गुजरात उच्च न्यायालय (Gujarat high court) ने एक अस्सी वर्षीय नागरिक के बंदूक लाइसेंस (gun licence) को नवीनीकृत नहीं करने के सरकारी अधिकारियों के फैसले को इस आधार पर रद्द कर दिया है कि वह बुजुर्ग हो गए हैं और एक सेवानिवृत्त नागरिक का जीवन जी रहा है और उसने 1982 से आयकर रिटर्न (Income Tax returns) दाखिल नहीं किया है।
जिला मजिस्ट्रेट और गृह विभाग के आदेशों को खारिज करते हुए, न्यायमूर्ति वैभवी नानावती (Justice Vaibhavi Nanavati) ने अधिकारियों को निर्णय पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है और स्पष्ट किया है कि बंदूक लाइसेंस (gun licence) धारक की एडवांस एज और आय पर विचार करने का मानदंड नहीं हो सकता है। खासकर तब, जब याचिकाकर्ता के पास 57 साल से बंदूक का लाइसेंस था।
इस मामले में जूनागढ़ जिले के मांगरोल का अहमदुद्दीन शेख (Ahmeduddin Shaikh) शामिल था, जिसके पास 22 साल की उम्र से ही बंदूक का लाइसेंस था। पहले उसके पास कई आग्नेयास्त्र थे, लेकिन हाल ही में उनके पास एनपी बोर राइफल रखने का लाइसेंस था, जो दिसंबर 2019 में समाप्त हो गया। नवीनीकरण के लिए उनके अनुरोध को जूनागढ़ के जिला मजिस्ट्रेट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि शेख एक वरिष्ठ नागरिक और एक सेवानिवृत्त व्यक्ति के रूप में जीवन व्यतीत कर रहे हैं और कोई खतरा नहीं है क्योंकि वह किसी पेशे से भी जुड़े नहीं हैं।
अहमदुद्दीन शेख ने गृह विभाग के समक्ष अपील की, जिसने इस आधार को बरकरार रखा कि वह 80 वर्ष से अधिक आयु के हैं और एकाकी जीवन व्यतीत करते हैं और इसलिए उसे हथियार की कोई आवश्यकता नहीं है। सचिव ने यह भी कहा कि शेख ने 1982 से आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया था, इसलिए उसकी आय साधारण दिखाई देती है। इसके अलावा, “गुजरात राज्य में प्रचलित कानून और व्यवस्था की शांतिपूर्ण स्थिति को देखते हुए, वादी (शेख) के लिए कोई डर नहीं है।” गृह विभाग ने कहा कि उनके पास केवल स्टेटस सिंबल के तौर पर बंदूक का लाइसेंस नहीं हो सकता।
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