतफहमी हो गई है… मैं कभी किसी चीज का बहिष्कार नहीं करता, क्योंकि वह रास्ता नहीं है। रास्ता चर्चा और समाधान खोजना है। इसलिए हम सभी एक ही मंच पर एकत्र होते हैं। ”
इस बीच, मदनी ने महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने के महत्व के बारे में भी बात की। कहा- “हमारे समुदाय की महिलाएं पिछड़ गई हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाए और उन्हें उनके अधिकार प्राप्त हों।” उन्होंने कहा कि निचली जाति के मुसलमानों के साथ हो रहे व्यवहार से वह “शर्मिंदा” हैं और इस मुद्दे को सुधारने की जरूरत है।